कमसिन

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न तौलना, न मापना, न गिनना कभी हूँ गर्भगृह में समाया निशब्द, निश्छल, निस्वार्थ, अडिग पवित्र प्रेम मैं ! ! होस्टल के कमरे में मनु ने हिलाकर उसे जगाते हुए कहा था, उठो भई, जाना नहीं है क्या ? राशी ने एकदम से चौंक कर घडी की तरफ नजर दौड़ाई ! जब घडी में साफ नजर नहीं आया तो उसने पास में पड़े मोबाईल का बटन किल्क करके देखा !

Full Novel

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कमसिन - 1

न तौलना, न मापना, न गिनना कभी हूँ गर्भगृह में समाया निशब्द, निश्छल, निस्वार्थ, अडिग पवित्र प्रेम मैं ! ! होस्टल के में मनु ने हिलाकर उसे जगाते हुए कहा था, उठो भई, जाना नहीं है क्या ? राशी ने एकदम से चौंक कर घडी की तरफ नजर दौड़ाई ! जब घडी में साफ नजर नहीं आया तो उसने पास में पड़े मोबाईल का बटन किल्क करके देखा ! ...Read More

2

कमसिन - 2

बुआ जी का दो कमरे का घर, वैसे तो काफी बड़ा घर है, चार मंजिल तक बना हुआ पर कमरे किराये पर उठे हुए हैं ! वे अकेले ही रहती है, उनके दोनों बेटे इंडिया से बाहर जॉब पर हैं ! एक बेटी जिसकी शादी हो चुकी थी ! ...Read More

3

कमसिन - 3

वो सड़क तक ही पहुची थी कि फिर से रवि का फोन आ गया ! घर से निकल कर तक आ गयी हूँ ! ठीक है आप वहीँ पर रुको ! मैं आ रहा हूँ ! 5 मिनिट हो गए थे पर अभी तक नहीं आये ! शान्तम के दोस्त भी आ गये थे और उससे जल्दी चलने को कह रहे थे ! मासी आपकी बस कहाँ है ? मैं जा रहा हूँ, आप यहाँ पर ही खड़ी रहिये, ठीक है न ! ...Read More

4

कमसिन - 4

कुछ खाना है ? रवि ने पूछा ! नहीं, अभी मेरा मन नहीं कर रहा ! चलो नाश्ता कर ! काफी समय हो गया है ! कहीं रुकेंगे ? नहीं कार में ही खा लेंगे ! देखो पीछे सीट पर एक बैग रखा है ! उसे उठा ! ...Read More

5

कमसिन - 5

अब कार में वे दोनों ही बचे थे ! इतना प्यारा मौसम और साथ में अपना प्यार, मन बड़ा सा हो रहा था ! और अभी अभी ईश्वर ने नूर की बूंदें भी उनपर बरसा दी थी ! रवि एकदम शांत बैठे कार चला रहे थे ! अँधेरा घिरता जा रहा था और खतरनाक मोड़ बार बार आ रहे थे परन्तु रवि अपने सधे हाथों से कुशलता से कार चलाये जा रहे थे ! ...Read More

6

कमसिन - 6

अचानक उसकी आँख खुल गयी ! उसका एक हाथ रवि के धडकते सीने पर रखा हुआ था और उसके के ऊपर रवि का हाथ था ! वे बराबर में ही लेटे हुए थे दूसरी रजाई ओढकर और वो इस वक्त बहुत गहरी नींद में थे ! अरे इनकी रजाई तो सोफे पर रख दी थी फिर यहाँ कैसे ! ...Read More

7

कमसिन - 7

उसने देखा वो सड़क के किनारे बसा हुआ एक पहाड़ी कस्बा ही था ! मुश्किल से एक किलोमीटर की तक सड़क के दोनों किनारों पर दुकानें ढाबे और उनके ऊपर घर बने हुए हैं ! घर की सारी जरूरतों की चीजें कपड़े राशन आदि हर तरह के सामान की दुकानें और सरकारी ऑफिस भी थे ! आस पास के गाँव के लोगों की हर जरूरत का सामान वहां पर था ! ...Read More

