बेखबर इश्क!

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एक कमरे के किंग साइज बेड पर दुल्हन के लिबास में पड़ी लड़की (कनिषा)बड़ी ही देर से सुबक रही थी,उसके आंसुओ से बेडशीट का वो हिस्सा पूरी तरह गिला हो चुका था,जिस जगह उसके आंसू बिना रुके गिरे जा रहे थे।। ठीक उसी पल कमरे का दरवाजा खुला और सफेद शेरवानी पहने एक दिल लुभावन सुंदर चेहरे वाला शख्स (इशांक) अंदर दाखिल हो गया,उसकी आंखे गुस्से से फैली हुई थी,और माथे पर पड़ी बल उसके तनाव को साफ जाहिर कर रही थी..... कमरे का माहौल मौत की तरह शांत और उदासी से भरा हुआ था, उस कनीषा के धीमे धीमे सुबकने की आवाज पूरे कमरे में एक अलग तरह की गमगीन भावना पैदा कर चुकी थी,जो सामने खड़े इशांक के जबरदस्ती दबाए गुस्से को और अधिक भड़का गई,जिससे वो लगभग उस रोती कनीषा पर झपट पड़ा और उसकी कलाई को पकड़कर बेड पर सीधा बैठाते हुए कर्कश सी आवाज में बोला....."तो आखिरकार तुमने अपनी जात की असली रंग दिखा ही दिया,,बताओ अपने आप को मुझे सौंपने के लिए क्या कीमत चाहती हो तुम??"

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बेखबर इश्क! - भाग 1

एक कमरे के किंग साइज बेड पर दुल्हन के लिबास में पड़ी लड़की (कनिषा)बड़ी ही देर से सुबक रही आंसुओ से बेडशीट का वो हिस्सा पूरी तरह गिला हो चुका था,जिस जगह उसके आंसू बिना रुके गिरे जा रहे थे।।ठीक उसी पल कमरे का दरवाजा खुला और सफेद शेरवानी पहने एक दिल लुभावन सुंदर चेहरे वाला शख्स (इशांक) अंदर दाखिल हो गया,उसकी आंखे गुस्से से फैली हुई थी,और माथे पर पड़ी बल उसके तनाव को साफ जाहिर कर रही थी.....कमरे का माहौल मौत की तरह शांत और उदासी से भरा हुआ था, उस कनीषा के धीमे धीमे सुबकने की ...Read More

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बेखबर इश्क! - भाग 2

कुछ ही समय में उन दोनो की शादी के रश्मों को खत्म कर दिया गया,,और जैसा की इशांक को शादी के पूरे होने तक ही मतलब था....वो उसे छोड़ कर मंडप से बाहर निकल आया,और विवेक जो काफी सालों से उसका असिस्टेंट था,उससे पंडित को बाहर तक छोड़ने को बोल खुद भी दरवाजे की ओर बढ़ गया....शादी के रस्मों के होने तक उसने किसी तरह अपनी मां रीमा और उनके दूसरे पति विक्रम मेहरा को बरदास्त किया था,जिन्हे उसने घर की दहलीज लांघने तक की इजाज़त ना दी थी,,लेकिन अब उन्हें अपने घर के आस पास देखने का उसका ...Read More

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बेखबर इश्क! - भाग 3

कनिषा को यूं ही रोता छोड़ कर,इशांक अपने कमरे में लौट गया,उसके बॉडीगार्ड भी अब तक बाहर चले गए इस लंबे चौड़े विरान से लिविंग रूम में सिर्फ कनिषा और इशांक की छोटी बहन भव्या ही बचीं रह गई थी...जो इशांक से पांच साल छोटी और कनिषा की हमउम्र लग रही थी,अब तक इशांक और कनिषा की बातों को सुनने से भव्या को ये बात अच्छे से समझ में आ गया था की...उसकी हो चुकी भाभी ने शादी करने के लिए उसके भाई से पैसे डिमांड किएं हैं,,इसलिएउसका भाई इशांक सभी के साथ इतने गुस्से से पेश आ रहा ...Read More

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बेखबर इश्क! - भाग 4

एक दुल्हन के लिबास में कनिषा ना तो अपने हॉस्टल जा सकती थी,और ना ही अपने किसी दोस्त के पास दूसरे कपड़े भी नही थे,जो भी कपड़े उसने लहंगा पहने से पहले पहना था,वो अभी भी इशांक के बंगले में ही था,,इसलिए वो यहां वापस आ गई थी,एक और कारण जो उसे यहां तक खींच लाया था...वो पैसें थे,जिसकी जरूरत उसे अपने डैड की बाईपास सर्जरी करवाने की लिए पड़ने वाली थी,सौतेली मां से पैसें ना मिलने पर उसकी आखरी उम्मीद इशांक ही था,यहां आने से पहले वो ये बात भी अच्छे से जानती थी,की.... इशांक से फिर पैसें ...Read More

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बेखबर इश्क! - भाग 5

"मैं आपके लायक नही हूं,मुझे लगता है....आप मेरे लायक नही है,जरूरत के हिसाब से लुढ़कने वाले बिना पेंदी के है आप,और मैं आपके इस अकड़ से बने महल में रहने या आपके उन पैसे के आगे कटपुटली बनने के मकसद से नही आई हूं,मुझे बस अपने वो कपड़े चाहिए थे, जो आपके इस जबरदस्ती पहनाए शादी के जोड़े को उतार कर फेकने में मेरी मदद करे, इसके बाद मैं इस जगह से हमेशा के लिए चली जाऊंगी,और खबरदार कभी मेरे पीछे आए तो!".....इतना कहने के बाद कनिषा ने अपनी ऊपर की हुई उंगली को मुठ्ठी में समेटा और अपने ...Read More

