तमस ज्योति

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"दोस्तो! मैं हूं इस शो की होस्ट अमिता। आप सभी का तहे दिल से स्वागत करती हूं हमारी इस चैनल संवाद में। और आप देख रहे है हमारा ये कार्यक्रम रुबरु। जिसमें हम जानीमानी हस्तियों को हमारे स्टूडियो में बुलाकर उनसे रुबरु होते है। तो दोस्तो! आज ऐसी ही एक हस्ती हमारे साथ हमारे स्टूडियो में शामिल है, जिनका नाम है रोशन कुमार। जो की एक बहुत ही जानेमाने संगीत विशेषज्ञ है। तो आज हम इस कार्यक्रम में रोशन कुमार से रुबरु होंगे। आज के इस कार्यक्रम में हम रोशनकुमार की उस यात्रा के बारे में चर्चा करेंगे जिनके बारे में लोगो को बहुत कम पता है।" "रोशन कुमार! ये नाम ही अपने आप में बहुत बड़ा नाम है। रोशन कुमार! जिन्होंने अपने जीवन में कई सारी कठिनाइयों का बहुत ही बहादुरी से सामना किया और आज वो जिस मुकाम पे पहुंचे है वह मुकाम हासिल किया है। वह संगीतकार बनने के लिए हर बाधा व मुश्किलो को बड़ी हिम्मत से पार कर गए थे। उनकी इसी सफर के बारे में आज हम सब जानेंगे।

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तमस ज्योति - 1

प्रकरण - १ "दोस्तो! मैं हूं इस शो की होस्ट अमिता। आप सभी का तहे दिल से स्वागत करती हमारी इस चैनल संवाद में। और आप देख रहे है हमारा ये कार्यक्रम रुबरु। जिसमें हम जानीमानी हस्तियों को हमारे स्टूडियो में बुलाकर उनसे रुबरु होते है। तो दोस्तो! आज ऐसी ही एक हस्ती हमारे साथ हमारे स्टूडियो में शामिल है, जिनका नाम है रोशन कुमार। जो की एक बहुत ही जानेमाने संगीत विशेषज्ञ है। तो आज हम इस कार्यक्रम में रोशन कुमार से रुबरु होंगे। आज के इस कार्यक्रम में हम रोशनकुमार की उस यात्रा के बारे में चर्चा ...Read More

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तमस ज्योति - 2

प्रकरण - २अमिताने कहा, "चलिए अभी दोस्तो! एक छोटे से ब्रेक के बाद मैं इस शो की होस्ट अमिता बार फिर रोशनजी से उनके बचपन के बारे में बात करने के लिए वापस आ गई हूं। तो रोशनजी! हमारे दर्शक आपके बचपन की बाते जानने के लिए बहुत ही उत्सुक हैं। तो चलिए आज की बात शुरू करते हैं।""जी हां बिलकुल।" ऐसा कहकर रोशनने अपनी कहानी सुनानी शुरू की और कहा, "मुझे भी अपने बचपन के बारे में बाते करते हुए बहुत ही खुशी का अनुभव होता है। तो चलिए आइए अब हम मैं आपको मेरे बचपन की सैर ...Read More

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तमस ज्योति - 3

प्रकरण - ३अमिता बोली, "तो आओ दोस्तों! मैं अमिता फिर से आ गई हूं इस शो की होस्ट और साथ हमारे स्टूडियो में मौजूद है प्रसिद्ध संगीतकार रोशन कुमार जी।"ब्रेक में जाने से पहले, हमने रोशनकुमार के भाई की बचपन की घटनाओं के बारे में जाना और अब हम उसकी बहन दर्शिनी के बारे में भी जानते हैं, जिसे उसके माता-पिता ने गोद लिया था। तो आइए जानते हैं कि दर्शिनीने रोशनजी के घर में कैसे प्रवेश किया? जानेंगे ये कहानी हम उन्हीं की जुबानी।अमिता रोशन की और देखकर फिर बोली, "तो रोशनजी! अब आप हमें ये बताइए, दर्शिनी ...Read More

