अजी सुनते हो? हां बोलो रितिका की अम्मा तुम तो मेरी बातें सुनते नहीं हो। सुना अनसुना कर देते हो। हां बोलो, क्या कहने वाली हो। हमारी रितिका बड़ी हो गई है। हां, मुझे मालूम है। तो उसके लिए अच्छा लड़का ढूंढो। लड़के हाथ से निकल रहें हैं। सब विदेश के चक्कर में रहते हैं। हां ठीक है। अब मुझे अखबार पढ़ने दो।
Full Novel
रिश्तों की कहानी ( पार्ट -१)
"रिश्तों की कहानी"( पार्ट -१)अजी सुनते हो?हां बोलो रितिका की अम्मातुम तो मेरी बातें सुनते नहीं हो। सुना अनसुना देते हो।हां बोलो, क्या कहने वाली हो।हमारी रितिका बड़ी हो गई है।हां, मुझे मालूम है।तो उसके लिए अच्छा लड़का ढूंढो। लड़के हाथ से निकल रहें हैं। सब विदेश के चक्कर में रहते हैं।हां ठीक है। अब मुझे अखबार पढ़ने दो।अखबार में होता है क्या? राजकीय बातें, गुनाह खोरी और भ्रष्टाचार की बातें। मेरी बातें ठीक से सुनो।ठीक है ठीक है। अखबार लातें है तो पढ़ना पड़ेगा। तुम तो कहती थी कि पढ़ने से ज्ञान बढ़ता है।हां, अब मेरे ज्ञान की ...Read More
रिश्तों की कहानी ( पार्ट -२ )
"रिश्तों की कहानी"( पार्ट -२)रितिका की माता अपनी बेटी के लिए चिंतित होती है।और अपनी सहेली के लड़के की करती है, जिसका नाबालिग लड़की के साथ सगाई हुई थी।अब आगेतुम्हारी बातें सही हैं, लेकिन वो लोग किसीकी नहीं सुनते। तुम तो समझाने से रहें। तुम भी प्रतीक के पिताजी को पहचानते हो।लेकिन तुम समझा सकती हों। तुम्हारी सहेली है, तुम उनके घर जाकर समझाओं।नहीं नहीं.. मैं नहीं जाऊंगी। मेरा अपमान कर देंगे।अपने माता-पिता की बातें रितिका सुनती हैउसने सोचा कि प्रतीक क्यूं नाबालिग से सगाई के लिए तैयार हुआ था।मैंने उसे समझाया था लेकिन वह अपने दादाजी और पिताजी ...Read More
रिश्तों की कहानी ( पार्ट -३ )
"रिश्तों की कहानी"( पार्ट -३) अंतिमरितिका और प्रतीक की बातें होती हैं। रितिका प्रतीक को समझाती है।प्रतीक:-' वह मैं हूं। लेकिन मैं क्या कर सकता हूं? मेरी दोस्त होने के नाते बताओ मैं क्या करूं?'रितिका:-' पहले तुम्हारी मंगेतर का मोबाइल नंबर या उसका ऐड्रेस ले लो और उससे अकेले में मिल कर उसे समझाओं। शादी के लिए जल्दी हां न कहें। बालिग होने के बाद शादी करोगे तो ही अच्छा होगा।'प्रतीक:-' मेरे पास उसका नंबर है। उसने मैसेज करके बताया कि उसे अभी शादी नहीं करनी है। उसे इन्जिनियरिंग करना है, पढ़ना है। शादी के चक्कर में करियर खत्म ...Read More