खट। खट।। ’’कौन ? ‘‘ ’’जी। पोस्टमैन। बाबू जी आपकी रजिस्टी है। आकर ले लें। ‘‘अभिमन्यु घर से बाहर आया। दस्तखत किये। लिफाफा लिया। खोला। पढ़ा। और खुशी से चिल्ला पड़ा। ‘‘मॉ। मॉं मुझे नौकरी मिल गयी। ‘‘ अभिमन्यु तेजी से दौड़ पड़ा। खुशी के मारे उसके पांव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। पिछले तीन वर्पो से वह निरन्तर इधर उधर अर्जियां भेज रहा था, साक्षात्कार दे रहा था मगर नतीजा वही ढाक के तीन पात। हर बार या तो उसकी अर्जी निरस्त हो जाती या फिर साक्षात्कार में उसे अयोग्य घोपित कर दिया जाता।
Full Novel
नया सवेरा - (सवेरे का सूरज) - 1
खट। खट।। ’’कौन ? ‘‘ ’’जी। पोस्टमैन। बाबू जी आपकी रजिस्टी है। आकर ले लें। ‘‘अभिमन्यु घर से बाहर आया। दस्तखत लिफाफा लिया। खोला। पढ़ा। और खुशी से चिल्ला पड़ा। ‘‘मॉ। मॉं मुझे नौकरी मिल गयी। ‘‘ अभिमन्यु तेजी से दौड़ पड़ा। खुशी के मारे उसके पांव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। पिछले तीन वर्पो से वह निरन्तर इधर उधर अर्जियां भेज रहा था, साक्षात्कार दे रहा था मगर नतीजा वही ढाक के तीन पात। हर बार या तो उसकी अर्जी निरस्त हो जाती या फिर साक्षात्कार में उसे अयोग्य घोपित कर दिया जाता। ...Read More
नया सवेरा - (सवेरे का सूरज) - 2
वह शहर के दक्षिणी भाग की और चल पड़ी। सामने विश्वविद्यालय की लम्बी, उंची बहुमंजिली ईमारतें दिखाई दे रही शिक्षा, सृजन और शैक्षणिक दुनिया का एक अनन्त विस्तार या सुनहरी रेत के पार का संगीत की धाराओं का अनोखा मिलन। दूर तक फैली मासूम धरती। सुहागन की गोद में सोया हुआ मासूम जगत। इस शांत पड़ी झील के तट पर। प्यास का अन्तहीन सिलसिला। प्यास केवल प्यास। जिसके बुझने की आस कभी नहीं रही मेरे पास। ...Read More
नया सवेरा - (सवेरे का सूरज) - 3
छात्रावास में अभिमन्यु अपने कक्ष में बैठकर मेस सम्बन्धी जानकारी अपने सहयोगी से ले रहा था तभी विंग मानीटर ने प्रवेश किया और आदर के साथ खड़ा हो गया। ‘‘ कहो लिम्बाराम कैसे आये हो ? कुछ परेशानी है क्या। ’’ ‘‘ सर। छात्रावास के सम्बन्ध में कुछ बातें करना चाहता था। ’’ ‘‘ अच्छा बैठो। सुनो एक काम क्यों नहीं करते चारों मॉनीटर एक साथ आ जाओ और सभी बातों पर एक साथ चर्चा कर ले इस नवीन सत्र की एक कार्य योजना भी बना ले ताकि सब कार्य व्यवस्थित, सुचारू रूप से चल सके। ...Read More
नया सवेरा - (सवेरे का सूरज) - 4
अपने गांव के घर में आकर अभिमन्यु ने सर्वप्रथम मॉं-बाप के चरण स्पर्श किये। दोनों बुजुर्गो ने उसे आशीपा। क्षेम पूछी। कमला की चोटी खींचकर अभिमन्यु ने उसे पूरे चौक में घुमाया। फिर अटैची खोलकर कमला के लिए फ्राक, बापू के लिए धोती कुर्ता और मां के लिए साड़ी निकाल कर दी। कमला ने फ्राक पहनी, इठलाती हुई गयी और अपने भाइ्र के लिए चाय बना लाई। चाय पीते हुए अभिमन्यु ने अपने बापू से कहा- ...Read More
नया सवेरा - (सवेरे का सूरज) - 5
इस कस्बेनुमा गांव में प्रधान जी का बोलबाला था। वे ही यहां के सर्वेसर्वा थे। आने वाला हर अफसर चौखट पर हाजरी देता था। मगर सामन्तशाही के विदा होने के साथ साथ प्रधान जी का रोबदाब कम होता जा रहा था। वे इस बात से परेशान थे। इधर नया विकास अधिकारी भी उन्हें कुछ नहीं समझता था। प्रधान जी का मकान कस्बे के बीचोंबीच था। वे जिले के मुख्यालय से छपने वाले स्थानीय पत्र को पढ़ रहे थे। पत्र में विद्यालय में पर्यावरण का्रर्यक्रम तथा वृक्षारोपण का समाचार विस्तार से छपा था। वे इस समाचार से नाराज थे। मगर कुछ कर नहीं पा रहे थे।इसी समय विद्यालय के प्राचार्य महोदय आये। और अभिवादन कर बोले। ...Read More