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बेखबर इश्क! - भाग 6

ये पूर्णिमा की रात थी,चांद अपनी चांदनी को हर तरफ बिखेरे हुए थी,और हड्डी तक को कपकपा देने वाली पूरे वातावरण को सर्द बना रही थी,कुछ ही देर में इशांक को उस ठंडी हवा ने इतना सर्द कर दिया की वो खिड़की बंद करने लगा,उसी पल गार्डन में एक पेड़ के नीचे बैठी कनीषा पर उसकी नजर पड़ी,जो ऐसे बैठी थी जैसे वहीं पर जम गई हो।।।कुछ और दो मिनट तक उसे यूं ही घूरते रहने के बाद इशांक ने खिड़की को धम्म से बंद किया और आ कर सोफे पर बैठ गया,जिसके बाद कनिषा से अपना ध्यान हटाने ...Read More

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बेखबर इश्क! - भाग 7

कहते हुए इशांक ने गुस्से से अपने दांत पीसे और कनिषा के होंठो से अलग उसके गले पर अपनी सांसों को छोड़ते हुए अपने शर्ट के ऊपरी बटन को खोला और टाई निकल कर बेड पर ही एक और फेंक दिया,जिसके साथ उसने कहना जारी रखा......."मेरा कोई कुछ नही बिगड़ सकता,मिसेज देवसिंह....!"इशांक की सांसे खुद के गले पर दौड़ती हुई महसूस हुई तो कनिषा का दिल अंदर तक कांप गया,उसके हाथ पांव बर्फ से भी ज्यादा ठंडे और असामान्य रूप से बेजान होने लगे थे,हिलने में भी बेबस, जब वो कुछ ना कर सकी तो आंसुओ ने उसके आंखो ...Read More

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बेखबर इश्क! - भाग 8

नोट पर लिखे कनिषा का नोट पढ़ते हुए के इशांक हाव भाव बदल गए,गुस्से से उसने उसके नोट को और अगले ही पल फर्श पर फेंकते हुए खुद में ही बड़बड़ाया...."इस लड़की की इतनी हिम्मत कैसे हुई, इसने मुझे दूसरी बार डायनासोर से कम्पेयर किया!".....इतना कह उसने कनीषा के जोड़े को उठाया और उसे कमरे के बीचों बीच फेंक दिया,जिसके बाद वो आक्रोश में चिल्लाया......"हलील... हलील!!"उसके चिल्लाने के दो मिनट बाद ही हलीला हड़बड़ी में दौड़ते हुए आया और अपने पैरों को जबरदस्ती रोक लगाते हुए बोला...."सर!""घर में माचिस है?"....पूछते हुए इशांक कनिषा के शादी के जोड़े और उसके ...Read More

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बेखबर इश्क! - भाग 9

कनिषा से दूर जाते हुए संस्कार ने अपने दोनो हाथो को जेब में भरा और कंधे को उचका लिया,उसके पर कुटिलता भरी मुस्कान थी,और अगले ही पल वो खुद में ही बड़बड़ाया....."क्या मजबूरी थी की तुमने इशांक जैसे इंसान से शादी की,अब इशांक से अपना बदला पूरा करने के लिए मुझे एक खूबसूरत लड़की को इस्तमाल में लाना होगा,आह्ह्ह्हह....(अपने सीने पर हाथ रख)ये दुनिया जालिम है!!".....इतना कह वो मुस्कुराया और अपने फोन को निकाल कर,,एक फोटो को देखने लगा,जिसमे कनीषा ईशांक के गार्डेन में पेड़ के नीचे आंखे बंद कर सोई थी,स्क्रीन पर उसने अपनी उंगली स्वाइप की तो ...Read More

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बेखबर इश्क! - भाग 10

इधर कार का पीछा करती कनिषा ने देखा की तूफान की वजह से सड़क पर एक जगह पेड़ गिरा था,जिससे आगे का रास्ता ब्लॉक हो गया था,,उसे देख कनिषा के गुलाबी होंठों पर मुस्कान छा गई और वो समझ गई की आगे चल कर कार को रुकना ही था!सब कुछ समझते हुए उसने अपनी दौड़ने की चाल और तेज कर दी और कार के रुकते ही उसके दरवाजे तक पहुंच गई,,कार के शीशे पर नॉक करने से पहले उसने गहरी गहरी सांसे भरी और खुद को थोड़ा रिलेक्स करते हुए शीशे पर नॉक कर दिया!!नॉक करने के कुछ आधे ...Read More

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बेखबर इश्क! - भाग 11

"आप उसे जानते है".....भव्या ने उस लड़की(कनिषा) को देख,इशांक के तेजी से बदलते भाव को भांपते हुए पूछा!"चलो अंदर इसके बाद कंपनी भी जाना है,,मैं यहां सिर्फ तुम्हारे साथ वक्त बिताने के लिए आया हूं,मुझे फिजूल लोगों की बात कर अपना कीमती वक्त बर्बाद नही करना!!".....इशांक वापस भव्या की तरफ मुड़ा,लेकिन भव्या अभी भी कनीषा को हो देखती रही,जिससे इशांक ने उसके सिर को पकड़ कर हॉल के दरवाजे की तरफ घुमाया और उसके हाथ को पकड़ कर अंदर की तरफ बढ़ गया।।वहीं दूसरी ओर कनिषा ने उस ऑटो वाले को उसके किराए से कम पैसे दिए और काफी ...Read More