भय और आडम्बर का प्रचार

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मर गया पत्थर-दिल इन्शान( यह लेख लेखक के जीवन में घटित विभिन्न घटनाओं , लेखक के भीतर व्याप्त भय और भ्रम के विभिन्न दृश्यों को चित्रत करता है । लेखक का उद्देश्य किसी भी व्यक्ति या सम्प्रदाय को ठेस पहुंचाना नही है , यहाँ पर लेखक मात्र अपने विचार और स्वयं के जीवन में आने वाले बदलाव का चित्रण करना चाहता है । )रोज की तरह उस दिन भी मैं अपने स्कूल की आखरी घण्टी के बाद क्लास से निकला फिर साइकिल स्टैंड से साइकिल निकाली और घर के लिए चल पड़ा । विद्द्यालय के गेट से कुछ दूर पर

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भय और आडम्बर का प्रचार - मर गया पत्थरदिल इन्शान - 1

मर गया पत्थर-दिल इन्शान( यह लेख लेखक के जीवन में घटित विभिन्न घटनाओं , लेखक के भीतर व्याप्त भय भ्रम के विभिन्न दृश्यों को चित्रत करता है । लेखक का उद्देश्य किसी भी व्यक्ति या सम्प्रदाय को ठेस पहुंचाना नही है , यहाँ पर लेखक मात्र अपने विचार और स्वयं के जीवन में आने वाले बदलाव का चित्रण करना चाहता है । )रोज की तरह उस दिन भी मैं अपने स्कूल की आखरी घण्टी के बाद क्लास से निकला फिर साइकिल स्टैंड से साइकिल निकाली और घर के लिए चल पड़ा । विद्द्यालय के गेट से कुछ दूर पर ...Read More

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भय और आडम्बर का प्रचार - भगवान को चुनौती - 2

Part-2Chalenge to Godएक मंदिर गया था । उस मंदिर में बहुत भीड़ लगती है। जब मैं प्रसाद चढ़ाने जा था तो देखा , लाइन में मुझसे पहले लगा एक आदमी जब मूर्ति तक पहुंचा , जैसे ही प्रसाद चढ़ाने के लिए वह आगे बढ़ा पुजारी ने रोक दिया । पुजारी बोला कि तुम प्रसाद नही चढा सकते मुझे दो मैं चढ़ाऊंगा । उस आदमी ने पूंछा - क्यों भाई ? मैं क्यों नही चढ़ा सकता ,क्या भगवान मेरे हाथ से नही लेंगे ? पुजारी बोला- ऐसी बात नही है यहाँ प्रसाद हम लोग ही चढ़ाते हैं । उस आदमी ने तुरंत जवाब दिया ...Read More

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भय और आडम्बर का प्रचार - अन्धभक्ति का अन्त - 3

Part-3कि अब माता जी ही कोई चमत्कार करें तो शायद भूख शांत हो । मुझे भी भरोसा था कि कहते हैं कि हमको माता जी की कृपा से ब्रत में भूख नही लगती तो मुझे भी नही लगनी चाहिए । मैं एक भोले भाले बालक की तरह माता से विनती करने लगा कि मेरी भूख शांत हो जाये ताकि मैं अपना उपवास पूरा कर सकूं । बहन को तो पानी पिला कर सुला दिया था , जब मुझे ख्याल आया कि मेरे पेट में जो दर्द है , वह भूख के कारण है तो समझ गया कि बहन भी ...Read More

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भय और आडम्बर का प्रचार - पर्यावरण पर खतरा - 4

वह पेड़ जो हमें जीवनदायक ऑक्सीजन देता है , जो हमें आश्रय व भोजन देती है , वह , जो हमें दूध व अन्य विभिन्न वस्तुएं देते हैं वे पशु हमारी अनदेखी का शिकार हो रहे हैं । तब मेरे मन में एक प्रश्न यह भी जन्म लेता है कि क्या यह औधोगिकीकरण गलत है ?......continuePart-4 Nature in Dangerजीवन के सभी पहलुओं को देखने पर समझ आया की औद्योगिकीकरण गलत नही है । इसके कारण ही तो समाजिक जीवन में सुधार आया है । अतः औद्योगिकीकरण अति आवश्यक है । बस इतना ध्यान रखना चाहिए कि मुनाफ़े के चक्कर में पर्यावरण ...Read More

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भय और आडम्बर का प्रचार - वर्तमान में जातिभेद - 5

Part-5Cast discrimination in presentजब मुझे पता चला कि मेरे गाँव के मंदिर में हो भण्डारे के आयोजन की तैयारी लिए बैठक बुलाई गई । उस बैठक में लोगों को अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी गई । लोगों से कितना चन्दा लेना है , किस व्यक्ति से कितना चन्दा लेना है , कौन से कार्यक्रम होगें आदि । जैसे कि बैठक व्यवस्था कौन देखेगा ? चूँकि उसी दिन पत्रिवर्ष मेला भी लगाया जाता था तो इस बात का भी निर्णय लिया गया सांस्कृतिक कार्यक्रम कौन सम्भालेगा । भोजन व्यवस्था कौन देखेगा , साफ सफाई कौन देखेगा । बैठक का निर्णय सुनने के ...Read More

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भय और आडम्बर का प्रचार - मर गया वह पत्थरदिल इंशान - 2 - 6

Part-6पत्थर न पूजने से शायद ही हमारा कोई नुकसान हो लेकिन अगर प्रकृति नष्ट हुई तो हमारा अस्तित्व ही रहेगा । मतलब कि ईश्वर का अस्तित्व भी तब तक ही है जब तक मनुष्य का । ईश्वर अपने अस्तित्व के लिए मनुष्य को जिंदा रखेगा यह सब इस प्रकृति से ही सम्भव है । तब मुझे एक जवाब मिला कि ईश्वर कोई पत्थर नही यह प्रकृति ही वास्तविक ईश्वर है ।इसी में हमारे हर प्रश्न का जवाब है , हमारी हर समस्या का हल है , हर रोग की दवा है , हर कष्ट का निवारण है । हम ...Read More