नया सवेरा - (सवेरे का सूरज) - 6
अभिमन्यु और कमला जब गांव पहुंचे तो रात गहरा चुकी थी। गॉंव सुनसान और नीरव था, अपने घर तक में अभिमन्यु ने शीघ्रता बरती। घर के बाहर ही उसे अकबर मिल गया। ‘‘ कैसे हैं बाबूजी। ’’ अभिमन्यु ने अधीरता से पूछा। ‘‘ अब ठीक है। वे सो रहे हैं। मां उनके सिरहाने बैठी हैं। ’’ कमला तुरन्त भीतर चली गयी। वो मां से लिपटकर रो पड़ी। अभिमन्यु भी अन्दर आया। मॉं के चरण छुए। बाबूजी के बारे में पूछने लगा। ...Read More
नया सवेरा - (सवेरे का सूरज) - 7
अन्ना अपने कमरे में मिसेज प्रतिभा के साथ अपनी सर्वेक्षण रपट को अन्तिम रूप देने के पूर्व विमर्श कर थी। बातचीत को शुरू करते हुए अन्ना ने कहा। ‘‘ ग्रामीण क्षेत्र में बालिकाओं पर कभी ध्यान नहीं दिया है। उन्हें हमेशा एक भार समझा गया। इसका बड़ा मनोवैज्ञानिक असर पड़ा है। और ये बालिकाएं बड़ी होकर जब मॉं बनती है या गृहस्थ जीवन में प्रवेश करती है तब भी अपने आपको कमजोर, असहाय समझती हुइ्र हमेशा किसी के सहारे जीवन यापन करती है। ’’ ...Read More
नया सवेरा - (सवेरे का सूरज) - 8
अभिमन्यु बाबू विद्यालय में परीक्षा की तैयारी करने लगे। परीक्षायें निश्चित दिवस से सुचारू रूप से चलने लगी। प्रधान के आदमियों ने गड़बड़ी की कोशिश शुरू में की। मगर प्राचाय्र की दृढता तथा पुलिस-प्रशासन की ठोस व्यवस्था से अव्यवस्था नहीं हो पाई। प्रधान जी मनमसोस कर रह गये। इधर वे फिर राजधानी गये थे, लेकिन प्राचार्य या अभिमन्यु बाबू के खिलाफ कुछ खास नहीं कर पाये थे। दूसरी ओर धीरे-धीरे कस्बे के लोगों को अभिमन्यु बाबू की योजनाओं पर विश्वास होता जा रहा था। पर्यावरण, शिक्षा, प्रोढशिक्षा तथा अन्ना द्वारा किये जा रहे सब कार्यो की कस्बे की जनता को अखबारों के जरिये जानकारी मिल रही थी। ...Read More
नया सवेरा - (सवेरे का सूरज) - 9
पन्द्रह अगस्त उन्नीसौ सत्ताणवें आजादी का पचासवां स्वतन्त्रता दिवस का पावन पर्व। आज पूरे कस्बे में अपूर्व उत्साह, उल्लास और थी। सर्वत्र खुशी, अमग, चैन लेकिन कहीं कहीं लोगों के दिलों में कसक भी थी। अभिमन्यु बाबू अपने उसी स्कूल में झण्डा रोहण करने गये जहां पर वे कभी एक अध्यापक के रूप में कार्यरत थे। सभी अध्यापक बड़े प्रसन्न थे कि जिलाधीश महोदय ने उनके कार्यक्रम में आने की स्वीकृती प्रदान की थी। स्कूल के वातावरण में उत्साह था। छात्र प्रसन्न थे और अध्यापकों ने जी-जान लगाकर मेहनत की थी। राष्ट्र भक्ति के गीत बज रहे थे। पाण्डाल सजा था। शहर के गणमान्य लोग उपस्थित थे। ...Read More
नया सवेरा - (सवेरे का सूरज) - 10
अन्ना के पास बहुत सा समय खाली रहता। करने को कुछ विशेप नहीं था। ऐसे में वो स्वयं में जाती। कुछ न कुछ सोचती रहती। कमरे में अकेली बैठी प्रवासी जीवन पर सोचने समझने के प्रयास करती। अन्ना ग्रामीण जीवन में महिलाओं की स्थिति पर कार्य कर चुकी थी और इसी कारण महिलाओं, विशेप कर गरीब और दलित महिलाओं के लिए कुछ करना चाहती थी। सामाजिक संस्थाओं, स्वयंसेवी संस्थाओं और सरकारी प्रयासों से वह संतुप्ट नही थी। ...Read More