मेरा यह प्रयास समर्पित है श्रृद्धेय श्री वेणुगोपाल जी बांगड़ को जिनकी पितृव्य स्नेह स्निग्ध छाया ने प्रदान किया है हर पल संरक्षण और सम्बल आत्म-कथ्य एक उद्योगपति परिवार में जन्म लेने के कारण और एक उद्योगपति के रुप में जीवन व्यतीत करने के कारण मैंने एक उद्योगपति के जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव तथा एक उद्योग के संचालन में रास्ते में आने वाले पर्वतों और खाइयों को देखा और उन्हें पार किया है। जब
Full Novel
पथ भाग १
मेरा यह प्रयास समर्पित है श्रृद्धेय श्री वेणुगोपाल जी बांगड़ को जिनकी पितृव्य स्नेह स्निग्ध छाया ने प्रदान किया हर पल संरक्षण और सम्बल आत्म-कथ्य एक उद्योगपति परिवार में जन्म लेने के कारण और एक उद्योगपति के रुप में जीवन व्यतीत करने के कारण मैंने एक उद्योगपति के जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव तथा एक उद्योग के संचालन में रास्ते में आने वाले पर्वतों और खाइयों को देखा और उन्हें पार किया है। जब ...Read More
पथ भाग २
लाभ हमारे कारखाने को आगे जाकर प्राप्त हुआ। यदि हम ऐसा लिखित अनुबन्ध नहीं करते तो श्रमिकों को आठ से अधिक स्थानान्तरित नहीं कर सकते थे। हमारे बैंक के कर्जे मजदूरों को मुआवजा और ग्रेच्युटी आदि के भुगतान के लिये हमने अपनी निजी संपत्तियां बेचीं और सारे भुगतान कर दिये। हमने अति आत्म विश्वास में टाइल्स बनाने का एक नया कारखाना स्थापित कर लिया था जो कि तकनीकी खामियों के कारण सफल नहीं हो सका और हमें उसे बन्द करना पड़ा और हमें उसका कर्ज भी चुकाना पड़ा। कारखाने के कर्मचारियों के साथ समझौता सम्पन्न हो गया एवं कारखाना ...Read More
पथ भाग ३
यदि वे तुम्हें कोई सलाह दे तो अच्छी तरह सोच समझकर ही कोई निर्णय लेना। यदि सच्ची मित्रता और मिल जाती है तो जीवन के अधिकांश अभाव स्वमेव समाप्त हो जाते हैं। जीवन में यदि तुम सच्चा मित्र चाहते हो तो तुम स्वयं अच्छे मित्र के गुण अपने में विकसित करो। तुम्हारे दादा जी कहा करते थे कि वह उद्योगपति बहुत भाग्यवान होता है जिसे वकील, डाक्टर एवं राजनीतिज्ञ सच्चे मित्र के रुप में प्राप्त होते हैं एवं उचित समय पर उचित सलाह देते हैं। वे इस कथन को सत्य करके दिखलाते हैं कि परहेज उपचार से बेहतर होता ...Read More