बेजुबान

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एक औरत से उसे ऐसी उम्मीद नही थी।वह यह सोचकर आया था कि उसकी नीच और घिनोनी हरकत पर उसके साथी उसे डांटेंगे, जलील करेंगे, भला बुरा कहेंगे। लेकि न जैसा वह सोचकर आया था वैसा नही हुआ था।बल्कि उलट।उसके सहकर्मी उससे कुछ कहने की बजाय उसके पुरुष सहकर्मी उसकी पत्नी को ऐसे घूरकर देखने लगे मानो वह बाजारू औरत हो।बिकाऊ माल हो।उसके साथ काम करने वाली औरतों ने तो हद ही कर दी थी।एक महिला सहकर्मी ने तो उसका पक्ष लेते हुए उसकी पत्नी पर ऐसे आरोप लगाए थे कि उसे ऐसा लगा मानो उसे सरेआम नंगा कर दिया गया हो।और अपने नंगेपन को छिपाने के लिए वह पत्नी का हाथ पकड़कर ऑफिस से बाहर निकल आया था।

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बेजुबान - 1

एक औरत से उसे ऐसी उम्मीद नही थी।वह यह सोचकर आया था कि उसकी नीच और घिनोनी हरकत पर साथी उसे डांटेंगे, जलील करेंगे, भला बुरा कहेंगे। लेकि न जैसा वह सोचकर आया था वैसा नही हुआ था।बल्कि उलट।उसके सहकर्मी उससे कुछ कहने की बजाय उसके पुरुष सहकर्मी उसकी पत्नी को ऐसे घूरकर देखने लगे मानो वह बाजारू औरत हो।बिकाऊ माल हो।उसके साथ काम करने वाली औरतों ने तो हद ही कर दी थी।एक महिला सहकर्मी ने तो उसका पक्ष लेते हुए उसकी पत्नी पर ऐसे आरोप लगाए थे कि उसे ऐसा लगा मानो उसे सरेआम नंगा कर दिया ...Read More

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बेजुबान - 2

उस रात वह बिस्तर में लेटा हुआ था।मोबाइल का जमाना था नही।मतलब हमारे यहाँ मोबाइल नही आया था।टेलिविजन हमारे मे आ चुका था।लेकिन तब हर घर मे नही होता था।अकेला रहता था।करता क्या।खाना खाने के बाद बिस्तर में आ लेटा था।तभी दरवाजे पर दस्तक हुई।कौन है रात में।कही उसे भृम तो नही हुआ।वह लेटा रहा।तब दरवाजा जोर से पीटा जाने लगा।कौन है जो दरवाजे को इतनी जोर से पीट रहा है।उसे उठना पड़ा।उसने आकर दरवाजा खोला था।बाहर बुरका पहने एक युवती खड़ी थीकौन हो तुम।वह उस युवती से पूछना चाहता था।लेकिन उस युवती ने उसे इतना मौका ही नही ...Read More

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बेजुबान - 3

और वह उससे पूछता रहा वह कागज पर लिखती रही।और उसने जो बताया निम्न थाजाकिर अपनी बीबी सलमा के लखनऊ मे रहता ता।जाकिर हाथ का कारीगर था।वह निसन्तान था।काफी इलाज कराने के बाद भी उसकी पत्नी मा नही बनी थी।तब नाते रिश्तेदारों ने उससे दूसरा निकाह करने की सलाह दी थी। उनके धर्म मे बीबी के बच्चा न होने पर दूसरी शादी की प्रथा है।लेकिन वह अपनी बीबी से बहुत प्यार करता था।उसने दूसरा निकाह नही किया था।दोनों मिया बीबी मस्त थे।जाकिर एक दिन देर से काम से लौट रहा था।उसे बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी थी।सुनसान ...Read More

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बेजुबान - 4

और शबनम उसे कोई काम नही करने देती थी।वह शबनम के इशारे और क्या बोलती है कुछ कुछ समझने था।जो बात समझ मे नही आती तब वह उससे लिखने के लिव कहता था।और सिथति सामान्य होने में पूरे दस दिन लग गए थे।वह शबनम को लेकर उसकी बस्ती में गया था।बस्ती उजड़ चुकी थी।दंगे में कुछ लोग मारे गए थे।बचे कूचे चले गए थे।जाकिर भी दंगे की भेंट चढ़ गया था।शबनम अपने अब्बा के मरने पर खूब रोई थी।वह उसे अपने साथ ले आया था।एक दिन बोलातुम्हारी शादी करा देता हूँगूंगी से कौन शादी करेगासुंदर हो।पढ़ी हो।समझदार हो।लेकिन कोई ...Read More

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बेजुबान - 5

पढ़ लेती,"वह बोला ,"मा का है"किसी दूसरे के नाम की चिट्ठी नही पढ़नी चाहिए।"उसकी बात सुनकर वह बोली थी"तुम दूसरा समझती होनही तोफिर तुम यह क्यो कह रही होगलती हो गयी"शबनम कान पकड़कर माफी मांगते हुए बोली थी।जानती हो मा ने क्या लिखा हैनहीशबनम ने गर्दन हिला कर ना कहा थामुझे गांव गए काफी दिन हो गए हैं।इसलिए मैं ने बुलाया है"वह पत्र शबनम को देते हुए बोलालो तुम खुद ही पढ़ लोशबनम ने पत्र लेकर पढ़ा था।पत्र पढ़कर वह पति की तरफ देखने लगी।"तुम्हे भी साथ चलना है,"वह बोला,"सास से तो मिलना पड़ेगा।आखिर बिना पूछे शादी कर ली ...Read More