घुमक्कड़ी बंजारा मन की

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दूर कहीं पहाड़ो में, हरी भरी वादियों में हो एक सुन्दर सा आशियाँ अच्छी है न सोच बहुत से लोग सपने. देखते हैं सोचते हैं पर इन्हे पूरा कर पाने का होंसला आखिर चंद लोगों में ही होता है. आज से कई साल पहले यह सपना शिमला की वादियों में एक पेड़ के नीचे बैठे सुमंत बतरा ने भी देखा सोचा और फिर टी आरोहा धनाचुली (उत्तराखंड) की रोमांटिक वादियों में बना कर पूरा किया। और यह सपना अब जागती आँखों से मैं देख कर महसूस कर के आई हूँ।

Full Novel

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घुमक्कड़ी बंजारा मन की - 1

दूर कहीं पहाड़ो में, हरी भरी वादियों में हो एक सुन्दर सा आशियाँ अच्छी है न सोच बहुत लोग सपने. देखते हैं सोचते हैं पर इन्हे पूरा कर पाने का होंसला आखिर चंद लोगों में ही होता है. आज से कई साल पहले यह सपना शिमला की वादियों में एक पेड़ के नीचे बैठे सुमंत बतरा ने भी देखा सोचा और फिर टी आरोहा धनाचुली (उत्तराखंड) की रोमांटिक वादियों में बना कर पूरा किया। और यह सपना अब जागती आँखों से मैं देख कर महसूस कर के आई हूँ। ...Read More

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घुमक्कड़ी बंजारा मन की - 2

तपते राजस्थान में यदि जाने की कल्पना की जाए तो जहन में सब कुछ गर्मी में झुलझता ही घूम है और जुलाई के उमस भरे मौसम में तो यह सोचना कि पुष्कर और अजमेर जाना है तो लगता है कि जाने यह कैसा बेहूदी सी सनक है, पर कहते हैं न की जब कहीं जाने का बुलावा और दाना पानी है तो जाएंगे ही। ...Read More

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घुमक्कड़ी बंजारा मन की - 3

भारत देश इतनी विवधता से भरा हुआ है कि जितना देखा जाए उतना कम है. इसलिए अहमदबाद गुजरात की अभी तक ३ बार कर चुकी हूँ. हर बार इस शहर ने मुझे हैरान किया अपने सुंदर रंग ढंग से, अपनी सरलता से और अपने निस्वार्थ प्रेम से... इन्ही यादों को याद करते हुए चलिए हम चलते हैं. यह यात्रा कुछ वक़्त पहले की है, होटल के रेट, खाने के रेट बदल सकते हैं तब से अब तक, पर मुझे यकीन है कि यह शहर पहले से ज्यादा बेहतरीन और खूबसूरत हो गया होगा. ...Read More

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घुमक्कड़ी बंजारा मन की - 4

हमारा देश भारत कई सुन्दर जगह से भरा हुआ है, जरूरत है सिर्फ वहां जाने की और अपनी निगाह देखने की, वाईजेग, विशाखापट्टनम पर्यटक स्थल वाकई स्वर्ग जैसा है! यहाँ के समुन्दर तट बहुत ही सुन्दर है. लाल रेत मिटटी में खिले फूल और हरियाली बरबस रोक लेती है अछूते साफ़ पानी वाले समुन्दर तट जैसे दिल को अजीब सा सकून करवाते हैं.... समुन्दर किनारे बने हुए घर.. आधुनिक और पुराने दोनों का मिश्रण है.... भाग दौड़ से दूर शांत जगह वाकई कई बार वहां यही दिल हुआ कि काश यही रह पाते :)आदिवासी और नेवी हलचल में सिमटा यह शहर अपने में अनूठा है यही पर है एक खूबसूरत वैली, अराकू वैली, आइये आज इसी की सैर पर निकलते हैं. ...Read More