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तमस ज्योति - 4

प्रकरण - ४अमिता बोली, "प्यारे दोस्तो! एक छोटे से ब्रेक के बाद मैं एक बार फिर वापस आ गई और मेरे साथ मेरे स्टूडियो में मौजूद है प्रसिद्ध संगीतकार रोशनकुमारजी। ब्रेक पर जाने से पहले हम ये बाते कर रहे थे कि उनकी जिंदगी में उनकी बहन दर्शिनी कैसे आईं? आइए, अब जानते है कि घर में इस नई बहन के आने से दोनों भाइयों की जिंदगी में क्या क्या बदलाव हुए थे? क्या दोनों भाइयों ने बहन का मन से स्वीकार किया, या फिर बहन को भाइयों का प्यार जीतने के लिए संघर्ष करना पड़ा? तो बताईए रोशनजी! ...Read More

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तमस ज्योति - 5

प्रकरण - ५अमिता बोली, "तो चलिए मेरे प्यारे दर्शकों! मैं अमिता एक बार फिर आ गई हूं आपके साथ मेरे साथ हमारे स्टूडियो में मौजूद है महान संगीतकार रोशन कुमारजी। ब्रेक में जाने से पहले हम बात कर रहे थे कि उनके भाई रईश का दसवीं कक्षा का रिजल्ट क्या आया था? तो रोशनजी! आप से निवेदन है कि अब रहस्य पर से पर्दा उठायें और हम सबको बताएं कि आपके बड़े भाई रईशजी का परिणाम क्या आया?”रोशनने कहा, "परिणाम तो बहुत ही अच्छा आया था। उसने दसवीं कक्षा में पूरे जिले में प्रथम नंबर स्थान हासिल किया था। ...Read More

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तमस ज्योति - 6

प्रकरण - ६कैमरा ऑन होते ही अमिता बोल उठी, " मैं हूं अमिता और आप देख रहे है हमारा कार्यक्रम रुबरु और हम बात कर रहे है रोशन कुमार के साथ।पहले हम बात कर रहे थे कि रोशनकुमार की जिंदगी में ऐसा क्या हुआ जिसकी वजह से उनकी पूरी जिंदगी ही बदल गई! तो आईए दोस्तों! अब हम जानते है ये सारी बाते रोशनजी की जुबानी।रोशन अब आगे की बात कहने लगा, "जैसा कि आप सभी जानते हैं, उस समय मैं बी.एस.सी के फाइनल यर में था। उस दिन हम केमिस्ट्री लैब में प्रैक्टिकल कर रहे थे।लैब में प्रयोग ...Read More

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तमस ज्योति - 7

प्रकरण - ७मेरे माता-पिता और मेरी छोटी बहन दर्शिनी तीनों लोग अब डॉक्टर के पीछे-पीछे उनके केबिन की ओर लगे।जहां मुझे दाखिल किया गया था वहां से डॉक्टर का केबिन थोड़ी ही दूरी पर था। पांच मिनट के बाद जब वे तीनों लोग डॉक्टर के केबिन में पहुंचे तो केबिन में पहले से ही एक और भी डॉक्टर मौजूद थे।मेरे माता-पिता के साथ आए डॉक्टरने अपने केबिन में पहले से मौजूद उस दूसरे डॉक्टर का परिचय करवाते हुए कहा,"यह डॉ. तेजस पटेल है, जो की एक नेत्र चिकित्सक हैं। अब केवल वही आपको आपके बेटे की स्थिति के बारे ...Read More

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तमस ज्योति - 8

प्रकरण - ८मेरा भाई रईश आज यहां राजकोट आनेवाला था। उसे पन्द्रह दिनों की पढाई की छुट्टियाँ मिली थीं, वो पढ़ने के लिए घर आनेवाला था और फिर पन्द्रह दिनों के बाद उसकी एम.एस.सी की फाइनल परीक्षा शुरू होने वाली थी।मेरे साथ अब तक जो कुछ भी हुआ था उसको लेकर मेरे माता-पिता पहले से ही बहुत चिंतित थे और ऐसे में रईश का घर आना उनकी चिंताओं को और भी बढ़ावा दे रहा था।उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि, वे रईश को ये बात कैसे बताऐंगे कि मेरी आंखों की रोशनी अब नहीं रही! मेरी आंखों की ...Read More

