बुजुर्गो ने मुझे बहुत सी कहानियाँ सुनाई है उसमें से कुछ.... आशिष / आशीर्वाद *!! समस्या रूपी बंदर !! *एक बार स्वामी विवेकानंद को बंदरों का सामना करना पड़ा था। वह इस आप बीती को कई अवसरों पर बड़े चाव के साथ सुनाया करते थे। इस अनुभव का लाभ उठाने की बात भी करते थे।* *उन दिनों स्वामी जी काशी में थे, वह एक तंग गली में गुजर रहे थे। सामने बंदरों का झुंड आ गया। उनसे बचने के लिए स्वामी जी पीछे को भागे। परंतु वे उनके आक्रमण को रोक नहीं पाए। बंदरों ने उनके कपडे तो फाड़े ही शरीर पर बहुत-सी खरोंचें भी आ गईं। दो-तीन जगह दांत भी लगे। शोर सुनकर पास के घर से एक व्यक्ति ने उन्हें खिड़की से देखा तुरंत कहा- “स्वामी जी! रुक जाओ, भागो मत। घूंसा तानकर उनकी तरफ बढ़ो। “स्वामी जी के पांव रुके। घूंसा तानते हुए उन्हें ललकारने लगे। बंदर भी डर गए और इधर-उधर भाग खड़े हुए। स्वामीजी गली को बड़े आराम से पार कर गए।*
बुजुर्गो का आशिष -1
बुजुर्गो ने मुझे बहुत सी कहानियाँ सुनाई है उसमें से कुछ....आशिष / आशीर्वाद*!! समस्या रूपी बंदर !!*एक बार स्वामी को बंदरों का सामना करना पड़ा था। वह इस आप बीती को कई अवसरों पर बड़े चाव के साथ सुनाया करते थे। इस अनुभव का लाभ उठाने की बात भी करते थे।**उन दिनों स्वामी जी काशी में थे, वह एक तंग गली में गुजर रहे थे। सामने बंदरों का झुंड आ गया। उनसे बचने के लिए स्वामी जी पीछे को भागे। परंतु वे उनके आक्रमण को रोक नहीं पाए। बंदरों ने उनके कपडे तो फाड़े ही शरीर पर बहुत-सी खरोंचें ...Read More
बुजुर्गो का आशिष - 2
मैंने अपनी सुनी हुयी स्टोरी यहाँ पब्लिश कर के हमें आशिष चाहिए...*"राम की जीत, अहंकार की हार"।**बहुत समय पहले बात है, अयोध्या के राजा दशरथ के चार पुत्र थे—राम, लक्ष्मण, भरत, और शत्रुघ्न। उनमें से सबसे बड़े थे भगवान राम, जो सत्य और धर्म के मार्ग पर चलते थे। भगवान राम ने अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्षों के वनवास का जीवन बिताया।**वनवास के दौरान, लंका के राजा रावण ने अपने अहंकार और क्रोध के चलते माता सीता का हरण कर लिया। रावण बहुत शक्तिशाली था, परंतु उसका अहंकार और अन्याय उसे अंधा कर चुका ...Read More
बुजुर्गो का आशिष - 3
*आज का प्रेरक प्रसंग**"दीपावली का असली अर्थ: हौसले और मेहनत की जीत"*~~~~~~~~~~~~~~*बहुत समय पहले की बात है। एक छोटे गाँव में एक गरीब किसान रहता था। वह किसान पूरे साल कड़ी मेहनत करता, लेकिन उसकी फसल हमेशा किसी न किसी कारण से खराब हो जाती। एक बार जब दीपावली का त्योहार नजदीक आया, तो वह बहुत दुखी था, क्योंकि उसकी फसल बर्बाद हो चुकी थी और उसके पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वह अपने बच्चों के लिए दीपावली मना सके।**गाँव में उसी दौरान एक साधु आए। उन्होंने किसान को निराश देखकर कहा, "बेटा, हमेशा याद रखना कि ...Read More
बुजुर्गो का आशिष - 4
*️ *!! हंस और काग !!*~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~पुराने जमाने में एक शहर में दो ब्राह्मण पुत्र रहते थे, एक गरीब था दूसरा अमीर। दोनों पड़ोसी थे। गरीब ब्राह्मण की पत्नी उसे रोज़ ताने देती झगड़ती।एक दिन ग्यारस के दिन गरीब ब्राह्मण पुत्र झगड़ों से तंग आ जंगल की ओर चल पड़ता है ये सोच कर कि जंगल में शेर या कोई मांसाहारी जीव उसे मार कर खा जायेगा, उस जीव का पेट भर जायेगा और मरने से वो रोज की झिक झिक से मुक्त हो जायेगा।जंगल में जाते उसे एक गुफ़ा नज़र आती है। वो गुफ़ा की तरफ़ जाता है। गुफ़ा ...Read More
