जीवन को सफल नही सार्थक बनाए

(128)
  • 224.2k
  • 45
  • 71.1k

आत्म कथ्य जीवन और हम जीवन में असफलताओं को करो स्वीकार मत होना निराश इससे होगा वास्तविकता का अहसास। असफलता को सफलता में परिवर्तित करने का करो प्रयास। समय कितना भी विपरीत हो मत डरना साहस और भाग्य पर रखना विश्वास, अपने पौरूष को कर जाग्रत धैर्य एवं साहस से करना प्रतीक्षा सफलता की पौरूष दर्पण है भाग्य है उसका प्रतिबिम्ब दोनो का समन्वय बनेगा सफलता का आधार। कठोर श्रम, दूर दृष्टि और पक्का इरादा कठिनाईयों को करेगा समाप्त होगा खुशियों के नए संसार का आगमन विपरीत परिस्थितियों का होगा निर्गमन पराजित होंगी कुरीतियाँ होगा

Full Novel

1

जीवन को सफल नही सार्थक बनाए

आत्म कथ्य जीवन और हम जीवन में असफलताओं को करो स्वीकार मत होना निराश इससे होगा वास्तविकता का अहसास। असफलता को सफलता में परिवर्तित करने का करो प्रयास। समय क ...Read More

2

जीवन को सफल नही सार्थक बनाये भाग -२

9. अनुभव इंजी सुरेंद्र श्रीवास्तव एक अच्छे आर्किटेक्ट माने जाते हैं। उनके कुशल मार्गदर्शन नगर की अनेक इमारतों का निर्माण संपन्न हुआ है। एक सहकारी बैंक का निर्माण भी उनके मार्गदर्शन में हो रहा था। एक दिन उस निर्माणाधीन इमारत के निरीक्षण हेतु जनप्रतिनिधिगण शासकीय अधिकारीयों के साथ पहुँचते हैं। वे अवलोकन के दौरान अपना सुझाव देते हैं कि भूकंप के दौरान सुरक्षा की दृष्टि से इमारत को अधिक मजबूती प्रदान करने हेतु समुचित प्रावधान कर दें ताकि किसी प्रकार की कोई समस्या भविष्य में निर्मित ना हो। यह सुनकर श्रीवास्तव जी ने अपनी सहमति व्यक्त करते हुये ...Read More

3

जीवन को सफल नही सार्थक बनाये भाग - ३

उनका जीवन बड़ी पीड़ादायक स्थिति में बीत रहा था। एक रात अचानक ही उन्होनें स्वप्न में देखा की प्रभु कह रहे हैं कि तुम मुझे किस बात की उलाहना दे रहे हो ? याद करो एक बालक भूखा प्यासा मंदिर की शरण में आया था अपने उदरपूर्ति के लिये विनम्रतापूर्वक दो रोटी माँग रहा था परंतु तुमने उसकी एक ना सुनी और उसे दुत्कार कर भगा दिया। एक दिन एक वृद्ध बरसते हुये पानी में मंदिर में आश्रय पाने के लिये आया था। उसे मंदिर बंद होने का कारण बताते हुये तुमने बाहर कर दिया था। गांव के कुछ विद्यार्थीगण अपनी शाला के निर्माण के लिये दान हेतु निवेदन करने आये थे। ...Read More

4

जीवन को सफल नही सार्थक बनाये भाग - ४

31. जादू की यादें अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त जादूगर एस. के. निगम कहते है कि जादू एक मिश्रित विज्ञान है। जादू में कोई अलौकिक शक्ति नहीं होती वह एक कला है। यह एक सशक्त रोजगार का साधन बन सकता है, हमारे देश को बहुमूल्य विदेशी मुद्रा दिला सकता है तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में प्रगाढ़ता ला सकता है। यह एक ऐसी कला है जिसमें लोग धर्म, जाति, भाषा, राष्ट्रीयता को भूलकर जादू को रहस्य-रोमांच की नजर से देखते हुए स्वस्थ्य मनोरंजन पाकर प्रसन्न होते हैं। श्री निगम ने अपने जीवन में जादू के प्रदर्शन के दौरान घटी कुछ रोचक एवं ...Read More

