बात उन दिनों की है, एक मकान बना कर रहना, एक मिसाल और योग्यता थी। मकान अगर मंजिले हो, तो कया बात, बहुत अमीर समझे जाने वाला शक्श....." हाहाहा, "हसता हुँ, आपने पर.... ये दोगला पन ही था..... मकान या घर या कलोनी, बीस साल तक बैंक की कर्ज़ादार थी। ईटे, सिमट, सरिया, रेता, बजरी.... और मजबूती समान की, कया कहते हो साहब ------ नहीं कारीगर ही इस को मजबूत बना सकता है, कया झूठ बोल रहा हुँ। "लो कर लो बात।" शर्मा जी मकान बना रहे हो। "

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मंजिले - भाग 1

(1) -----लम्बी कहानी एपिसोड टाइप ------ ----- मंजिले ----- बात उन दिनों की है, एक मकान बना कर रहना, एक मिसाल और योग्यता थी। मकान अगर मंजिले हो, तो कया बात, बहुत अमीर समझे जाने वाला शक्श....." हाहाहा, "हसता हुँ, आपने पर.... ये दोगला पन ही था..... मकान या घर या कलोनी, बीस साल तक बैंक की कर्ज़ादार थी।ईटे, सिमट, सरिया, रेता, बजरी.... और मजबूती समान की, कया कहते हो साहब ------ नहीं कारीगर ही इस को मजबूत बना ...Read More

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मंजिले - भाग 2

( मोक्ष )" ------ आप को भगवान समझना बहुत कठिन है, आपकी लीला कोई नहीं जान सकता, आप खुद कारज करने वाले और कराने वाले है । ""आपकी लीला कौन जानता है " शर्मा जी ने उच्ची आवाज मे कहा।" आप ही है, जो चराचर जगत का ख़याल रखते है । " शर्मा जी आँखे मुद कर बैठे ही थे। --- कि तभी घंटी वजी, तंदरा टूटी।"कौन है भाई " ------" अंधा हुँ , बहुत मुश्किल से घंटी वजाई है। ये यात्रा बहुत मुश्किल से कर रहा ...Read More

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मंजिले - भाग 3

(हलात ) छोटी कहानी मे मेरी ये की पसंद की जाने वाली कहानी हैँ.... इस मे कुछ हिंदू हैँ, कुछ मुस्लिम समुदाये हैँ। '2045" ---चल रहा हैँ। सोच रहे हैँ, कया करे। कयो की लोग तो बहुत पानी साफ के दुख और हवा शुद्ध के कारण ही मर गए हैँ। जयादा हत्या तो बड़े शहरो की हैँ.... कुछ गांव हैँ जो बचे हुए हैँ वो हरयाली के कारण.... पर वो हवा शुद्ध ले रहे ...Read More