आज मेरा जन्मदिवस है | 2 अक्टूबर , हाँ ! आज के विचार रूपी विचित्र पुष्प इसी पौधे से ...
आगे....बार -बार कोमल का मेरी तरफ देखना वहीं मेरी नजर का इत्तेफाकन उससे टकरा जाना जैसे वह मुझसे कुछ ...
माई थब थाई दये !! तैं दंदी है | तै हमछे बात न कलिहै | आज यह स्वर कानो ...
आज पूर्णिमा के लिए बेहद ही खुशी का दिन था उसके गुजरे हुए दिनो मे यह पहला ऐसा दिन ...
दो दिन मे ही प्रतिमा को मुकुल की पत्नि निशा का व्यवहार समझ मे आ गया , पूर्णिमा ...
निशा का बर्ताव पूर्णिमा के प्रति दिन प्रतिदिन अपमानजनक हो रहा था कि , एक दिन चिल्लाते हुए " ...
ग्यारहवें भाग मे आपने पढ़ा शशीकान्त का पूर्णिमा के बच्चों के प्रति बदलाव उनके भविष्य को लेकर उसे ...
दोपहर लगभग बारह बजे इच्छा पैकिंग मे व्यस्त थी कि तभी, डोरबेल बजती है | इच्छा दरवाजा खोलती है ...
लगभग दो घण्टे के पश्चात शशिकान्त की माँ की आँखें बाबू के रोने के साथ ही खुल जाती हैं ...
कई सप्ताह बीत जाने पर भी दोनो के मन से कम्पनी से निकाले जाने का भय नही गया था ...