खामोशी का रहस्य

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सीट पर बैठते ही दीपेन की नजर खिड़की के पास बैठी युवती पर पड़ी थी।उसे वह पहली बार देख रहा था।खिड़की के पास वह गुमसुम ,खामोश और चुपचाप बैठी थी।दीपेन ने उसे ध्यान से देखा था। रूखे उलझे हुए बाल,सुना सपाट चेहरा, सुनी मांग,सुनी कलाई और खोयी खोयी सी उदास आंखे। न जाने ऐसा क्या था उस युवती में की पहली बार मे ही उसने दीपेन के दिल मे जगह बना ली थी।उसकी मूरत दिल मे बस गयी थी।और उस दिन के बाद उस युवती को रोज देखना दीपेन की आदत बन गयी थी। वह रोज लोकल पकड़ने के लिए स्टेशन जाता था।और स्टेशन पहुंचते ही यात्रियो की भीड़ में उसे खोजता।जब वह दिख जाती तो वह राहत की सांस लेता।जिस दिन वह न दिखती वह बेचैन हो जाता।पूरे दिन उसकी याद आती रहती।और ऑफिस में उसका किसी काम मे मन न लगता।उसको उदास ,खामोश देखकर कोई सहकर्मी पूछता क्या बात है?उदास लग रहे हो |

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खामोशी का रहस्य - 1

सीट पर बैठते ही दीपेन की नजर खिड़की के पास बैठी युवती पर पड़ी थी।उसे वह पहली बार देख था।खिड़की के पास वह गुमसुम ,खामोश और चुपचाप बैठी थी।दीपेन ने उसे ध्यान से देखा था।रूखे उलझे हुए बाल,सुना सपाट चेहरा, सुनी मांग,सुनी कलाई और खोयी खोयी सी उदास आंखे।न जाने ऐसा क्या था उस युवती में की पहली बार मे ही उसने दीपेन के दिल मे जगह बना ली थी।उसकी मूरत दिल मे बस गयी थी।और उस दिन के बाद उस युवती को रोज देखना दीपेन की आदत बन गयी थी।वह रोज लोकल पकड़ने के लिए स्टेशन जाता था।और ...Read More