इस संसार में सभी तरह के प्राणी रहते हैं। इन सभी प्राणियों में से एक प्राणी इन्सान भी है। जो भगवान द्वारा बनाई गयी सभी चीज़ों में बहुत ही ज़्यादा खूबसूरत है। इंसान से जुड़ी कुछ ख़ास चीज़ें मैं आपको इस उपन्यास के द्वारा समझाने की कोशिश करूँगा। हर इंसान के जीवन में बहुत-सी चीज़ें होती हैं। जैसे कि हमारे पड़ोसी श्रीकान्त अंकल जी के जीवन में थी। ये घटना सन् 1967 के क़रीब की है जब श्रीकान्त अंकल जी अपने परिवार के साथ एक छोटे से किराए के मकान में रहते थे।
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ग़रीबी के आचरण
इस संसार में सभी तरह के प्राणी रहते हैं। इन सभी प्राणियों में से एक प्राणी इन्सान भी है। भगवान द्वारा बनाई गयी सभी चीज़ों में बहुत ही ज़्यादा खूबसूरत है। इंसान से जुड़ी कुछ ख़ास चीज़ें मैं आपको इस उपन्यास के द्वारा समझाने की कोशिश करूँगा। हर इंसान के जीवन में बहुत-सी चीज़ें होती हैं। जैसे कि हमारे पड़ोसी श्रीकान्त अंकल जी के जीवन में थी। ये घटना सन् 1967 के क़रीब की है जब श्रीकान्त अंकल जी अपने परिवार के साथ एक छोटे से किराए के मकान में रहते थे। ...Read More
ग़रीबी के आचरण - २
जैसे ही श्रीकान्त अंकल जी ने अपने बेटे रोहन के साथ अपने उस किराए के मकान में पैर रखा, वो अपने परिवार के साथ रहते थे। तो घर के दरवाज़े ठीक सामने श्रीकान्त अंकल जी की मॉं चारपाई पर बैठी हुई थीं। और उनका छोटा लड़का सोहन जिसकी उम्र क़रीब ग्याराह या फिर बारह वर्ष होगी, अपनी दादी माँ के पीछे खड़े होकर उनके बालों में सरसों के तेल से चम्पी कर रहा था। ऊपर छत वाला पंखा हल्की-सी आवाज़ करते हुए धीरे-धीरे घूम रहा था। जो शायद काफ़ी पुराना हो चुका था। जहॉं दादी चारपाई पर बैठकर सोहन ...Read More
ग़रीबी के आचरण - ३
श्रीकान्त अंकल जी की पत्नि जिनका नाम शान्ति था, और जो अपने परिवार के सभी सदस्यों से बहुत प्यार थीं। जैसे ही उन्होने अपनी पति को उस हालत में देखा, वो बहुत बुरी तरह घबरा गयीं। और आव देखा ना ताव सीधा श्रीकान्त अंकल जी की ओर दौड पड़ी। उनकी तरफ़ दौडते समय उनके मुँह से एक ही आवाज़ निकली, और वो ये कि ' हाय रे भगवान, ये इन्हें क्या हो गया।' वो तुरन्त उनके पास पहुँच गयीं। और बिना श्रीकान्त अंकल जी की तरफ़ देखे, सीधा उनके बालों में हाथ फेरने लगीं। जहाँ श्रीकान्त अंकल जी को चोट ...Read More
ग़रीबी के आचरण - ४
श्रीकान्त अंकल जी के परिवार के सभी सदस्य उनकी अच्छे से देख-भाल करने लगे। कुछ समय के बाद श्रीकान्त जी को आराम लगने लगा। उनकी सिर की चोट ठीक हो गई। और धीरे-धीरे वो पहले जैसे स्वस्थ हो गये। और इसी बीच श्रीकान्त अंकल जी की नौकरी छूट गयी, क्योंकि उनके चोट लगने के कारण उन्हें काफी दिनों के लिए अवकाश पर रहना पड़ा। और घर में बहुत ही ज़्यादा पैसों की तंगी रहने लगी। जिसके कारण श्रीकान्त अंकल जी और उनकी मॉं को छोड़ कर बाकि घर के सभी लोग छोटे-मोटे काम करने लगे। यहाँ तक की श्रीकान्त ...Read More
ग़रीबी के आचरण - ५
श्रीकान्त अंकल जी का अपना घर अब उन्हीं को खाने को दौड़ता था। क्योंकि अब उनके उस किराये के से मकान में पूरे दिन कोई भी नही रहता था। सिवाय श्रीकान्त अंकल जी और उनकी बूढ़ी मॉं को छोड़कर। क्योंकि उनकी पत्नि और बच्चे सुबह काम पर जाते थे, और शाम के समय ही घर में पाँव रखते थे।लेकिन शान्ति आंटी सुबह जल्दी उठकर अपने और घर वालो के लिए खाना बना लेती थीं। और फिर शाम को काम पर से थोड़ा जल्दी आकर शाम के खाने की तैयारी करती थीं।श्रीकान्त अंकल जी सोचते थे कि ' अगर मेरे ...Read More
ग़रीबी के आचरण - ६
श्रीकान्त अंकल जी बस इसी बात को बार-बार सोच कर परेशान हुआ करते थे, कि ' मेरे होते हुए बीवी बच्चों को कमाना पड रहा है। और मैं उनकी कमाई को आराम से बैठ कर खा रहा हूँ। मुझ जैसा बदक़िस्मत व्यक्ति शायद ही कोई हो इस दुनिया में।' ये सब सोचने के सिवाय कोई और चारा भी तो नही था। क्योंकि उन को एक ऐसी बीमारी ने जक़ड लिया था। जो हफ़्ते में सिर्फ़ एकाध बार श्रीकान्त अंकल जी को अपने होने का अहसास दिला देती थी। और जिसके चलते श्रीकान्त अंकल जी के घर वालो ने उन्हें ...Read More