5

जीवन को सफल नही सार्थक बनाये भाग -५

41. कालिख श्री पुरूषोत्तम भट्ट एक सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश हैं। उनके जीवन में आये अविस्मरणीय में से एक आनर किलिंग का ऐसा प्रकरण है जिसमें एक अबोध की हत्या न केवल हमारे झूठे अहंकार का उदाहरण है वरन् वह अव्यवहारिक और मूखर्तापूर्ण आचरण को भी दर्शाता है। एक गांव की एक लड़की का विवाह उसके गांव के नजदीक के ही दूसरे गांव में हुआ। लड़की विदा होकर जब ससुराल पहुँची तभी उसके पेट में दर्द होने लगा। गांव के वैद्य को जब उसके उपचार के लिये बुलाया गया तो पता चला कि वह गर्भवती है। उसने एक पुत्र ...Read More

6

जीवन को सफल नही सार्थक बनाये भाग - ६

51. प्रेरणा एक नेत्रहीन विद्यार्थियों के विद्यालय में उनके वार्षिक दिवस के अवसर पर प्रधानाध्यापक ने अपने उद्बोधन में कहा कि नेत्रहीन व्यक्ति भी जीवन में उन्नति के शिखर पर पहुँच कर महान बन सकता है। हमें नेत्रहीन होने के कारण अपने मन में हीन भावना से ग्रसित नही होना चाहिये। संत सूरदास जी उदाहरण देते हुये वे बोले कि उनका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके नेत्रहीन होने के कारण बचपन से ही वे उपेक्षित थे। जब वे युवा हुये तो वे काव्य और संगीत शास्त्र का अध्ययन और अभ्यास करने लगे। वे भगवद् भक्त ...Read More

7

जीवन को सफल नही सार्थक बनाये भाग - ७

61. कर्तव्य सुप्रसिद्ध समाचारपत्र देशबंधु के प्रबंध निर्देशक दीपक सुरजन ने अपने विचार इन शब्दों में व्यक्त कि जीवन में कोई भी व्यक्तित्व तभी सफल होता है जब उसके जीवन को सही वक्त पर सही दिशा देने वाले प्रेरक का मार्गदर्शन प्राप्त हो। हमारे जीवन में ऐसे व्यक्तित्व भी प्रेरणा देते है जो शून्य से शिखर तक पहुँचे है। आज से नही आदिकाल से ही मनुष्य जीवन में आदर्श चरित्रों महानायकों प्रेरक प्रसंगों का खासा महत्व रहा है। ये प्रेरणादाता, शिक्षक, मित्र, परिवार के सदस्य या कोई अन्य भी हो सकते है। वे अपने जीवन की सफलता की ...Read More

8

जीवन को सफल नही सार्थक बनाये भाग - ८

71. पड़ोसी धर्म आम आदमी की जिंदगी मे भी कुछ घटनाएँ इस तरह घटित होती है व्यक्ति के मस्तिष्क में अंकित हो जाती है और उसे मानवीय आधार पर कार्य करने की प्रेरणा देती है। ऐसा कहते हुए श्रीमती ममता गिरिराज चाचा ने एक घटना के विषय में विस्तारपूर्वक बताया जिसने उनके मन, मस्तिष्क को झकझोर दिया था। वे अपने परिवार के साथ जिस स्थान पर निवास करती थी, वहाँ चर्च, गुरूद्वारा, मंदिर एवं मस्जिद बने हुए थे और सभी धर्म के अनुयायी अपने अपने धर्म और श्रद्धा के अनुसार पूजन, अर्चन, वंदन करते हुए अपने परिवार के ...Read More

9

जीवन को सफल नही सार्थक बनाये भाग - ९

81. जीवन का सच वरिष्ठ कवियत्री तथा लेखिका, म.प्र.लेखिका संघ की अध्यक्ष श्रीमती अर्चना मलैया भावनात्मक होते हुये एक घटना के विषय में बताया। यह बात उस समय की है जब वे बी.ए. अंतिम वर्ष की छात्रा थी, उन्होंने अपनी कक्षा में प्रवेश ही किया था कि पता चला कि हिंदी साहित्य की व्याख्याता के एकमात्र भतीजे की दो दिन पूर्व नदी में डूब जाने से अकाल मृत्यु हो गयी। हम सभी मन से दुखी हो गये थे। हमने देखा की वे व्याख्याता मेडम प्रतिदिन की तरह कक्षा में पढ़ाने हेतु आ रही थी। हम आश्चर्य में डूबे ...Read More