8

कमसिन - 8

देव कार की पिछली सीट पर बैठ गया और वह आगे वाली सीट पर ! रवि ने कार स्टार्ट दी थी ! तभी देव ने अपनी जेकेट की बड़ी जेब से कुछ फल निकाल कर खाने को दिए ! दीदी जी खाकर बताओ कैसे हैं ? उसने एक फल खुद खाया और एक रवि को दे दिया बाकी बचे हुए अपने पर्स में डाल लिए ! उसने खाकर देखा फल वाकई बहुत ही स्वादिष्ट थे रवि को भी बहुत पसंद आये ! और वे कार चलते हुए ही खाते जा रहे थे ! इस तरह सब खाकर ख़त्म कर दिए ! ...Read More

9

कमसिन - 9

देखो वो आ गया स्वर्ग तालाब ! देव ने दूर से इशारा करते हुए कहा ! उसने अपनी नजरे तरफ करते हुए देखा ! एक छोटे से कुंड में थोडा सा पानी भरा हुआ था ! ओ अच्छा तो यह है स्वर्ग तालाब ? हाँ दीदीजी यही है ! आप अपने सच्चे दिल से जो चाहें मांगो हर मन्नत जरुर पूरी होगी ! ...Read More

10

कमसिन - 10

चलो वापस चलते हैं ! पैदल का रास्ता पार करने में ही लगभग एक घंटा लग जायेगा ! अभी बज रहे हैं ! और सूर्य देव भी मध्यम होने लगे हैं ! ये पहाड़ी इलाके बड़ी जल्दी अंधेरों में डूब जाते हैं ! ये पहाड़ रात की तन्हाई में पिघलते होंगे ! जब सारा जग सो जाता है तब ये अपनी कठोरता पर रोते होंगे ! जो सिर्फ दिखाने की होती है ! क्योंकि पहाड़ कठोर नहीं होते ! इनका दिल मोम की तरह मुलायम होता है कभी कभी इनको प्यार से सहला कर देखो, निहार कर देखो पता चल जायेगा ! कितने कष्ट सहते हैं ! फिर भी अडिग खड़े रहते हैं इनसे सीखो अडिग रहना ! भले ही टूटो बिखरो रोओ चीखो चिल्लाओ पर अपने निश्चय से मत डिगो ! तब देखना कैसे सब कुछ कितना सरल हो जायेगा क्योंकि कभी कभी जीवन में मधुरता लाने के लिए कठोर भी होना पड़ता है ! ...Read More

11

कमसिन - 11

जाने कैसे वे उसके मन की बात समझ गए और देव से फोन पर कह दिया, देख भाई आज बहुत थका हुआ हूँ और रात भी हो रही है इन पहाड़ी रास्तों पर अँधेरे में कार चलाने में थोड़ी मुश्किल होगी ! कल आऊंगा ! हाँ जी, आपकी बात ठीक है क्योंकि यहाँ प्रोफेशनल ड्राइवर भी रात में गलतियाँ कर देते हैं ! ...Read More

12

कमसिन - 12

दोनों के बीच मौन पसरा हुआ था ! राशि जल्दी से चाय पियो फिर चलना है ! रवि ने मौन को भंग करते हुए कहा ! रूम भी खाली करना है क्योंकि आज की किसी और की बुकिंग है वो बस आते ही होंगे ! हे भगवान, बात भी शुरू की तो ऐसे ! इतना रोमांटिक माहौल,इतने प्यारे प्यार करने वाले दो बन्दे, खुबसूरत नज़ारे फिर भी रोमांस कहीं नहीं वह रवि से कसकर लिपटना चाहती थी ! उसकी धडकने बहुत तेज हो गयी थी दिल बहुत तेजी से धडक रहा था ! मन में हूक सी उठ रही थी ! ...Read More

