मेरी कहानी

(87)
  • 18.2k
  • 3
  • 6.6k

उंगली को पकड़ कर सिखलाता, जब पहला क़दम भी नही आता… नन्हे प्यारे बच्चे के लिए, पापा ही सहाराआज भी याद आतें है बचपन के वो दिनजब उगली मेंरी पकडं कर आप ने चलना सिखाया।इस तरह जिन्दगी में चलना सिखायाकि जिन्दगी की हर कसौटी पर आपको अपने करीब पाया बन जाता।इस कहानी को लिखना एक ही मकसद है। क्यों की मेरी एक पागल मुस्कान को स्टोरी पढ़ना बहुत अच्छा लगता है। और उसने मुझे कहा कि तुम गीत कार हो तो कहानी भी अच्छी लीखोंगे फिर मैने सोचा कहानी ही लिख

Full Novel

1

मेरी कहानी

उंगली को पकड़ कर सिखलाता, जब पहला क़दम भी नही आता… नन्हे प्यारे बच्चे के लिए, पापा ही सहाराआज भी याद आतें है बचपन के वो दिनजब उगली मेंरी पकडं कर आप ने चलना सिखाया।इस तरह जिन्दगी में चलना सिखायाकि जिन्दगी की हर कसौटी पर आपको अपने करीब पाया बन जाता।इस कहानी को लिखना एक ही मकसद है। क्यों की मेरी एक पागल मुस्कान को स्टोरी पढ़ना बहुत अच्छा लगता है। और उसने मुझे कहा कि तुम गीत कार हो तो कहानी भी अच्छी लीखोंगे फिर मैने सोचा कहानी ही लिख ...Read More

2

मेरी कहानी - 2

मोम पापा और बहिन को मिलके फिर सूरत चला गया जॉब पे वहा काम करने बाद दीवाली कि छुट्टियां और हम सब लोग दीवाली मनाने अपने गांव आ गए। दीवाली की तैयारियां बहुत अच्छी रही सबने नए नए कपड़े लाए और मैने भी अपनी फैमिली के लिए कपड़े खरीद लिए और खुदके लिए भी। हम सब लोगो ने साथ मिलकर पटाखे फोड़े और सब खाना खाके सो गए।अगले दिन सुबह आराम से उठा में और चाय नास्ता कीया फिर मैने मोम को कहा कि में मामा के यहां जा रहा हूं तब मोम ने कहा कि ठीक है जाओ।और में ...Read More

3

मेरी कहानी - 3 - लास्ट पार्ट

लास्ट पार्ट।।संजना फिर मुस्कुराके चली गई। और हम दोनों भी वहा से अपने घर आ गए । फिर हमने खाया और फिर हम लोग क्रिकेट खेलने चले गए। जब क्रिकेट खेलके वापस घर आ रहे थे तब संजना मुझे रास्ते में मिली और स्माइल देके चली गई। हम लोग घर आ गए फिर खाना खाया और थोड़ी आराम करने सो गए। आराम करने के बाद हम खेत देेेखने चले गए । वहा खेत में सब लोग काम कर रहे थे । हम भी साथ में काम करने लग गए मामा के साथ। फिर हम सामको घर आके खाना ...Read More