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घुमक्कड़ी बंजारा मन की - 5

इंसान की ख्वाइशें हर पल नयी होती रहती है, कभी यह चाहिए कभी वह । ऊपर उड़ते नील गगन उड़ते उड़नखटोले को देख कर बैठने की इच्छा हर दिल में होनी स्वाभविक है, सो मेरे दिल में भी थी कि कब दिन आएगा यह बात सोच में नहीं थी बस जब वक़्त आएगा तो जाउंगी जरुर । यही था दिमाग में और फिर वह दिन आ गया, कुछ सपने बच्चे पूरे करते हैं, सो छोटी बेटी के साथ जाना हुआ विशाखापट्टनम । पहली हवाई यात्रा दिल में धुक धुक कैसे कहाँ जाना होगा । ...Read More

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घुमक्कड़ी बंजारा मन की - 6

राजस्थान के पुष्कर इलाके में घुमने आये और अजमेर शरीफ ख्वाजा जी न जाएँ यह तो संभव ही नहीं, देश भर में हिन्दू मुस्लिम विवाद चलता रहे पर यह ख्वाजा जी तो सबके हैं, इतनी मानता इतना विश्वास है कि ख़ास से आम तक उनके दरबार में हाजिरी लगाते हैं तो हम भी जब आये रेतीले इलाके के इस हिस्से में तो ख्वाजा जी के दरबार में जाना ही था l ...Read More

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घुमक्कड़ी बंजारा मन की - 7

जब घर से चले थे तो दिल्ली की गर्मी से निजात पाने की उम्मीद थी और दिल में था गुनगुनाता सा मीठा मीठा संगीत मंद बहती हवा का एहसास और.. आँखो में सपने थे.. पेडो से ढके पहाड़ की हरियाली और भी बहुत कुछ... ख़ुद बा ख़ुद दिल किसी गीत की रचना करने लगा था कल- कल बहती गंगा यही संदेश देती है ...Read More

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घुमक्कड़ी बंजारा मन की - 8

देवताओं की अपनी धरती केरला वाकई यह सच है कश्मीर देखा था तब लगा था यहाँ है पर जब केरल की धरती पर पांव रखा तो लगा यहाँ कदम कदम पर खुद ईश्वर वास् करता है, हरी भरी धरती, गहरा नीला सागर और विस्तृत फैला हुआ नीला अम्बर, दूर दूर जहाँ तक जहाँ नजर डालो वहां रंग ही रंग, कुदरत के रंग, घरों के रंग और हर घर के अहाते में फैले हरियाली के रंग, जहाँ इतनी हरियाली है वहां पक्षी भी उन्मुक्त स्वर में गाते है और जहाँ इतने रंग बिरंगे घर है वहां ईश्वर के रहने के स्थान भी मीठे स्वर से गुंजयमान है ...Read More

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घुमक्कड़ी बंजारा मन की - 9

गोवा के रंग मेरी नजर से (Purva villa) : बरसों पहले बॉबी मूवी देखी थी, उसमे रचा हुआ का संगीत और वहाँ का माहौल जैसे मन में रच बस गया था, तबसे दिल में था कि गोवा जाना ही है कभी न कभी । फिर ज़िन्दगी, पन्ने दर पन्ने पलटती रही और बंजारा मन और उड़ते पंख भारत के अन्य जगह पर उड़ान भरते रहे । पर हर बार वापस आते और इरादा पक्का होता कि गोवा अब नेक्स्ट । समुन्द्र मुझे वैसे ही बहुत आकर्षित करता है और हर बार लगता कि गोवा के beach जैसे पुकारते हैं । दाना पानी लिखा हो और चाह हो तो पूरी होनी ही है । ...Read More

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घुमक्कड़ी बंजारा मन की - 10

मुंबई सपनो का शहर माना जाता है, वह सपने जो जागती आँखों से देखे जाते हैं, और बंद पलकों भी अपनी कशिश जारी रखते हैं. हर शहर को पहचान वहां के लोग और वहां बनी ख़ास चीजे देती हैं और मुख्य रूप से सब उनके बारे में जानते भी हैं.. जैसे मुंबई के बारे में बात हो तो वहां का गेट वे ऑफ इंडिया और समुंदर नज़रों के सामने घूम जायेंगे उनके बारे में बहुत से लोग लिखते हैं और वह सब अपनी ही नजर से देखते भी हैं.. और वही नजर आपकी यात्रा को ख़ास बना देती है किसी भी शहर को जानना एक रोचक अनुभव होता है.. ...Read More

