सुकेतु के जीवन में मुग्धा का प्रवेश किसी ठंडे झोंके की तरह था। पर मुग्धा के साथ एक तप्त अतीत भी था। क्या था वह अतीत ? कैसे दोनों मिलकर उस अतीत के भंवर से बाहर निकल कर आए ?
Full Novel
तुम मिले - 1
तुम मिले (1)सुकेतु ने एक बार अपने आप को आईने में देखा। सब कुछ सही था। लेकिन वह कुछ फील कर रहा था। ऐसा नहीं था कि मुग्धा से ये उसकी पहली मुलाकात थी। वो दोनों एक दूसरे को पिछले छह महीने से जानते थे। इस बीच कई बार मिल भी चुके थे। आपस में एक दूसरे से खुले हुए थे। किन्तु आज की मुलाक़ात कुछ ख़ास थी। उसने आज मुग्धा से अपने दिल की बात कहने का फैसला लिया था। इसी कारण से थोड़ा नर्वस था। जब से मुग्धा उसके ...Read More
तुम मिले - 2
तुम मिले (2)मुग्धा जिसके साथ फ्लैट शेयर करती थी वह दो तीन दिनों के लिए बाहर गई हुई थी। सुकेतु को लेकर अपने घर आ गई । यहाँ वह निसंकोच अपनी आपबीती सुकेतु को बता सकती थी। सुकेतु भी सब जानने को उत्सुक था कि यदि मुग्धा का पती जीवित है तो वह यहाँ अकेली क्यों रहती है। वह कभी उससे मिलने क्यों नहीं आता। उन दोनों के रिश्ते में वह कौन सी दरार है जिसके कारण मुग्धा उसके होते हुए भी उसे चाहती है।मुग्धा को भी सुकेतु के मन ...Read More
तुम मिले - 3
तुम मिले (3)कहानी सुनाते हुए मुग्धा भावुक हो गई। सुकेतु उसे ढांढस बंधाने लगा। मुग्धा बोली।"सुकेतु मैं अजीब सी में हूँ। मैं नहीं जानती कि मैं सौरभ की पत्नी हूँ या उसकी विधवा। इस स्थिति में रहना मेरे लिए बहुत कठिन है।"सुकेतु उठ कर उसकी बगल में बैठ गया। वह जानता था कि इस समय शब्द मुग्धा को तसल्ली नहीं दे सकते। उसने उसका सर अपने कंधे पर रख लिया। प्यार से उसका सर सहलाने लगा। कुछ देर ऐसे ही बैठे रहने के बाद मुग्धा सीधे होकर बैठते हुए ...Read More
तुम मिले - 4
तुम मिले (4)सुकेतु अपने दोस्त दर्शन के ऑफिस में बैठा था। इस वक्त दर्शन किसी और क्लांइट के साथ था। सुकेतु बाहर बैठा अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहा था। करीब दस मिनट के बाद दर्शन ने उसे भीतर बुलाया। इंतज़ार करवाने के लिए माफी चाहूँगा। वो पुराने क्लांइट थे इसलिए मना नहीं कर सकता था। कुर्सी पर बैठते हुए सुकेतु बोला। कोई बात नहीं। मैंने भी आखिरी समय में वक्त मांगा था। दर्शन ने उससे उसके आने का कारण पूँछा। सुकेतु ने सारी बात विस्तार से बता दी। सब जानने के ...Read More
तुम मिले - 5
तुम मिले (5)सुकेतु ने जानबूझ कर मुग्धा को अपने घर पर मिलने बुलाया था। अब तक मुग्धा और उसकी एक दूसरे से नहीं मिली थीं। दोनों ने सिर्फ सुकेतु से एक दूसरे के बारे में सुना भर था। सुकेतु चाहता था कि दोनों आपस में मिल कर एक दूसरे को समझने का प्रयास करें।सुकेतु अपनी माँ के दिल को अच्छी तरह जानता था। ऊपर से चाहें ना दिखाएं पर मुग्धा के बारे में जान कर उनका दिल द्रवित हो गया था। यह जान कर कि मुग्धा दोपहर ...Read More
