गर्भ संस्कार क्या है ? सरल शब्दों में अगर गर्भ संस्कार को समझाया जाए तो इसका मतलब होता है— बच्चों को गर्भ से ही संस्कार प्रदान करना, ताकि वे समाज में अपनी आदर्श छवि प्रस्तुत कर पाएं। बहुत से लोग इस बारे में प्रश्न उठाते हैं कि गर्भ में बच्चे को कैसे संस्कार दिये जा सकते हैं। तो आपको बता दें कि ये बातें सिर्फ धार्मिक रूप से ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी सच साबित हुई हैं कि गर्भ में पल रहा शिशु किसी चैतन्य जीव की तरह व्यवहार करता है। वह सुनता भी है, समझता भी है, साथ ही ग्रहण भी करता है। गर्भ संस्कार की विधि गर्भ धारण के पूर्व से ही शुरू हो जाती है। गर्भ संस्कार में गर्भवती महिला की दिनचर्या, उसका आहार, ध्यान, गर्भस्थ शिशु की देखभाल कैसी की जाए, इन सभी बातों का वर्णन किया गया है। इस बात से हर कोई सहमत होगा कि गर्भावस्था के दौरान महिला जो खाती है, उसका असर शिशु पर जरूर होता है। उसी प्रकार महिला क्या सोचती है, क्या बोलती है व क्या पढ़ती है, उसका असर भी गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ता है। इसलिए, गर्भवती महिला को उत्तम भोजन करना चाहिए और हमेशा प्रसन्न रहना चाहिए।
बच्चों में डाले गर्भ से संस्कार - 1
गर्भ संस्कार क्या है ?सरल शब्दों में अगर गर्भ संस्कार को समझाया जाए तो इसका मतलब होता है— बच्चों गर्भ से ही संस्कार प्रदान करना, ताकि वे समाज में अपनी आदर्श छवि प्रस्तुत कर पाएं। बहुत से लोग इस बारे में प्रश्न उठाते हैं कि गर्भ में बच्चे को कैसे संस्कार दिये जा सकते हैं। तो आपको बता दें कि ये बातें सिर्फ धार्मिक रूप से ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी सच साबित हुई हैं कि गर्भ में पल रहा शिशु किसी चैतन्य जीव की तरह व्यवहार करता है। वह सुनता भी है, समझता भी है, साथ ...Read More
बच्चों में डाले गर्भ से संस्कार - 2
गर्भ संस्कार से जुड़ी प्रचलित कहानियां:- अभिमन्यु की गर्भ संस्कार की कहानी—गर्भ संस्कार को लेकर अक्सर अभिमन्यु की कहानी जाती है। यह महाभारत की प्रख्यात घटनाओं में से एक है। इस संदर्भ में महाभारत की सुविख्यात घटना है कि महाभारत युद्ध के समय एक दिन द्रोणाचार्य ने पांडवों का वध करने के लिए चक्रव्यूह की रचना की। उस दिन चक्रव्यूह का रहस्य जानने वाले एकमात्र अर्जुन को कौरव बहुत दूर तक भटका ले गए और इधर पांडवों के पास चक्रव्यूह भेदन का आमंत्रण भेज दिया। यह जानकर सारी सभा सन्नाटे में थी, तब 23 वर्षीय राजकुमार अभिमन्यु खड़े हुए ...Read More
बच्चों में डाले गर्भ से संस्कार - 3
वेदों के अनुसार ऐसे कारक जो गर्भ में बच्चे के विकास को प्रभावित करते हैं—गर्भावस्था में शिशु व माता बहुत ही प्रगाढ़ संबंध होता है। माता के पेट में शिशु 9 माह गुजारता है। इस अवधि में शिशु को एक अति कोमल नाल के द्वारा माता के श्वास से श्वास तथा भोजन से पोषण मिलता रहता है। इस दौरान स्वाभाविक ही माता के शारीरिक, मानसिक व नैतिक स्थिति का प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर पड़ता है। कुछ महत्वपूर्ण कारक (फैक्टर्स) होते हैं जो कि एक बच्चे के विकास को प्रभावित करते है इन कारकों को समझने के लिए कुछ उदाहरण ...Read More