13

कमसिन - 13

उफ़ अब इस कार को क्या हो गया ? क्या हुआ ? पता नहीं यार, समझ ही नहीं आ रहा शायद में पंचर हो गया है ! आसपास कोई दुकान भी नजर नहीं आ रही अब खुद ही बदलना पड़ेगा ! वे डिक्की से स्टेपनी निकाल कर लाये ही थे कि राशि को एक पहाड़ी के पास एक दूकान दिखी ! रवि वो देखिये, दुकान पास ही है ! ! ! हाँ चलो फिर वही पर जाकर सही करवा लेते हैं ! एक पहाड़ को काटकर उसके अंदर वो दुकान बनी थी ! वहां पर एक मोटे से व्यक्ति बैठे हुए थे ! रवि ने उनसे बात की और कार सही करने को दे दी ! ...Read More

14

कमसिन - 14

ओह्ह ! तो क्या सर्दियों में इससे भी भारी होती हैं ! वो तो हिल भी नहीं पायेगी अगर ओढ़ लिया तो ! हाँ भाई, यहाँ पर हमेशा ही बहुत ठंडा और प्यारा मौसम रहता है ! वे खाना खा रहे थे, साथ ही बातें भी करते जा रहे थे ! बेचारी दीदी जी भूखी ही सो गयी उनको भी उठा लेते ! रात को भूख लगी तब ! यहाँ पर रात लम्बी भी होती है ! ...Read More

15

कमसिन - 15

पीका तुम भी बाग़ में जाती हो न ? हाँ, मैं और चाची घर के काम के निपटा जाते हैं मम्मी तो बहुत जल्दी सुबह ही चली जाती हैं ! वे घर के काम नहीं करती ! नहीं घर के काम हम दोनों ही निबटाते हैं ! पहले दीदी थी तो वे करती थी ! जब तुम कालेज जाती हो तो अकेले चाची को ही सब काम करने होते होंगे ? ...Read More

16

कमसिन - 16

रवि ने एक हजार रूपये का नोट राशि को देते हुए कहा यह पीका को दे दो ! वो लिऐ कुछ खरीद लेगी ! पीका ने मना किया और बोली, आप हमारे लिए आम लेकर तो आये थे ! हम रूपये नहीं लेंगे ! क्यों नहीं लोगी क्या हम आपके भाई नहीं हैं ? बहन का हक़ बनता है लेने का और भाई का फर्ज होता है देने का ! समझी कुछ या नहीं ! ...Read More

17

कमसिन - 17

वो एक बहुत सुंदर होटल था ! उसकी पार्किंग में कार खड़ी करने के लिए चाबी वाचमैन को दे ! और वे दोनों उस सुंदर और विशाल होटल के अंदर आ गए ! अंदर प्रवेश करते ही एक खूब सुंदर लॉबी जहाँ पर सोफे पड़े हुए थे ! उन सोफों पर कुछ लोग भी बैठे हुए थे ! वहीँ पर रिसेप्शन काउंटर था एक बड़ा सा एक्वेरियम रखा था ! बेहतरीन, कलात्मक लकड़ी की मूर्तियों से सजा हुआ ! रवि ने काउंटर पर जाकर बात की और दो चाबियाँ लेकर आ गए ! ...Read More

18

कमसिन - 18

बाहर पहाड़ों पर हरी घास और फल, फूल देख उसके मन को कुछ अच्छा महसूस हुया। ये प्रकृति उसे क्यों लुभाती है जरूर मेरा और प्रकृति का आपस में कोई रिश्ता है। ये पहाड़ मोह लेते है मन को। उसने एक गहरी सांस ली। और फिर से उस महिला का काल्पनिक चित्र मन ही मन बनाने लगी। क्या रवि इतने गिरे हुए इंसान है । ...Read More