बुजुर्गो का आशिष - 5
पुराने पटारे से निकली हुई वार्ता ओर कई फोटोग्राफस पुराने समय की याद दिलाती हैँ ओर दादाजी से सुनी वार्ता आशीर्वाद स्वरुप मैं यहाँ सबको बाटने की कोशिश कर रहा हु, कैसी लगी वो आपको comments मे या ईमेल मै लिखकर भेजे तो ये सिविल इजनेर का दिल प्रसन्न होगा ओर ज्यादा कहानी लिखने का बल मिलेगा....*️ *!! अंत का साथी !!*~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~एक व्यक्ति के तीन साथी थे। उन्होंने जीवन भर उसका साथ निभाया। जब वह मरने लगा तो अपने मित्रों को पास बुलाकर बोला, “अब मेरा अंतिम समय आ गया है। तुम लोगों ने आजीवन मेरा साथ दिया है। ...Read More
बुजुर्गो का आशिष - 6
*️**"सुख और दुःख मन की देनहै -"*~~~~~~~~~~~~~~*एक गुरु के दो शिष्य थे। दोनों किसान थे। भगवान का भजन पूजन दोनों करते थे। स्वच्छता और सफाई पर भी दोनों की आस्था थी, किन्तु एक बड़ा सुखी था, दूसरा बड़ा दुखी।**गुरु की मृत्यु पहले हुई पीछे दोनों शिष्यों की भी। दैवयोग से स्वर्गलोक में भी तीनों एक ही स्थान पर जा मिले, पर स्थिति यहां भी पहले जैसी ही थी।**जो पृथ्वी में सुखी था, यहाँ भी प्रसन्नता अनुभव कर रहा था और जो आए दिन क्लेश-कलह आदि के कारण पृथ्वी में अशांत रहता था, यहाँ भी अशांत दिखाई दिया।**दुखी शिष्य ने ...Read More
बुजुर्गो का आशिष - 7
* *!! नया नज़रिया !!*~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~*झारखंड के एक छोटे से कस्बे में एक बालक के मन में नई-नई बातों को की जिज्ञासा थी। उस बालक के मोहल्ले में एक गुरुजी रहते थे। एक दिन बालक उनके पास गया और बोला, 'मैं कामयाब बनना चाहता हूं, कृपया बताएं कि कामयाबी का रास्ता क्या है?'**हंसते हुए गुरुजी बोले, 'बेटा, मैं तुम्हें कामयाबी का रास्ता बताऊंगा, पहले तुम मेरी गाय को सामने वाले खूंटे से बांध दो, कह कर उन्होंने गाय की रस्सी बालक को दे दी। वह गाय किसी के काबू में नहीं आती थी।**अतः जैसे ही बालक ने रस्सी थामी कि ...Read More
बुजुर्गो का आशिष - 8
पटारे मैं से निकली कहानी से ये भी याद आता हैँ की लोग अभी विश्वास जल्दी कर लेते हैँ.*️ बगुला और केकड़ा !!*~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~एक वन प्रदेश में एक बहुत बडा तालाब था। हर प्रकार के जीवों के लिए उसमें भोजन सामग्री होने के कारण वहां नाना प्रकार के जीव, पक्षी, मछलियां, कछुए और केकडे आदि वास करते थे। पास में ही बगुला रहता था, जिसे परिश्रम करना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था। उसकी आंखें भी कुछ कमज़ोर थीं। मछलियां पकडने के लिए तो मेहनत करनी पडती हैं, जो उसे खलती थी। इसलिए आलस्य के मारे वह प्रायः भूखा ही रहता। ...Read More
बुजुर्गो का आशिष - 9
पटारा खुलते ही नसीब खुल गया... जब पटारे मैं रखी गई हर कहानी मैं सिख मिलती हैँ क्योंकि वो कहानी दादाजी ने अपने अनुभव ओर बड़े साधु महात्मा से सुनी होतो हैँ ओर कागज़ मैं लिख लेते थे...*️ !! लालच बुरी बला है !!*~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~एक बार एक बुढ्ढा आदमी तीन गठरी उठा कर पहाड़ की चोटी की ओर बढ़ रहा था। रास्ते में उसके पास से एक हष्ट - पुष्ट नौजवान निकाला। बुढ्ढे आदमी ने उसे आवाज लगाई कि बेटा क्या तुम मेरी एक गठरी अगली पहाड़ी तक उठा सकते हो ? मैं उसके बदले इसमें रखी हुई पांच तांबे ...Read More