तुम मिले (6)
तुम मिले (6)मुग्धा अपनी इच्छा से ससुराल छोड़ कर अपने मायके चली गई थी। इतने दिनों से उसने कोई भी नहीं ली थी। अचानक मुग्धा को देख कर उसके ससुराल वाले आश्चर्य चकित हो गए। उसके जेठ अल्पेश को उसका वहाँ आना बिल्कुल पसंद नहीं आया। मुग्धा के ससुर ने कहा।"अब क्यों आई हो यहाँ ? तुम अपनी इच्छा से यह घर छोड़ कर गई थी।""हाँ मैं अपनी इच्छा से घर छोड़ कर गई थी। लेकिन मैं सौरभ की पत्नी हूँ। इस घर में रहने का हक है मुझे।"मुग्धा की ...Read More
तुम मिले (7)
तुम मिले (7)मुग्धा के मन में कई सारे सवाल उभरने लगे। यह बात उससे और उसके माता पिता से छिपाई गई ? क्योंकी सौरभ ससुर जी की जायज संतान नहीं था इसीलिए उसे खोजने में कोई तेजी नहीं दिखाई गई। पर भाभी का तो कहना है कि सौरभ सबका लाडला था।अचला भी उसके मन में उमड़ रहे सवालों को समझ रही थी। उसने आगे कहना शुरू किया।"मुग्धा में समझ रही हूँ कि तुम्हारे मन में क्या चल रहा है। मैं तुम्हारे ...Read More
तुम मिले (8)
तुम मिले (8)गेस्टरूम में बैठी हुई मुग्धा सोंच रही थी कि सौरभ के बारे में उसे एक बड़ी बात चली। लेकिन जो भी पता चला उससे केस को आगे बढ़ाने में शायद ही कोई मदद मिले। स्थिति अभी भी जस की तस थी। इंतज़ार करने के अलावा उसके और सुकेतु के पास कोई उपाय नहीं है।मुग्धा ने मन ही मन तय कर लिया था कि लौटने से पहले वह अपने सास ससुर से पूँछेगी ज़रूर कि उन्होंने सौरभ के बारे में इतनी बड़ी बात उससे क्यों ...Read More
तुम मिले - 9
तुम मिले (9)कई मिनटों तक मुग्धा वैसे ही बैठी रहीं। फिर खुद को संभाल कर उसने सुकेतु को फोन सुकेतु ने उससे कहा कि वह फौरन उसके पास पहुँच रहा है।सुकेतु जब पहुँचा तब मुग्धा की आँखों में आंसू भरे थे। सुकेतु को देखते ही वह उसके गले लग कर रोने लगी। सुकेतु उसे ढांढस बंधाने लगा। कुछ देर बाद जब मुग्धा कुछ शांत हुई तो उसने कहा।"सौरभ के पापा का फोन आया था। उन्होंने बताया कि सौरभ की गुमशुदगी की गुत्थी सुलझ गई है। एक नर ...Read More
तुम मिले - 10
तुम मिले (10)खाने के बाद दुर्गेश ने कहानी आगे बढ़ाई.....मुग्धा से शादी होने के बाद सौरभ बहुत खुश था। वो तीनों लोग इसे अपनी हार मान रहे थे। मुग्धा के आ जाने के बाद सौरभ को रास्ते से हटाने के लिए उन्हें बहुत सोंच समझ कर चाल चलनी थी।इसी बीच एक और बात हो गई। पता चला कि ऑफिस में एक बड़ी रकम का घपला हुआ है। इसके पीछे अल्पेश था। अपनी जलन और हताशा में उसे सट्टे की आदत पड़ गई थी। सट्टे में मिली ...Read More