गॉंव के किनारे पर स्थित एक प्राचीन हवेली थी, जिसे लोग "अन्धकार का किला" कहते थे। यह हवेली घने जंगल के बीचोबीच स्थित थी, जहां दिन में भी सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती थी। इस हवेली के बारे में कहा जाता था कि वहां जाने वाला कोई भी व्यक्ति वापस नहीं लौटता। हवेली का इतिहास भी रहस्यमयी था। गांव वाले बताते थे कि सालों पहले यहां एक अमीर जमींदार रहता था, जिसने अपनी हवस और लालच में अनेकों निर्दोष लोगों की बलि दी थी। उनकी आत्माएं अब उस हवेली में भटकती हैं, और वहां किसी भी इंसान के आने पर उसे कभी जीवित नहीं छोड़तीं।
भय का कहर.. - भाग 1
भय का कहर.....गॉंव के किनारे पर स्थित एक प्राचीन हवेली थी, जिसे लोग "अन्धकार का किला" कहते थे। यह घने जंगल के बीचोबीच स्थित थी, जहां दिन में भी सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती थी। इस हवेली के बारे में कहा जाता था कि वहां जाने वाला कोई भी व्यक्ति वापस नहीं लौटता। हवेली का इतिहास भी रहस्यमयी था। गांव वाले बताते थे कि सालों पहले यहां एक अमीर जमींदार रहता था, जिसने अपनी हवस और लालच में अनेकों निर्दोष लोगों की बलि दी थी। उनकी आत्माएं अब उस हवेली में भटकती हैं, और वहां किसी भी इंसान के ...Read More
भय का कहर.. - भाग 2
कमरे की दीवारों से खून टपकने लगा, और…….भय का गह्वर (मध्य भाग)अर्जुन और उसके दोस्तों की मौत के बाद, वालों ने उस भयावह हवेली को पूरी तरह बंद कर दिया। लेकिन फिर भी, गांव में रात के समय एक अजीब-सी बेचैनी बनी रहती थी। हवेली के आसपास से गुजरने वाले लोगों को अचानक ठंडक महसूस होती, और उन्हें अर्जुन और उसके दोस्तों की दबी-दबी चीखें सुनाई देतीं। इस घटना के बाद से, गांव वालों में एक गहरी दहशत बैठ गई थी।कुछ महीनों बाद, गांव में एक नए परिवार का आगमन हुआ। यह परिवार शहर से आया था, और वे ...Read More
भय का कहर.. - भाग 3
भय का गह्वर (अंतिम भाग)हवेली में रमेश और उसके परिवार के साथ हुई घटनाओं के बाद, गांव पर एक सन्नाटा छा गया था। लोग अब उस हवेली के बारे में बात करने से भी डरने लगे थे। गांव के बुजुर्गों ने तय किया कि उस हवेली को हमेशा के लिए बंद कर देना चाहिए, ताकि कोई और उसकी भेंट न चढ़ सके। एक तांत्रिक को बुलाया गया, जिसने हवेली के चारों ओर रक्षा कवच डालने का दावा किया। हवेली को मोटी लोहे की जंजीरों से जकड़ दिया गया और गांववालों ने उस रास्ते पर जाना पूरी तरह से बंद ...Read More
भय का कहर.. - भाग 4
भय का गह्वर (एक अंतिम रहस्य)गांव में आदित्य के साहसिक कार्य के बाद, लोग मानने लगे थे कि हवेली अभिशाप का अंत हो चुका है। हवेली को फिर से सील कर दिया गया और गांववालों ने राहत की सांस ली। लेकिन इस शांति का एक गहरा रहस्य छिपा था, जिसे बहुत कम लोग समझ सके थे।कुछ महीनों बाद, गांव में एक नया पुजारी आया, जिसका नाम था महंत नारायण। वह एक गहन अध्येता था और अपने पूर्वजों से विरासत में मिले कई रहस्यमयी ग्रंथों का ज्ञाता था। गांव में पहुंचने के कुछ ही दिनों बाद, नारायण ने हवेली की ...Read More
भय का कहर.. - भाग 5
भय का गह्वर (रहस्य का पुनरागमन)महंत नारायण द्वारा हवेली के अभिशाप को समाप्त किए जाने के बाद, गांव में सालों तक शांति रही। लोग अब फिर से सामान्य जीवन जीने लगे थे। लेकिन जैसे कि हर रहस्य के साथ होता है, समय के साथ, हवेली की कहानियों को लोग भूलने लगे थे। हवेली अब सिर्फ एक खंडहर बन चुकी थी, जिसे अतीत के भूतिया किस्सों के अलावा कोई याद नहीं करता था। लेकिन जैसा कि कहा जाता है, कुछ रहस्य कभी खत्म नहीं होते, वे बस गहराई में छिप जाते हैं।कई वर्षों बाद, गांव में एक नया शिक्षक आया, ...Read More
भय का कहर.. - भाग 6
भय का गह्वर (एक अंतहीन अंधकार)राहुल और उसके साथियों की गुमशुदगी के बाद, गांव में एक बार फिर से का माहौल बन गया था। गांव के बुजुर्गों ने सलाह दी कि हवेली को पूरी तरह से ढहा दिया जाए, ताकि उसका भयानक इतिहास हमेशा के लिए समाप्त हो जाए। लेकिन इसके खिलाफ भी कई तर्क थे, क्योंकि लोग मानते थे कि अगर हवेली को ध्वस्त किया गया, तो उसमें बंधी हुई आत्माएं पूरी तरह से आज़ाद हो जाएंगी और गांव पर कहर बरपाएंगी।गांव के कुछ लोगों ने हवेली की निगरानी के लिए एक दल गठित किया। इस दल के ...Read More
भय का कहर.. - भाग 7
भय का गह्वर (अंतहीन दहशत)स्वामी अधिराज और उसके अनुयायियों की रहस्यमय गुमशुदगी के बाद, गांव के लोग अब हवेली नाम तक लेने से कतराने लगे थे। उन्होंने मान लिया था कि हवेली का अभिशाप इतना गहरा और शक्तिशाली है कि उसे खत्म करना असंभव है। गांव के बुजुर्गों ने फैसला किया कि हवेली के आसपास के क्षेत्र को पूरी तरह से सील कर दिया जाए और वहां किसी को भी जाने की इजाजत न दी जाए।कुछ ही समय में, हवेली के चारों ओर ऊंची दीवारें खड़ी कर दी गईं, और इसके दरवाजों पर बड़े-बड़े ताले लगा दिए गए। गांव ...Read More