यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।। — श्रीमद्भगवद्गीता संसार में दो प्रकार के पुरुष होते हैं। एक तो वह ...