19

कमसिन - 19

कहाँ चली गई थी मेरी जान? एक लड़के ने पूछा ! चलो, मेरे साथ चलो, ऐश करेंगे। जीवन की खुशियाँ तेरे कदमों में डाल देंगे। थर्ड फ्लोर पर लिफ्ट का गेट खुलता उससे पहले ही उन लोगों ने पांचवे फ्लोर का बटन दबा दिया। वह घबराहट से भर गई ! चेहरे पर पसीने की बूँदें छलक आई । आज क्या होने वाला है? कहीं कोई बड़ा अनर्थ न हो जाये। उसने अपने बदन को चुन्नी से लपेट लिया। उन तीन लड़को के बीच जैसी वो बुरी तरह से डर गई थी। ...Read More

20

कमसिन - 20

ओह! ! सिर को हल्के से झटका। कुछ देर को आँखों को बंद करके, लेटने को जी कर रहा ! खाना खाने की बिल्कुल इच्छा नहीं, मन में घबराहट भी है ! इतने बड़े कमरे में अकेले सोने की सोचकर ही मन में भय पैदा हो रहा है। क्या वो स्वयं ही रवि को फोन करके बता दे ? हां बता देती हँ क्या होगा थोड़ी देर नाराज हो जायेंगे, हो जाने दो क्या फर्क पड़ेगा, वैसे भी नाराज ही है। उसने मिला लिया फोन, हैलो ...Read More

21

कमसिन - 21

सुबह के सात बज रहे थे दरवाजे पर नाॅक हुई, रवि ने जाकर देखा बाहर वेटर एक ट्रे में स्नैक्स व एक बुके लेकर आया था। गुड मार्निंग, सर। यह आपके लिए ! अरे वाह! वैरी गुड मार्निंग। आज हमारे होटल का फाउन्डेशन डे है और उसी की वजह से सुबह सुबह वैलकम करने आये है। हमारे होटल में आज के दिन आप सबके लिए सब कुछ फ्री। ...Read More

22

कमसिन - 22

उसका विश्वास कैसे टूट सकता है वह तो अडिग विश्वास करती है ! खुद से भी ज्यादा उन पर था और रहेगा भी। जरूर कोई मजबूरी है रवि की, अन्यथा एकदम से उनका व्यवहार बदलना उसकी समझ से परे था। मंदिर बिल्कुल खाली था कोई भी जन आसपास नजर नहीं आ रहे थे। राशि ने बेंच के हत्थे पर अपना सिर रख लिया। ऐसा लग रहा था शरीर में बिल्कुल जान ही नहीं हैं, खून की एक एक बूंद तक किसी ने निचोड़ दी हो । रवि के ख्याल मन को उद्वेलित कर रहे थे। वे खूबसूरत रोमांटिक और प्यार के अनमोल पल उसकी नजरों में किसी फिल्म की कहानी की तरह घूम रहे थे। ...Read More

23

कमसिन - 23

भाभी, सुरीली सी आवाज में बोली ! अंदर आ जा न राशी, कल्पना ने कमरे में लेटे लेटे ही देर से वह इंतजार कर रही थी और अब आई तो बाहर से बुला रही है ये राशी भी अजीब है। वैसे भी उसके आने में थोडी सी भी देर हो जाये तो कल्पना का मन उदास हो जाता है और आज आने में इतनी देर कर दी । कमरे में आ गयी और उसके पास बैड पर बैठ गयी। क्या सोंच रही हो भाभी। आते ही उसने पूछा ...Read More

24

कमसिन - 24

वह राजीव के साथ अपने घर आ गई थी पर अब वो अपना घर नहीं रहा था मायका था सच में यही महसूस भी किया, जहाँ बचपन बीता, जवानी के कुछ साल बिताये, वही घर अब पराया लग रहा था, घर के कोने कोने में उसकी यादें बिखरी पड़ी थी किन्तु मन अब यह मानने को तैयार नहीं था कि घर अपना नहीं रहा ! यहाँ उसने अपने जीवन के कुछ खुशनुमा साल बिताये हैं । उसे अब पति का घर परिवार भाने लगा, अपना लगने लगा । ...Read More

