शुक्रवार का दिन था, और आज मुझे कॉलेज में मेरी पहली परीक्षा ड्यूटी पर जाना था। अंदर एक अजीब सी घबराहट थी, मानो मैं खुद फिर से परीक्षा देने जा रही हूं। परीक्षा सेंटर में प्रवेश करने से पहले वही पुरानी घबराहट, वही प्रेशर। मेरे लिए यह नई भूमिका थी—इनविजिलेटर के रूप में परीक्षा का संचालन करना। लेकिन मन के कोने में ऐसा लग रहा था जैसे मैं फिर से छात्र बन गई हूं। जैसे ही मैं सेंटर में पहुंची, चारों ओर शांति की उम्मीद थी, लेकिन वह शांति कहीं नजर नहीं आई। आज का परीक्षा सेंटर लड़कों का था। उनकी मस्तमौला प्रवृत्ति ने परीक्षा के माहौल को हल्का-फुल्का बना रखा था। कोई बार-बार मुझसे प्रश्न पूछ रहा था, कोई सीट पर बैठकर शोर मचा रहा था, तो कोई बिना जवाब दिए ही पेपर छोड़कर जाने की बात कर रहा था। ऐसा लग रहा था, जैसे उन्हें परीक्षा की गंभीरता का कोई अंदाजा ही नहीं है।
एग्जाम ड्यूटी - 1
शुक्रवार का दिन था, और आज मुझे कॉलेज में मेरी पहली परीक्षा ड्यूटी पर जाना था। अंदर एक अजीब घबराहट थी, मानो मैं खुद फिर से परीक्षा देने जा रही हूं। परीक्षा सेंटर में प्रवेश करने से पहले वही पुरानी घबराहट, वही प्रेशर। मेरे लिए यह नई भूमिका थी—इनविजिलेटर के रूप में परीक्षा का संचालन करना। लेकिन मन के कोने में ऐसा लग रहा था जैसे मैं फिर से छात्र बन गई हूं। जैसे ही मैं सेंटर में पहुंची, चारों ओर शांति की उम्मीद थी, लेकिन वह शांति कहीं नजर नहीं आई। आज का परीक्षा सेंटर ...Read More
एग्जाम ड्यूटी - 2
कॉलेज का वह कमरा छात्रों से भरा हुआ था। हर कोई अपनी परीक्षा में डूबा हुआ था, और मैं, पर्यवेक्षक की भूमिका में, चुपचाप उनके प्रयासों का साक्षी बनी हुई थी। मेरे सामने बैठे एक छात्र ने मेरा ध्यान अपनी ओर खींचा। उसकी कलम बिना रुके चल रही थी। उसके चेहरे पर गहरी तल्लीनता थी, और उसकी आंखों में मेहनत की सच्चाई झलक रही थी।उसकी लगन को देखकर मैं अपने अतीत में खो गई। मुझे अपने कॉलेज के दिन याद आ गए। हमारे समय में पढ़ाई का अर्थ था संघर्ष। एक साधारण डिग्री के लिए हमें दिन-रात मेहनत करनी ...Read More