प्रस्तर मूर्ति के समान स्थिर बैठी दिव्या निर्निमेष,सूनी अश्रुविहीन नेत्रों से सामने की दीवार देखे जा रही थी।सफेद चेहरे ...
लाल जोड़े में सजी रेवती हाथों में जयमाल लेकर जब स्टेज पर आई तो बाराती-घराती उसके अप्सरा जैसे रूप ...
प्रथम अध्याय----------------- आज मैं अत्यंत प्रसन्न हूँ क्योंकि मैंने अपनी पत्नी लता के एक अहम स्वप्न ...
प्रथम अध्याय----------- शोक संवेदना की औपचारिकता के निर्वहन हेतु आसपास के परिचित एवं रिश्तेदार आ-जा रहे ...
हर जिंदगी में सुख-दुःख, प्रेम घृणा, द्वेष-दया इत्यादि समस्त भावों से परिपूर्ण अनगिनत कहानियां सन्निहित होती हैं, जो वृहद ...