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घुमक्कड़ी बंजारा मन की - 11

हिमाचल प्रदेश का नाम लेते हैं शिमला, घूमने का ध्यान आ जाता है, पर शिमला के पास ही और बहुत सुन्दर जगह है जहाँ दिल्ली से कुछ दूरी का सफ़र तय करके कुदरत की छाया में सकूंन पाया जा सकता है, चैल भी एक ऐसी ही जगह है जहाँ दिल्ली से कुछ ही घंटों में पहुंचा जा सकता है, ...Read More

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घुमक्कड़ी बंजारा मन की - 12

श्रीनगर के बारे में सोचते ही यह पंक्ति याद आती है.. गर फ़िरदौस बररू-ए- ज़मीं अस्त हमीं अस्तो अस्तो हमीं अस्तो यानी अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है यहीं है यहीं है…यहाँ के gardens, सफ़ेद बर्फ से ढकी वादियाँ और गुलमर्ग, पहलगांव खूबसूरत नज़ारे यहीं बस जाने का न्योता देते हुए से लगते हैं ...Read More

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घुमक्कड़ी बंजारा मन की - 13

बंजारा मन कहीं देर तक टिकता नहीं न, जिन्हें घूमने का शौक हो रास्ता निकल ही जाता है, कहीं था, ट्रेवेल के बारे में कि, आप कहाँ पैदा हो, यह आपके बस में नहीं, पर आप कहाँ कहाँ घुमे, दुनिया देखे यह आपके बस में जरुर है, बस यही सोच का कीड़ा जब काटने लगता है तो अपना सफरबक्से में दो दिन के कपडे ले कर चल पड़ते हैं,. मध्यप्रदेश की एड देख देख कर, दिल में बच्चे सा उत्साह भर उठता है, बेटी पहले ही कुछ समय पहले घूम आई थी मध्य प्रदेश की उसने इतनी सुंदर तस्वीर खींची थी कि पढ़ा हुआ और सुना हुआ देखने का बहुत समय से दिल था। ...Read More

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घुमक्कड़ी बंजारा मन की - 14

महेश्वर इंदौर से सिर्फ ९० किलोमीटर की दूरी पर है, यह मध्य प्रदेश के खरगौन ज़िले में स्थित एक नगर तथा प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यह नर्मदा नदी के किनारे पर बसा है। प्राचीन समय में यह शहर होल्कर राज्य की राजधानी था। महेश्वर धार्मिक महत्व का २५०० वर्ष पुराना शहर है तथा वर्ष भर लोग यहाँ घूमने आते रहते हैं। यह शहर अपनी 'महेश्वरी साड़ियों' के लिए भी विशेष रूप से प्रसिद्ध रहा है। महेश्वर को 'महिष्मति' नाम से भी जाना जाता है। ...Read More

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घुमक्कड़ी बंजारा मन की - 15

दिल्ली की सुबह जब बारिश से शुरू होती है तो न जाने क्यों मुझे ” माण्डू” बहुत याद आता । शायद इसलिए कि वहां की बारिश बहुत ही रूमानी थी। जहाजमहल से जब सब तरफ नजर जाती है तो हरियाली, धुंध और बारिश की खुशबू जैसे पूरे माहौल को आपके जहन में इस तरह बसा देती है कि हर बारिश में वही होने का भ्रम होता है । पर सच तो सच है कहाँ दिल्ली का शोर और कहां वह अतीत से लिपटा हुआ रूमानी माहौल। ...Read More

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घुमक्कड़ी बंजारा मन की - 16 - लास्ट पार्ट

यदि बिरयानी नाम सुनते ही आपको जिस शहर का नाम ध्यान में आता है हैदराबाद तो यह इसके अलावा बहुत कुछ है इस शहर के बारे में जिसके बारे में जानना जरुरी है. यह शहर है निज़ामों का एक शहर, जिसमें हैं मोती, झीलें, और बाग़। एक शहर जो खाता पीता है, जीवंत है और हाई टेक होने के साथ साथ ऐसा एक शहर जहाँ पुरानी परम्पराएं भी जीवित है और साथ साथ चलती है. ...Read More