बहरूपिया बकरी

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जिंदगी कभी कभी अच्छी तो कभी ज़ालिम हो जाती हैं। कभी अच्छे तो कभी बुरे पल दिखाती हैं।जो लिखा हैं वही हो रहा हैं, वही हुआ था और वही होगा। हर गांव और शहर अपने सीने में अनसुनी अनकही हजारों कहानियां दफ़न कर के रखता हैं जिसका पता तब चलता हैं जब कोई आपबीती हो जाएं और जब किसी पर कोई मुसीबत आ जाए। ये कहानी हैं ऐसे ही एक शहर का जो दिन में जमाने भर की खुशियां बाटता नजर आ रहा हैं और वही रात के अंधेरे में कई अनजान कहानियां समेटे हुए हैं। एक रात एक आदमी रात की नौकरी कर के अपनी छोटी सी कंपनी से निकला। सर पर इतनी जिम्मेदारियां और चेहरे पर थकान के भाव लिए अपने घर की और निकला।

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बहरूपिया बकरी - 1

जिंदगी कभी कभी अच्छी तो कभी ज़ालिम हो जाती हैं। कभी अच्छे तो कभी बुरे पल दिखाती हैं।जो लिखा वही हो रहा हैं, वही हुआ था और वही होगा।हर गांव और शहर अपने सीने में अनसुनी अनकही हजारों कहानियां दफ़न कर के रखता हैं जिसका पता तब चलता हैं जब कोई आपबीती हो जाएं और जब किसी पर कोई मुसीबत आ जाए।ये कहानी हैं ऐसे ही एक शहर का जो दिन में जमाने भर की खुशियां बाटता नजर आ रहा हैं और वही रात के अंधेरे में कई अनजान कहानियां समेटे हुए हैं।एक रात एक आदमी रात की नौकरी ...Read More