Pragya Rohini Books | Novel | Stories download free pdf

पाप तरक और परायशचित.

by Pragya Rohini
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सुनोए तुम मीनू को जानते होघवही जो तुमहारे भैया के पास पढ़ती थी। सांवली है और बात. बेबात हंसती ...

तक्सीम - 4 - अंतिम भाग

by Pragya Rohini
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‘‘हां भई हम पे भरोसा कहां था तुझे कि ख्याल रखेंगे तेरी बीवी का? अब संभाल ले तू।’’ बेटे का ...

तक्सीम - 3

by Pragya Rohini
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‘‘ जय धरती मां जय गऊ माता’ के शब्दों पर हलचल सी मच जाती सोसायटी में- ‘‘अरे गौ-ग्रास वाला आ ...

तक्सीम - 2

by Pragya Rohini
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‘‘अबे पहली शादी कब कर रहा है तू?’’ ‘‘क्या मतलब?’’ ‘‘पहली करेगा तभी तो तीन और कर पाएगा न यार। तुम्हारे ...

तक्सीम - 1

by Pragya Rohini
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ये शहर भी अजीब हैं न अनोखे? लाख गाली दे दिया करें रोज मैं और तू इन्हें पर इनके ...

‘बराबाद’ .... नहीं आबाद

by Pragya Rohini
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‘‘ क्या नाम लेती हो तुम अपने गांव का... हां याद आया गन्नौर न। सुनो आज गन्नौर में दो ...