बच्चों में डाले गर्भ से संस्कार - 4
मेडिकल साइंस के अनुसार ऐसे कारक जो गर्भ में बच्चे के विकास को प्रभावित करते हैं— पहले हमने बात वेदों के अनुसार ऐसे कारक जो गर्भ में बच्चे के विकास पर असर करते हैं। तो अब हम बात करते हैं मेडिकल साइंस इसके बारे में क्या कहता है— मेडिकल साइंस बिना किसी रिसर्च के कुछ भी बात स्वीकार नहीं करता है। मेडिकल साइंस केवल जो बातें साइंटिफिक प्रूव होती हैं उन्हीं पर विश्वास करता है। तो साइंटिफिकलि प्रूव यानी रीसर्चर के द्वारा काफी रिसर्च करके उस बात को प्रूव किया जाता है। तब उस बात को मेडिकल साइंस मानता ...Read More
बच्चों में डाले गर्भ से संस्कार - 5
मां की भावनाओं का गर्भ में बच्चे के डेवलपमेंट पर प्रभाव—संतान की प्रथम शिक्षिका माँ ही होती है। इतिहास बात का साक्षी है कि आदर्श माताएँ अपनी संतान को श्रेष्ठ एवं आदर्श बना देती हैं। माँ के जीवन और उसकी शिक्षा का बालक पर सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है। माँ संतान में बचपन से ही सुसंस्कारों की नींव डाल सकती है। संतान की जीवन वाटिका को सद्गुणों के फूलों से सुशोभित करने से खुद माता का जीवन भी सुवासित और आनंदमय बन जायेगा। संतान में यदि दुर्गुण के काँटें पनपेंगे तो वे माता को भी चुभेंगे और शिशु, माता एवं ...Read More
बच्चों में डाले गर्भ से संस्कार - 6
बच्चे कि पांचो इन्द्रिया गर्भ में ही डेवलप हो जाती है—बच्चे कि पांचो इन्द्रिया गर्भ में ही डेवलप हो है। मानव शरीर में पांच इंद्रियां होती है - छूना, चखना, सूँघना, सुनना , देखना। ये सम्पूर्ण इन्द्रिया गर्भ में कम्प्लीटली डेवलप हो जाती है। प्रथम इंद्रिय छूना नौवें सप्ताह में डेवेलोप हो जाती है। उसके के बाद द्वितीय इंद्रिय सूँघना तो ऑलमोस्ट दसवे से तेहरवें सप्ताह में डेवेलोप हो जाती है। उसके के बाद तृतीय इंद्रिय चखना तो तेहरवें से पन्द्रवे सप्ताह में डेवेलोप हो जाती है। उसके के बाद चौथी इंद्रिय सुनना वो 18 से 25 सप्ताह में ...Read More
बच्चों में डाले गर्भ से संस्कार - 7
गर्भ संवाद—गर्भ संवाद क्या है? क्या गर्भस्थ शिशु से संवाद सम्भव है? गर्भस्थ शिशु जिस तरह आहार के लिए पर निर्भर है, उसी तरह विचार के लिए भी मां पर निर्भर है।मां को दिया भोजन, दवाएं और इंजेक्शन गर्भस्थ शिशु तक पहुंच जाता है। इसी तरह मां से किया संवाद गर्भ तक पहुंच जाता है। माँ की आंख से बच्चा देखता है, मां के कान से सुनता है, मां के मन में उठ रहे विचार बच्चे के अंदर भी वही भाव उतपन्न करते है। माँ जो नया कुछ सीखती है वो बच्चा भी सिखता है।गर्भावस्था में मां को मधुर ...Read More