हीर रांझा.

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चेनाब नदी के किनारे एक खूबसूरत जगह है- तख़्त हजारा। यहाँ बहने वाले दरिया की लहरें और बगीचे की खुशबू की वजह से इसे पूरब का स्वर्ग कहा जाता है। यही रांझाओं की धरती है जो मस्ती से यहाँ रहते हैं।इस बस्ती के नौजवान खूबसूरत और बेपरवाह किस्म के हैं। वे कानों में बालियाँ पहनते हैं और कंधे पर नए शॉल रखते हैं। उनको अपनी खूबसूरती पर गर्व है और सभी इसमें एक-दूसरे को मात देते दिखते हैं।इसी बस्ती का मुखिया था जमींदार मौजू चौधरी। वह आठ बेटे और दो बेटियों का बाप था। वह बहुत धनी और खुशहाल था

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हीर रांझा - 1

चेनाब नदी के किनारे एक खूबसूरत जगह है- तख़्त हजारा। यहाँ बहने वाले दरिया की लहरें और बगीचे की की वजह से इसे पूरब का स्वर्ग कहा जाता है। यही रांझाओं की धरती है जो मस्ती से यहाँ रहते हैं।इस बस्ती के नौजवान खूबसूरत और बेपरवाह किस्म के हैं। वे कानों में बालियाँ पहनते हैं और कंधे पर नए शॉल रखते हैं। उनको अपनी खूबसूरती पर गर्व है और सभी इसमें एक-दूसरे को मात देते दिखते हैं।इसी बस्ती का मुखिया था जमींदार मौजू चौधरी। वह आठ बेटे और दो बेटियों का बाप था। वह बहुत धनी और खुशहाल था ...Read More

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हीर रांझा - 2

साहिबा की बात सुनकर रांझा को बहुत गुस्सा आया और उसने जवाब दिया, "सही कहा गया है कि औरत होती है। तुम औरतों ने समस्या खड़ी की और मुझे मेरे भाइयों से अलग करवा दिया। मैं एक खुश जिंदगी जी रहा था लेकिन तुम्हारी बुरी जुबान के कारण घर में झगड़े शुरू हुए। तुम औरतें मर्दों को उकसाती हो ताकि एक-दूसरे से लड़ पड़ें।"साहिबा ने उतनी ही तल्खी से उलटकर कहा, "तुमबहुत ज़्यादा दूध और चावल खा रहे हो, इसलिएतना घमंड दिखा रहे हो। एक तुम ही हो जो हमारे परिवार पर कलंक हो। अगर घर छोड़ दो और ...Read More

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हीर रांझा - 3

बहुत दूर चलने के बाद रांझा एक मस्जिद के पास पहुँचा जो मक्का और यरूशलम के मस्जिद जैसा ही था। भूख और ठंड के मारे उसका बुरा हाल था और वह बहुत थका हुआ था। उसने अपनी बाँसुरी निकाली और बजाने लगा।उसके संगीत से आसपास जादू सा होने लगा। कुछ लोग सुनकर अपना होश खो बैठे और कुछ उसकी तरफ खिंचे चले आए। पूरा गाँव उसके आसपास जुट गया। अंत में मुल्ला आया जो झगड़ालू किस्म का था।रांझा को देखते ही वह कहने लगा, "लंबे बालों वाला यह काफिर कौन है? यहाँ ठगों के रहने के लिए जगह नहीं ...Read More

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हीर रांझा - 4

दिन में तीसरे पहर जब सूरज पश्चिम दिशा में ढ़लने के लिए चल पड़ा, उस समय रांझा चेनाब नदी किनारे खड़ा था। वहां कई और यात्री जमा थे जो नदी पार करवाने वाले मांझी लुड्डुन का इंतजार कर रहे थे।रांझा ने मांझी से कहा,' ऐ दोस्त, खुदा के लिए मुझे नदी पार करा दो।' लुड्डुन मांझी अपने तोंद पर हाथ फेरता हुआ हंसने लगा और उसका मजाक उड़ाते हुए बोला, 'खुदा का प्यार हमारे लिए कोई मायने नहीं रखता। हम तो पैसे के लिए नदी में नाव चलाते हैं।'रांझा उससे गुजारिश करते हुए बोला, 'मैं एक जरूरी यात्रा पर ...Read More