10

आपदा प्रबंधन

आपदा प्रबंधन गोकुलदास नाम का एक नवयुवक नये साल की पूर्व संध्या का आनंद उठाने के लिए गया था। वहाँ वह सायंकाल के समय विश्व प्रसिद्ध बुर्ज खलीफा होटल के पास एक रेस्टारेंट में बैठकर वहाँ का मनोहारी दृश्य देख रहा था। वहाँ पर चारों ओर दर्शकों का सैलाब था। सभी रास्ते सिर्फ पैदल चलने वालों के लिए ही खुले थे। शाम से ही मनोरंजक कार्यक्रमों का शुभारंभ हो गया था और रात्रि में साढें दस बजे तक नववर्ष के आगमन का जश्न पूरे शबाब पर पहुँच चुका था। उसी समय अचानक ही सामने की ओर स्थित ...Read More

11

नवोदय

नवोदय रामसिंह बहुत संपन्न परिवार से थे, उनका भारतीय पुलिस सेवा में चयन हो जाने से वे प्रसन्न थे क्योंकि जनता की सेवा की कामना उनके मन में बचपन से ही थी। वे बहुत ही कुशल, ईमानदार, साहसी एवं विनम्र व्यक्तित्व के धनी माने जाते थे। एक बार अचानक ही भूकंप आने से धरती दहल गई इससे जानमाल के नुकसान के साथ साथ बहुत बड़ी आर्थिक क्षति भी जनता को हुई। ...Read More

12

विदाई

विदाई रामसिंह शहर के एक जाने माने उद्योगपति थे। उनकी दो बेटियों हेमा और प्रभा का विवाह धूमधाम से संपन्न हो गया था उनकी विदाई का समय आ गया था और सारा माहौल गंभीर होकर गमगीन सा हो गया था। रामसिंह ने अपनी पत्नी को जिसकी आँखों से अनवरत् आँसू बह रहे थे, उसे समझाया कि यह तो एक सांसारिक प्रक्रिया है कि बेटी को विदा होकर अपने घर जाना होता है। हमें इतने अच्छे रिश्ते मिले है कि हमें खुशी खुशी बेटीयों को विदा करना चाहिए। रात हो गई थी और रामसिंह विश्राम के लिए अपने कमरे ...Read More

13

अप्रतिम चाहत

अप्रतिम चाहत यशवंतपुर नाम के एक नगर में प्रेमवती नाम की एक संभ्रांत महिला रहती थी। उसे से ही चित्रकला का बहुत शौक था। वह दिन भर केनवास पर रंग बिरंगे रंगों से चित्र बनाती रहती थी। धीरे धीरे उसकी चित्रकला की प्रसिद्धि बढ़ती गयी। उसकी एक एकल चित्रकला प्रदर्षनी का आयोजन किया गया था जिसे देखकर दर्शक भावविभोर होकर उसकी कला की प्रशंसा कर रहे थे। हेमंत नाम का एक व्यक्ति भी वह प्रदर्शनी देखने के लिए आया हुआ था। उसने सभी चित्रों को देखकर प्रेमवती से कहा कि आपकी इतनी अच्छी पेंटिंग्स के लिए आपको बधाई ...Read More

14

प्रायष्चित

प्रायष्चित नर्मदा नदी के किनारे पर बसे रामपुर नामक गाँव में रामदास नाम का एक संपन्न कृषक दो पुत्रों के साथ रहता था। उसकी पत्नी का देहांत कई वर्ष पूर्व हो गया था, परंतु अपने बच्चों की परवरिश में कोई बाधा न आए इसलिए उसने दूसरा विवाह नहीं किया था। उसके दोनो पुत्रों के स्वभाव एक दूसरे के विपरीत थे। उसका बड़ा बेटा लखन लालची प्रवृत्ति रखते हुए धन का बहुत लोभी था, परंतु उसका छोटा पुत्र विवेक बहुत ही दातार, प्रसन्नचित्त एवं दूसरों के कष्ट के निवारण में मददगार रहता था। वह कुशल तैराक था। वह ...Read More

15

हुनर

हुनर बनारस में दो मित्र महेश और राकेश रहते जिन्हें मिठाईयाँ एवं चाट बनाने में महारत हासिल उनके बनाये हुए व्यंजन बनारस में काफी प्रसिद्ध थे। एक दिन इन दोनो के मन में विदेश घूमने की इच्छा जागृत हुई। उन्होंने सोच विचार करके इसके लिए चीन जाने का निश्चय किया। इस हेतु वे दिन रात कडी मेहनत करके रूपया इकट्ठा करने लगे। इस दौरान उन्होने अपना पासपोर्ट बनवाकर अन्य सभी औपचारिकताएँ पूरी करके अपने संचित धन से टिकिट लेकर चीन के गंजाऊ शहर पहुँच गये। उन्हें वहाँ पर होने वाले खर्चों का कोई अनुभव नही था। इस कारण ...Read More

