ब्रुन्धा-एक रुदाली

(8)
  • 11.2k
  • 0
  • 5.1k

इन्सान सरलता से झूठी हंँसी हँस तो सकता है, लेकिन बिना बात के बड़े बड़े आंँसुओं के साथ उसके लिए रोना लगभग कठिन सा हो जाता है,अगर आपसे कोई कहे कि अब रोने लगो, तो शायद आपके लिए ऐसा कर पाना सम्भव नहीं होगा,लेकिन दुनिया में ऐसे भी लोग हैं, जिनका पेशा ही रोना होता है और इन लोगों को रुदाली कहा जाता है, ये बिना किसी वजह के रो सकते हैं,अनजान लोगों की मृत्यु पर इन्हें ऐसा रुदन करना होता है कि देखने वालों की आंँखों में भी आंँसू आ जाये,ऐसा करने के लिए इन्हें पैसे दिए जाते हैं, पुराने समय में किसी के मरने पर रुदालियों को बुलाना,एक परम्परा थी, लेकिन अब ये परम्परा कहीं लुप्त सी हो गयी है,

1

ब्रुन्धा-एक रुदाली--भाग(१)

इन्सान सरलता से झूठी हंँसी हँस तो सकता है, लेकिन बिना बात के बड़े बड़े आंँसुओं के साथ उसके रोना लगभग कठिन सा हो जाता है,अगर आपसे कोई कहे कि अब रोने लगो, तो शायद आपके लिए ऐसा कर पाना सम्भव नहीं होगा,लेकिन दुनिया में ऐसे भी लोग हैं, जिनका पेशा ही रोना होता है और इन लोगों को रुदाली कहा जाता है, ये बिना किसी वजह के रो सकते हैं,अनजान लोगों की मृत्यु पर इन्हें ऐसा रुदन करना होता है कि देखने वालों की आंँखों में भी आंँसू आ जाये,ऐसा करने के लिए इन्हें पैसे दिए जाते हैं, ...Read More

2

ब्रुन्धा-एक रुदाली--भाग(२)

किशना को मौन देखकर गोदावरी फफक फफककर रो पड़ी और रोते हुए किशना से बोली.... "अभी भी वक्त है,दबा इस बच्ची का गला,मर जाऐगी तो किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा", "पागल हो गई है क्या,फूल सी बच्ची को मारने की बात करती है,ये मेरा खून नहीं है तो क्या हुआ लेकिन ये मेरी बेटी है,मैं इसे पालूँगा",किशना ने गोदावरी से कहा.... तब किशना गोदावरी से बोला.... "कल को तेरे मन में ये बात तो नहीं आऐगी कि ये ठाकुर का खून है",गोदावरी ने रोते हुए पूछा... "कभी नहीं गोदावरी! मैं ये बात कभी भी अपने मन में ...Read More

3

ब्रुन्धा--एक रुदाली--भाग(३)

ठाकुराइन पन्ना देवी के जाते ही ठाकुर साहब किशना से बोले.... "किशना! कसम खाकर कहता हूँ अगर मुझे अपनी जाने का डर ना होता ना तो मैं आज ही इस औरत का खून कर देता" "छोड़िए ना ठाकुर साहब! जब आप जानते हैं कि उनकी आदत ही ऐसी है तो क्यों उनकी बातों को अपने दिल से लगाते हैं",किशना ठाकुर साहब से बोला... "तू ठाकुराइन की ज्यादा तरफदारी मत किया कर,याद रख तू हमारा दिया खाता है",ठाकुर साहब गुस्से से बोले... "जानता हूँ हुकुम! तभी तो आज तक आपकी देहरी छोड़कर कहीं और नहीं गया,गाँव के कित्ते लोग परदेश ...Read More

4

ब्रुन्धा-एक रुदाली--भाग(४)

ठाकुर रुपरतन के सीढ़ियों से लुढ़क जाने के बाद विद्यावती और जगीरा को कुछ समझ नहीं आ रहा था वो दोनों क्या करें,इसलिए उन दोनों ने जोर जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया कि ठाकुर साहब सीढ़ियों से लुढ़क गए हैं,ठाकुर रुपरतन अब भी बेहोश थे,इसलिए उनका इलाज करने के लिए शहर से एक डाक्टर को बुलवाया गया,डाक्टर आएँ और उन्होंने ठाकुर साहब का चेकअप करना शुरू कर दिया,तब डाक्टर साहब ने सबसे कहा कि शायद उनके सिर पर चोट लगने से उनकी याददाश्त चली गई है,उन्हें कुछ भी याद नहीं है,उन्हें शहर के अस्पताल में भरती करवाना पड़ेगा,ठाकुर ...Read More

5

ब्रुन्धा-एक रुदाली--भाग(५)

ब्रुन्धा धीरे धीरे बड़ी हो रही थी और किशना उसका बहुत ख्याल रख रहा था ,अब ब्रुन्धा पाँच साल हो चली थी,लेकिन ठाकुर नवरतन सिंह का आकर्षण अब भी गोदावरी पर था,उसका जब भी जी चाहता तो वो गोदावरी को हवेली पर बुलवा लेता और किशना अपनी आँखों के सामने ऐसा अनर्थ होते हुए देखता रहता, जब गोदावरी हवेली जाती तो ब्रुन्धा अपने पिता किशना से पूछती...."बाबा! माँ हवेली क्यों जाती है,माँ मुझे अपने साथ हवेली क्यों नहीं ले जाती"तब ब्रुन्धा की बात सुनकर किशना का कलेजा काँप उठता और वो ब्रुन्धा से कहता...."बेटी! कभी भी हवेली जाने की ...Read More

6

ब्रुन्धा-एक रुदाली--भाग(६)

किशना ने वहाँ उपस्थित लोगों के सामने अपनी बेगुनाही साबित करनी चाही,लेकिन किसी ने उसकी एक ना सुनी,वो चीखता चिल्लाता रहा कि मैंने ठाकुर साहब का खून नहीं किया है लेकिन किसी ने उसकी कही बात पर ध्यान ही नहीं दिया और फिर पुलिस आई और उसे गिरफ्तार करके अपने साथ लिवा ले गई.... किशना के गिरफ्तार हो जाने पर ब्रुन्धा ने अपनी माँ गोदावरी से पूछा कि...." बाबा को वो लोग अपने साथ क्यों ले गए हैं"तब गोदावरी ने उससे कहा..."तेरे बाबा को वो लोग कोई जरूरी काम करवाने के लिए ले गए हैं" और भला गोदावरी ब्रुन्धा ...Read More