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तमस ज्योति - 9

प्रकरण - ९मेरे पापा, रईश और दर्शिनी तीनों अब मेरे पास अस्पताल में पहुँच चुके थे। मेरी माँ तो से ही मेरे साथ अस्पताल में थीं। जिस वार्ड में मुझे भर्ती किया गया था वहा डॉक्टर तेजस भी अभी मेरी जांच करने के लिए मेरे पास आ चूके थे।जैसे ही डॉक्टर तेजस यह आये, मेरे मम्मी पापा अब मुझे लेकर थोड़े चिंतित हो गये। उन्हें चिंता थी कि वे लोग किस तरह से मुझे मेरी आंखों की रोशनी के बारे में यह बताएंगे? लेकिन उनकी उस दुविधा को तो डॉक्टर तेजसने ही दूर कर दिया।अब मैं थोड़ा सा हिल ...Read More

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तमस ज्योति - 10

प्रकरण - १०नमस्कार मेरे प्यारे दर्शकों! मैं अमिता एक बार फिर आ गई हूं और आप देख रहे है ये कार्यक्रम रुबरु और मेरे साथ है आज बहुत प्रसिद्ध संगीतकार रोशनकुमार। तो चलिए रोशन कुमार के साथ हमारे संवाद को अब आगे बढ़ाते है। ब्रेक में जाने से पहले हमने जाना कि, कैसे रोशनजी के जीवन में एक दर्दनाक घटना घटी और उस घटना के कारण उनकी आंखों की रोशनी चली गयी और कैसे उनके जीवन में घना अंधेरा छा गया था! आइए जानते है इसके बाद आगे क्या हुआ? तो बताईए रोशनजी! आप अपने जीवन में छाए तमस ...Read More

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तमस ज्योति - 11

प्रकरण - ११उस दिन हमारे परिवार में सभी लोग बहुत खुश थे, क्योंकि रईश का एम.एस.सी. का रिजल्ट आया और उसने टॉप किया था।थोड़े समय के बाद रईश अब अपनी पी.एच.डी. में प्रवेश की तैयारी में व्यस्त था। पी.एच.डी. में प्रवेश के लिए वो प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहा था।यदि वह इस परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाता है, तो उसका पी.एच.डी. में प्रवेश निश्चित ही था। और उसका पी.एच.डी. में दाखिला होते ही उसका आंखों पर रिसर्च करने का जो सपना था वो भी अब बहुत ही जल्द पूरा होगा। उसने पहले से ही अपने रिसर्च का विषय ...Read More

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तमस ज्योति - 12

प्रकरण - १२हम इस बात को लेकर असमंजस में थे की मेरी संगीत कक्षा शुरू करने के लिए हम कहा से ढूंढे। लेकिन दर्शिनीने आसानी से हमारी इस दुविधा को दूर कर दिया।वो बोली, "भाई! अगर आप संगीत कक्षा शुरू करना चाहते है, तो फिर आप खुद का प्रचार क्यों नहीं करते? अन्यथा, आपके पास सीखने के लिए कौन आएगा? लोगों को कैसे पता चलेगा कि आप संगीत कक्षा चलाते हैं?"उसकी ये बात सुनते ही मेरे मन में एक खयाल आया और मैंने कहा, "तुम सही कह रही हो दर्शिनी। और तेरी ये बात यह सुनने के बाद मुझे ...Read More