25

कमसिन - 25

राजीव आ गये थे । कल्पना ने उनको चाय नाश्ता दिया ओर वहीं शान्त मन से बैठ गई । ने उसे देखकर मुस्कुराया किन्तु वह शान्त ही रही । क्या हुआ आज हमारी बेगम को? वह कुछ नहीं बोली । अब ऐसे ही मुँह फुलाये रहोगी या बताओगी भी कि क्या बात है? कुछ नहीं राजीव थोड़ा सिरदर्द है तो मैं दबा दूँ ? नहीं रहने दो, ठीक हो जायेगा । तो चलो आज कहीं घूम कर आते हैं । नहीं, फिर कभी । आज हर बात में ना, यह कैसे संभव हुआ, ? ...Read More

26

कमसिन - 26

कल्पना ने सोचा उसने ऐसा क्या कर दिया जो राजीव इतना नाराज हो गया और अभी पूजा में तल्लीन पापा टी0वी0 में तो उसने सोचा थोड़ी देर छत पर घूम आया जाये अभी खाने का भी समय नहीं है आठ ही तो बजा था, और फिर उसका मूड भी छत पर टहल कर अच्छा हो जायेगा थोड़ा ! मन समझा बुझा कर ठीक भी किया तो अब राजीव ने और ज्यादा डिप्रेस कर दिया वह छत पर आ गई ज्येष्ठ का महीना था उमस भरा, उस रात को चाँदनी रात पूर्णिमा के कारण पूरा चाँद आसमान में जगमगा रहा था। चाँदनी पूरे शबाब पर थी । ...Read More

27

कमसिन - 27

सुबह हो गयी थी ! आज कल्पना को उठने की इच्छा नहीं हो रही थी ! वह ऐसे ही रहना चाहती थी लेकिन माँ की पूजा और उनकी घन्टी की ध्वनि ने उसे उठने को मजबूर कर दिया था वह राजीव के बालों को हौले से सहलाकर प्यार की नजर से देखती हुई हंस दी थी कितने प्यारे लगते हैं और कितने भोले भी लेकिन सिर्फ सोते समय रात की खुमारी बरकरार थी, प्यार भी, शरारतें जो राजीव ने की थी सोंचती हुई वह मुस्कुरा उठी थी यहीं तो दाम्पत्य जीवन का सुख है इसी में सृष्टि समाई हुई है, उसके बिना तो दुनिया चल ही नहीं सकती, हर स्त्री-पुरूष एक दूसरे के बिना अधूरे हैं ...Read More

28

कमसिन - 28

राशी के पेपर हो चुके थे वह अब ज्यादातर समय उसके साथ ही बिताती ! घर में काकी माँ, राजीव और पापा जी भी बहुत ध्यान रखने लगे थे ! जो केवल मार्निंग वाॅक या कभी बहुत जरूरी काम होने पर ही घर से निकलते थे ! अब अक्सर उसके लिए कभी मिठाई, चाट लाकर देते रहते आज भी मिर्च और पनीर के पकौड़े लेकर आये थे और स्वयें ही देने आ गये थे लो बहू बाहर गया था तो राम जी की दुकान पर गर्मागर्म पकौड़े बन रहे थे तो तुम्हारे लिये ले आया उसे अपने पापा की याद आ गई थी वे भी उसकी तबियत खराब होने पर यूँ ही परेशान हो जाया करते थे और मनपसंद चीजें स्वयं ही लाकर देते थेक। वह पापा जी से पकौड़े लेती हुई बोली और पापा जी आप क्यों परेशान होते हैं ...Read More

