प्रताप गढ़ ( राजस्थान) एक आलीशान कमरे में तीन लड़की बिस्तर पर बैठी थी। तीनों ने राजस्थानी कपड़े पहने थे और तीनो बहुत ही खूबसूरत और प्यारी थी तीनो लड़कियां बीस से बाईस के बीच की थी, उनके आगे में बहोत सारी किताबें खुली हुई थी जो देखने से गुप्त और रहस्यमई पुस्तकें लग रही थी, वो पुस्तक काफी पुराने थे लेकिन अच्छे रख रखाव की वजह से उनके सारे पन्ने एक सूत्र में बंध कर अपने शान और ज्ञान दोनो को बरकरार रखे थे। उनमें से कुछ पुस्तक ग्रीक भाषा के थे तो कुछ तिब्बती भाषा के और कुछ दुनिया के सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत में लिखे हुए थे। वो तीनो उन पुस्तकों में खोई हुई थी की तभी उनमें से एक लड़की जिसका नाम वैशाली था वो बोलती है, "चंद्रा ऐसे कैसे चलेगा हम सब खुद से इस मोटी मोटी किताबों में कितना ही माथा फोड़ लें, लेकिन कुछ समझ नहीं आने वाला।"
मोहिनी ( प्यास डायन की ) - 1
जय श्री कृष्णा ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने,प्रणतः क्लेश नाशाय गोविंदाय नमो नमः।हे फैमिली आशा है आपको मेरी ये पसंद आएगी ! कॉमेंट और लाइक जरुर करें ! प्रताप गढ़ ( राजस्थान)एक आलीशान कमरे में तीन लड़की बिस्तर पर बैठी थी। तीनों ने राजस्थानी कपड़े पहने थे और तीनो बहुत ही खूबसूरत और प्यारी थी तीनो लड़कियां बीस से बाईस के बीच की थी, उनके आगे में बहोत सारी किताबें खुली हुई थी जो देखने से गुप्त और रहस्यमई पुस्तकें लग रही थी, वो पुस्तक काफी पुराने थे लेकिन अच्छे रख रखाव की वजह से उनके सारे पन्ने एक ...Read More
मोहिनी ( प्यास डायन की ) - 2
जय श्री कृष्णा ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने,प्रणतः क्लेश नाशाय गोविंदाय नमो नमः।चंद्रा का कमरा ,वैशाली की बात सुन उसका मूंह ताकने लगती है ,तभी चंद्रा कहती है !चंद्रा "देखो विशु कुछ उल्टा तरीका है , तो उसे अपने पास ही रखो ,वैसे भी तुम्हारा दिमाग कुछ ज्यादा ही उल्टा चलता है ! "चंद्रा की बात पर तारा भी सहमति में अपना सर हिलाती है , जिसे देख कर वैशाली का तो मूंह ही बन जाता है , वैशाली थोड़ी देर तक उन दोनो का मूंह देखती है फिर एक दम से झल्ला कर कहती है ।वैशाली (झल्लाते हुए) ...Read More
मोहिनी ( प्यास डायन की ) - 3
जय श्री कृष्णा ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने,प्रणतः क्लेश नाशाय गोविंदाय नमो नमः।तारा का कमरातीनों उदास हो कर बैठे को देख कर ही समझा जा सकता था की वो सब कितनी उदास है।तारा( मायूसी से )" इसे कहते है, निवाला मूंह तक तो आया पर पेट में नही गया, सारी मेहनत बरबाद हो गई "वैशाली" अब क्या करे ? ऐसे तो नही बैठ सकते कुछ तो सोचो क्या करे "चंद्रा"अब करना क्या है, अब हमे पहले वो सारी चीजें सीखनी होगी जो उस मणि के रहस्य को खोलने में सहायक हो, इसके लिए पहले हमे एक गुरु की तलाश ...Read More
मोहिनी ( प्यास डायन की ) - 4
जय श्री कृष्णा ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने,प्रणतः क्लेश नाशाय गोविंदाय नमो नमः।चंद्रा का कमरा,चंद्रा, वैशाली, और तारा तीनो पर ही बैठे थे।और उनके सामने तीन चार किताबे रखी थी, तीनो उसे पढ़ने में लगी हुई थी। वातावरण बिल्कुल शांत था, कमरे की घड़ी दस बजा रही थी, घड़ी से सुईयों के चलने की आवाज साफ तौर पर सुनाई पर रही थी, तीनो ही अपने पुस्तकों में गुम किसी और ही दुनिया की सैर कर रही थी, एक ऐसी दुनिया जहां शक्तियों और साधनाओं का जहान है, जहां भक्ति और परिश्रम की बात थी,जहां सांसारिक द्वेष के परे आध्यात्मिकता ...Read More