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तमस ज्योति - 13

प्रकरण - १३मेरा नया सफर अब शुरू हो गया था। फातिमा की संस्थाने मुझे घर से स्कूल तक लाने-ले की जिम्मेदारी खुद ही ली थी।यह मेरी पहली नौकरी थी इसलिए मैं बहुत खुश था। मैं सुबह जल्दी उठ गया और माँ की मदद से जल्दी से तैयार हो गया। सुबह का चाय नाश्ता खत्म करके अब मैं विद्यालय जाने के लिए तैयार होकर बैठा था।तभी मुझे रिक्शा के आने की आवाज सुनाई दी। आंखो के चले जाने की वजह से अब मेरे कान कुछ ज्यादा ही काम करने लग गए थे। धीरे-धीरे अब मैं अलग-अलग आवाजों को परखने लगा ...Read More

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तमस ज्योति - 14

प्रकरण - १४रईश आज घर आनेवाला था इसलिए हम सब उसका बड़ी बेसबरी से इंतज़ार कर रहे थे। रात खाना खा लेने के बाद हम अभी घर के आंगन में बैठकर बातें कर रहे थे।दर्शिनी बात कर रही थी, "रोशनभाई! रईशभाई आज कितने दिनों बाद घर आएंगे नहीं? जब से वे यहां से गए हैं, तब से ये घर बहुत ही सूना सूना सा लगता है। उनके बिना मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता है।"दर्शिनी की ये बात सुनते ही मैं भी बोल उठा, "हाँ! तुम ठीक कह रही हो दर्शिनी! घर में केवल एक व्यक्ति की अनुपस्थिति होने ...Read More

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तमस ज्योति - 15

प्रकरण - १५मैंने बड़ी ही उत्सुकता से रईश से पूछा, "तो फिर तुम नीलिमा को अपने दिल की बात तक बताओगे? कैसे तुम उससे मिले? कैसी थी तुम दोनों की पहली मुलाकात? ये भी तो बताओ भाई!"रईशने मुझे बताया, "रोशन! यह तब की बात है जब मैं पी.एच.डी. में दाखिला लेने के बाद अहमदाबाद गया था। वैसे तो मैंने एम.एस.सी. भीअहमदाबाद में गुजरात युनिवर्सिटी से ही किया था, इसलिए मैं अहमदाबाद से परिचित तो था ही।उस दिन मुझे अपनी पी.एच.डी. के रजिस्ट्रेशन के लिए गुजरात युनिवर्सिटी जाना था। जहां मैं पीजी छात्रावास में रहता था वहां से युनिवर्सिटी लगभग ...Read More

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तमस ज्योति - 16

प्रकरण - १६अगले दिन रईश मेरे साथ विद्यालय आया। वहाँ पहुँचने पर रईशने मुझसे कहा, "वाह! रोशन! यह विद्यालय बहुत ही अच्छा है। दरवाजे के ठीक बाहर सरस्वती माता की एक विशाल मूर्ति है। यहां के परिसर में प्रवेश करते समय मुझे एक अलौकिक शांति का एहसास हुआ जिसका मैं शब्दों में तुमसे वर्णन नहीं कर पा रहा हूं।"मैंने कहा, "मैंने इस विद्यालय को केवल अपने मन की आंखों से देखा है, लेकिन मैं समझता हूं कि जहां फातिमा जैसी शिक्षिकाएं और ममतादेवी जैसे व्यक्तित्व रखनेवाले लोग हों, वह जगह वास्तव में सुंदर ही होनी चाहिए।"रईश बोला, "तुम सही ...Read More

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तमस ज्योति - 17

प्रकरण - १७मेरी कक्षाएँ ख़त्म होने के बाद रईश मुझे लेने आया और हम दोनों घर चले गए। मुझे कि जब मैंने रईश को फातिमा से मिलवाया उसके बाद रईश बहुत शांत सा हो गया था। स्कूल से घर तक के सफर के दौरान मैंने एक-दो बार उससे इस बारे में पूछने की कोशिश भी की, लेकिन वह पूरे रास्ते चुप ही रहा। मैंने बार बार उसके मन की बात जानने की कोशिश की लेकिन वह कुछ भी नहीं बोल रहा था। ऐसा लग रहा था मानो उसे किसी बात का सदमा लग गया हो! बाद में मैंने सोचा ...Read More