29

कमसिन - 29

हर बात वो उनसे ही तो कह लेती थी इसीलिए आज माँ से ज्यादा भाभी की याद आ रही ! जो उसकी अपनी होकर भी अपनों से ज्यादा थी ! लेकिन वो उनको यह कैसे बताती कि उसे रवि धोका देकर चले गए हैं ! यही सब सोचते हुए वो बेंच से उतर कर कब प्रांगण के फर्श पर आ गई उसे पता ही नहीं चला, पूरी रात गुजर चुकी थी ! एक पल को झपकी नहीं आई, आंखों में भरे सुंदर सपने, अब आंसुओं में तब्दील हो गये थे। उसे कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था, वह वापस घर नहीं जायेगी आत्महत्या भी नहीं करेगी। वह जियेगी, अपने प्रेम के लिए क्योंकि उसके भीतर का प्रेम जिंदा था, पूरी तरह से उबाल पर था ! ...Read More

30

कमसिन - 30

आज पूरे तीन महीने के बाद रवि के अलावा भी कोई उसके दिलो दिमाग पर छाया था अन्यथा उसे रवि की छवि, उसकी बातें, उसकी यादें ही किसी फिल्म की तरह चला करती थी। अगले दिन जब वह पिंकी के साथ पानी का पाइप जोड़ने के लिए छोटी सी पहाड़ी पार करके उस ओर जा रही थी कि तभी सामने आ रहे बकरियों और भेड़ों के झुंड से बचने के लिए एक तरफ को हुई थी, अचानक न जाने क्या हुआ कि राशि को अपनी आँखों के सामने अंधेरा छाता महसूस हुआ और वह चकरा कर गिरने लगी भेड़ो बकरियों द्वारा उसे रौंदे जाने का खौफ मन पे छाया और आगे का नहीं पता चला कि वह सड़क पर गिरी या नीचे खाई में। ...Read More

31

कमसिन - 31

आज कल गाँव में भी सभी लोग बारी बारी से अपने घर में देवता को घर ला रहे थे। चाचा के घर पर देवता आ रहे थे पूरा गाँव उनके घर जाने वाला था। राशि भी परिवार के सभी लोगों के साथ गई थी। पूरे 11 बकरों की बलि दी जानी थी। खूब चहल पहल चारों तरफ संगीतमय वातावरण। वे तीनों बच्चियां भी खूब सुंदर कपड़ों में सजी इधर उधर घूम रही थी। ...Read More

32

कमसिन - 32

पिंकी ने आज घर में बताया था कि वह कालेज की तरफ से टूर पर जायेगी ! आगरा, दिल्ली मथुरा ले जाया जा रहा है ! ताजमहल, लाल किला और बांके बिहारी का मंदिर दिखाया जायेगा। बस जायेगी, कालेज के बच्चे, टीचर और एक पियून व एक आया जी जायेगी। उसे जाने की इजाजत मिल गई थी। घर में किसी ने भी मना नहीं किया था। ...Read More

33

कमसिन - 33 - लास्ट

पिंकी और बिट्टू जो मैन्यू कार्ड में खाने की चीजें देख रहे थे वे एकदम से उसकी तरफ देखने रवि? राशि का ध्यान अभी भी बाहर की तरफ ही लगा था, उसने उन लोगों के प्रश्न को भी शायद नहीं सुना था। पिंक कलर की शर्ट और ब्लैक रंग की पैंट, चेहरे पर वहीं मुस्कुराहट। रवि यहां पर वो पहली बार इस होटल में रवि के साथ ही खाने आई थी। और आज फिर रवि, कहीं धोखा तो नहीं खा रही है उसकी आंखे। वो भाग कर नीचे रवि के पास पहुंच जाना चाहती थी ताकि छूकर देख सके। उसने खुद को चिकोटी काटी कहीं ख्वाब में तो नहीं है वो। नहीं ख्वाब नहीं । ये सच है, हकीकत है। तीन महीने पहले गुजरे पल एक एक कर आंखों में घूम गये। रवि पहले से कुछ कमजोर दिख रहे थे, साथ में कोइ्र महिला लाल रंग की साड़ी में। ...Read More