सुबह से यह चौथा फोन था। फोन उठाने का बिल्कुल मन नहीं था ।...पर माँ... माँ समझने को तैयार ...
प्रेम.... ढाई अक्षर का छोटा सा शब्द पर... अपने आप में न जाने कितने सपने, कितने अरमानों को समेटे ...
बेटे के बोर्ड के पेपर चल रहे थे...महीनों से घर से बाहर भी नहीं निकली थी ।सोचा था..इस बार ...
भाईयों और बहनों....घबराइए मत हम " वो बड़े वाले नेता जी" थोड़ी है ,जिनके इस एक शब्द से इन ...
जीव...हाड़-माँस का बना साँसे लेता पुतला। जब वही जीव अपने अंदर एक नए जीव के आगमन की ...
तीन दिन हो गए थे चलते-चलते...पाँव में छाले निकल आये थे। शरीर धूल और पसीने से तर-बतर हो चला ...