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तमस ज्योति - 18

प्रकरण - १८रईश के अहमदाबाद वापस जाने के बाद घरबहुत सुना सुना लग रहा था, लेकिन वो अहमदाबाद जाने पहले मेरे मन में फातिमा के बारे में कई सवाल खड़े कर के गया था, इसलिए मैंने भी आज फैसला किया कि मैं आज विद्यालय जाकर फातिमा के साथ इस मामले पर जरूर बात करूंगा।मैं अब विद्यालय तो पहुंच चुका था, लेकिन फिर भी मैं अभी भी असमंजस में था कि क्या फातिमा से इस मामले पर बात करने का यह सही समय है? क्या मुझे रईशने मुझे उसके बारे में जो कुछ भी बताया था इस बारे में पूछना ...Read More

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तमस ज्योति - 19

प्रकरण - १९फातिमाने अब अपनी कहानी सुनानी शुरू की। उसने कहा, "बात करीब तीन साल पहले की है। हमारे में चार लोगों का परिवार था। मैं, मेरे मम्मी-पापा और मेरा छोटा भाई। मेरी और मेरे भाई की उम्र में बहुत अंतर था। मेरा भाई मुझसे आठ साल छोटा था।मेरे पापा के बिजनेस पार्टनर रंजीतसिंह झाला जो की उनके मित्र भी थे। रंजीतअंकल और मेरे पापा दोनोंने एकसाथ मिलकर हमारा ये बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का बिजनेस अपने दम पर ही खड़ा किया था। रंजीतअंकल एक आर्किटेक्ट थे और मेरे पापा एक बिल्डर थे। रंजीत अंकल घर के डिजाइन बनाते थे और ...Read More

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तमस ज्योति - 20

प्रकरण - २०फातिमा की सच्चाई जानने के बाद मुझे उससे हमदर्दी हो गई थी। मैं अब उसके ख्याल में ही डूबा रहने लगा था। मैं उसके हर दर्द को अब अपना महसूस करने लगा था। मैं अब तक खुद नहीं समझ पा रहा था कि फातिमा के प्रति मेरे मन में ये कैसी भावना आ रही है! लेकिन इतना तो तय था कि उसके दर्द से मैं भी दु:खी हो रहा था और जब वो खुश होती थी तो मैं भी खुश होता था।उसका नाम और उसकी आवाज मेरे मन में गूंजता रहता था। उसका नाम सुनते ही मेरे ...Read More

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तमस ज्योति - 21

प्रकरण - २१नमस्कार दर्शकों! मैं अमिता एक बार फिर आपसे संवाद करने आ गई हूं। आप देख रहे है ये कार्यक्रम रुबरु और मेरे साथ है प्रसिद्ध संगीतकार रोशन कुमारजी! ब्रेक में जाने से पहले हमने उनके भाई रईश और भाभी नीलिमा की प्रेम कहानी और उनकी शादी के बारे में जाना। आइए अब जानते हैं रोशनकुमार और फातिमाजी की प्रेम कहानी।"तो रोशनजी! अब आप हमें अपनी और फातिमा की प्रेम कहानी बताईए। हम सभी आपकी प्रेम कहानी जानने के लिए बड़े उत्सुक हैं।"रोशन बोला, "जी ज़रूर अमिताजी! मैं आपको इस बारे में जरूर बताऊंगा। जैसा कि आप सभी ...Read More

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तमस ज्योति - 22

प्रकरण - २२ममतादेवीने फातिमा को एक और जिम्मेदारी सौंपी। वो थी अतिथियों के लिए निमंत्रण पत्रिका तैयार करने की। ममतादेवीने यह बात फातिमा को बताई तो फातिमाने ममतादेवी से कहा, "आप बुरा न मानें तो मैं आप से ये कहना चाहूंगी की अगर कोई मुझसे भी बेहतर निमंत्रण पत्रिका बना सकती है तो वह रोशन की बहन दर्शिनी है। आपको शायद पता नहीं होगा लेकिन रोशनजी के क्लासिस का पैम्फलेट भी उनकी बहनने ही बनाया था। इसलिए मुझे लगता है कि ये मौका आपको दर्शिनी को देना चाहिए।"फातिमा की ये बात सुनकर ममतादेवीने कहा, "अगर तुम्हें ठीक लगे तो ...Read More

