महानपुर के नेता

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नारद के बताए अनुसार पनकी ने रेडियो को रेवती दादा के आगे रख दिया और बटन दिखाकर कहा– “दादा आप चालू करो।”दादा ने कहा– “संझा की चौपाल तभी जमती है जब झमरूआ का गाना और तुम्हारी सदबातें हों। इस रेडियो की क्या जरूरत थी? क्या तुम्हें उन पुस्तकों पर भरोसा नहीं रहा जो तुम पढ़ते हो या फिर झमरूआ का गाना तुम्हें बुरा लगने लगा।”पनकी ने कहा– “नहीं दादा, ऐसा कुछ नहीं है। पुस्तकें तो हम पढ़ना नहीं छोड़ सकते। बस ये चुनाव की भागादौड़ी में नहीं पढ़ पा रहे। सोचा कि तारतम्य न टूटे इसलिए रेडियो ले आए। वैसे

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महानपुर के नेता - 1

नारद के बताए अनुसार पनकी ने रेडियो को रेवती दादा के आगे रख दिया और बटन दिखाकर कहा– “दादा चालू करो।”दादा ने कहा– “संझा की चौपाल तभी जमती है जब झमरूआ का गाना और तुम्हारी सदबातें हों। इस रेडियो की क्या जरूरत थी? क्या तुम्हें उन पुस्तकों पर भरोसा नहीं रहा जो तुम पढ़ते हो या फिर झमरूआ का गाना तुम्हें बुरा लगने लगा।”पनकी ने कहा– “नहीं दादा, ऐसा कुछ नहीं है। पुस्तकें तो हम पढ़ना नहीं छोड़ सकते। बस ये चुनाव की भागादौड़ी में नहीं पढ़ पा रहे। सोचा कि तारतम्य न टूटे इसलिए रेडियो ले आए। वैसे ...Read More