कोमल की डायरी

(1)
  • 1.4k
  • 0
  • 363

हर रचना की एक आधारभूमि होती है। स्थानीयता का सच जब वैश्विक सच में बदल जाता है, रचना काल एवं स्थान की सीमाओं का अतिक्रमण कर जाती है। कोई भी उपन्यासकार हवा में मुक्के नहीं चलाता। उसकी लेखनी समाज के विविध वर्णों, बिम्बों को उभारती हुई एक दिशा पकड़ती है। उसमें अतीत की स्मृतियाँ, वर्तमान की चुनौतियाँ, भविष्य का स्वप्न सन्निहित होता है। अतीत और भविष्य जिस विन्दु पर मिलते हैं, वही वर्तमान है। वर्तमान का विस्तार अतीत एवं भविष्य दोनों को समेटता है। वर्तमान को व्याख्यायित करने के लिए भी अतीत की आवश्यकता होती है। वही तीसरी आँख बन वर्तमान को अर्थ प्रदान करता है।

1

कोमल की डायरी - 1 - नदिया धीरे बहो

तेरा तुझको सौंपते..............?हर रचना की एक आधारभूमि होती है। स्थानीयता का सच जब वैश्विक सच में बदल जाता है, काल एवं स्थान की सीमाओं का अतिक्रमण कर जाती है। कोई भी उपन्यासकार हवा में मुक्के नहीं चलाता। उसकी लेखनी समाज के विविध वर्णों, बिम्बों को उभारती हुई एक दिशा पकड़ती है। उसमें अतीत की स्मृतियाँ, वर्तमान की चुनौतियाँ, भविष्य का स्वप्न सन्निहित होता है। अतीत और भविष्य जिस विन्दु पर मिलते हैं, वही वर्तमान है। वर्तमान का विस्तार अतीत एवं भविष्य दोनों को समेटता है। वर्तमान को व्याख्यायित करने के ...Read More

2

कोमल की डायरी - 2 - शहर एक गांव है

दोशहर एक गांव है इतवार, जनवरी, 2006 आज नित्य की भांति, मैं गांधी की मूर्ति के पास अशोक के पेड़ के निकट बैठा था। एक युवती एवं युवा झोला लटकाए वहीं पहुंच गए। मूर्ति का चित्र खींचा। उस समय वहाँ और कोई नहीं था।दोनों मेरे पास आ गए। अपना नाम सुमित और जयन्ती बताया। सुमित जयन्ती को जेन कहता है। दोनों जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र हैं। गोण्डा की धरती के सांस्कृतिक एवं सामाजिक परिवेश का अध्ययन करने आए ...Read More