Preeti Pragnaya Swain Books | Novel | Stories download free pdf

पेहचान - 27 - यहां से चले जाओ ...

by Preeti Pragnaya Swain
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पीहू सारे पेपर्स को अरेंज करते हुए बोलि ..... देखो ......तुमपे अटैक वहां उस ब्रिज के पास हुआ , ...

पेहचान - 26 - में खुद नहीं जानता मैं क्या कर बैठूंगा

by Preeti Pragnaya Swain
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अभिमन्यु और पीहू जितनी जल्दी हो सके घर पहुंच गए जैसे ही अभिमन्यु घर में एंट्री किया वो एक ...

पेहचान - 25 - पूरी प्रॉपर्टी एक प्रोमिस पे टिकी है

by Preeti Pragnaya Swain
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अभिमन्यु बोला अब बोलो भी हम यहां क्यों आए है और हां तुम्हें मैं एक बात याद दिलादू की ...

पेहचान - 24 - तुम्हे किससे डर है ?

by Preeti Pragnaya Swain
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अच्छा एक काम करें क्या .?अभिमन्यु बोला क्या ? पीहू बोली ये ड्रामा एसे ही चलने दे क्या ?अभिमन्यु ...

पेहचान - 23 - इतनी भी क्या जल्दी है मरने का!

by Preeti Pragnaya Swain
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अभिमन्यु दौड़ते हुए नीचे आने लगा, पर उसकी बुरी किस्मत उसका पैर थोड़ा सा मुड़ गया जिसके चलते वो ...

पेहचान - 22 - What the hell

by Preeti Pragnaya Swain
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पीहू बोलना शुरू की...... पहली बात तुम मुझपे भरोसा करोगे ..... दूसरी बात तुम मुझे जज नहीं करोगे मतलब ...

पेहचान - 21 - मुझसे दोस्ती करोगी?

by Preeti Pragnaya Swain
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पीहू बोली ठीक है जिद मैं रहो, मैं चली अपने काम पे.... बोलते हुए वहाँ से चली गयी.. अभिमन्यु ...

पेहचान - 20 - मैं तुम्हे पागल दिखती हूँ क्या ?

by Preeti Pragnaya Swain
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पीहू बोली अच्छा.....इतना भरोसा ,वैसे ये भरोसा आया कहाँ से ?पहले तो नहीं था ! ओ अच्छा.........अब समझी, तुम्हारी ...

पेहचान - 19 - सैतानी पकड़ी गयी

by Preeti Pragnaya Swain
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(Sorry रुकाबट् के लिए खेद है ,actually मेरे exams चल रहे थे ,तो मैं उसी मे ब्यस्त होगयी थी,उसके ...

पेहचान - 18 - सबर का फल मिठा होता है....

by Preeti Pragnaya Swain
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पता नहीं क्या था ,आखिर ये कोनसा एहसास था की अभिमन्यु पीहू की तरफ खिचा चला जा रहा था, ...