16

मित्र हो तो ऐसा

मित्र हो तो ऐसा कुसनेर और मोहनियाँ एक दूसरे से लगे हुए जबलपुर के पास के दो गाँव हैं। कुसनेर के अभयसिंह और मोहनियाँ के मकसूद के बीच बचपन से ही घनिष्ठ मित्रता थी। वे बचपन से साथ साथ खेले-कूदे और पले-बढे थे। अभयसिंह की थोडी सी खेती थी जिससे उसके परिवार का गुजारा भली भाँति चल जाता था। मकसूद का साडियों और सूत का थोक का व्यापार था। उसके पास खेती की काफी जमीन थी। खुदा का दिया हुआ सब कुछ था। वह एक संतुष्टिपूर्ण जीवन जी रहा था। अभयसिंह की एक पुत्री थी। पुत्री जब छोटी ...Read More

17

प्रेम का बंधन

प्रेम का बंधन अमेरिका के न्यूजर्सी शहर में अपनी पत्नी मोनिका, दो बच्चों राहुल 12 वर्ष और रंजीता 08 वर्ष के साथ रहकर स्वयं का व्यवसाय संभालता था। एक दिन अचानक ही उसने अपनी पत्नी को कहा कि उसे एक अमेरिकन लडकी से प्रेम हो गया है और वह उससे विवाह करना चाहता है। यह सुनकर मोनिका के दिल को बहुत ठेस पहुँची और वह समझ नही पायी कि इतने वर्षों तक साथ रहने के बाद उसके पूर्ण समर्पण, श्रद्धा एवं विश्वास को नजरअंदाज करके उसका पति उसे छोडना चाहता है। मोनिका ने बहुत गंभीर ...Read More

18

प्रेम का बंधन

प्रेम का बंधन अमेरिका के न्यूजर्सी शहर में अपनी पत्नी मोनिका, दो बच्चों राहुल 12 वर्ष और रंजीता 08 वर्ष के साथ रहकर स्वयं का व्यवसाय संभालता था। एक दिन अचानक ही उसने अपनी पत्नी को कहा कि उसे एक अमेरिकन लडकी से प्रेम हो गया है और वह उससे विवाह करना चाहता है। यह सुनकर मोनिका के दिल को बहुत ठेस पहुँची और वह समझ नही पायी कि इतने वर्षों तक साथ रहने के बाद उसके पूर्ण समर्पण, श्रद्धा एवं विश्वास को नजरअंदाज करके उसका पति उसे छोडना चाहता है। मोनिका ने बहुत गंभीर ...Read More

19

पथभ्रमित

पथभ्रमित शहर में हरिप्रसाद नाम का एक व्यापारी अपनी पत्नी और बच्चों के साथ सुख एवं शांतिपूर्वक जीवन व्यतीत कर रहा था। वह बहुत भावुक एवं धार्मिक प्रवृत्ति का था और उसके मन में मोक्ष प्राप्त करने की बहुत गहरी अभिलाषा थी। वह प्रतिदिन इसी चिंतन में उलझा रहता था। एक दिन रात में अचानक ही उसके मन में विचार आया कि जब तक वह माया और मोह को नही छोडेगा तब तक मोक्ष नही प्राप्त होगा। इसी सनक में एक दिन प्रातःकाल उठकर वह बिना किसी को बताए अपने पास संचित धन को बाँट देता है और ...Read More

20

प्रेम का बंधन

प्रेम का बंधन अमेरिका के न्यूजर्सी शहर में अपनी पत्नी मोनिका, दो बच्चों राहुल 12 वर्ष और रंजीता 08 वर्ष के साथ रहकर स्वयं का व्यवसाय संभालता था। एक दिन अचानक ही उसने अपनी पत्नी को कहा कि उसे एक अमेरिकन लडकी से प्रेम हो गया है और वह उससे विवाह करना चाहता है। यह सुनकर मोनिका के दिल को बहुत ठेस पहुँची और वह समझ नही पायी कि इतने वर्षों तक साथ रहने के बाद उसके पूर्ण समर्पण, श्रद्धा एवं विश्वास को नजरअंदाज करके उसका पति उसे छोडना चाहता है। मोनिका ने बहुत गंभीर होकर ...Read More