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तमस ज्योति - 23

प्रकरण - २३जिस समय फातिमा और मैं विद्यार्थियों को अभ्यास करा रहे थे उस समय फातिमा बिल्कुल चुप ही उसकी खामोशी मुझे परेशान कर रही थी। हालाँकि मैं उसका चेहरा नहीं देख सकता था, लेकिन मुझे एहसास तो हो ही रहा था कि उसके साथ कुछ तो ठीक नहीं था।प्रैक्टिस ख़त्म होने के बाद और स्कूल की छुट्टी होने के बाद जब सभी छात्र चले गए ऐसा मुझे लगा तब मैंने फातिमा से पूछा, "क्या बात है फातिमा? तुम आज इतनी चुप क्यों हो? कुछ हुआ है क्या? कोई परेशानी है तुम्हें? तुम्हारे इस दोस्त से क्या तुम अपने ...Read More

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तमस ज्योति - 24

प्रकरण - २४दर्शिनी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि फातिमा इस तरह से सीधे ही उससे समीर बारे में पूछेगी। कुछ देर तक तो उसे समझ ही नहीं आया कि वो उसे क्या जवाब दे!फातिमाने उससे फिर कहा, "देखो दर्शिनी! मुझे लगता है कि तुम समीर को पसंद करती हो। मैं ठीक कह रही हूं न?"दर्शिनीने कहा, "हाँ, फातिमा! मुझे समीर पसंद है, लेकिन तुमने ये कैसे जाना?"फातिमाने कहा, "इस बात का अंदाज़ा मुझे तभी हो गया था जब तुम समीर के साथ स्कूल आई थी। मैं सोच रही थी कि मुझे तुमसे इस बारे में बात ...Read More

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तमस ज्योति - 25

प्रकरण - २५मुझे नहीं पता था कि मेरे प्रिय गायक अभिजीत जोशी अचानक इस तरह मेरे सामने आ जाएंगे। मेरे पास आये और बोले, "आपका नाम ही रोशन है न? आप ही विद्यालय के विद्यार्थियों को संगीत सिखाते है न?"मैंने कहा, "हाँ, हाँ, मैं ही सिखाता हूँ। मैं..मैं..मुझे समझ नहीं आता, मैं आपको क्या बताऊँ? आप मेरे बहुत...बहुत...पसंदीदा गायक हो। मैं वर्षों से आपसे मिलना चाहता था। मैं जब स्कूल में पढ़ता था तो आपके गाने को सुनते हुए ही बड़ा हुआ था। हमारे घर में पहले से ही संगीतमय माहौल था। आप हमेशा न केवल मेरे लिए बल्कि ...Read More

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प्रकरण - २६मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझे इतना बड़ा ऑफर मिलेगा। यह प्रस्ताव पाकर और मेरा परिवार बहुत खुश हुए। इस खुशी के साथ-साथ मुझे एक और भी काम करना था और वह था दर्शिनी को समझाने का।जैसा कि फातिमाने मुझे बताया था, मैंने अवसर का लाभ उठाते हुए दर्शिनी से समीर के बारे में बात की। मैंने उससे पूछा, "दर्शिनी! फातिमाने मुझसे कहा कि तुम और समीर दोनों एक-दूसरे को पसंद करते हैं? क्या यह बात सच है?"दर्शिनी बोली, "ओह! तो फातिमाने आपको भी ये बात बता ही दी न? अब झूठ बोलने ...Read More

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प्रकरण - २७अभिजीत जोशी का मुझ पर फोन आया। उन्होंने मुझसे कहा, "रोशनजी! जैसा कि हमने आपके विद्यालय के में चर्चा की थी, इस तरह से अब मेरे पास समय है और मैं अपने एलबम पर काम करना चाहता हूं। अब आप मुझे ये बताईए की क्या आप अगले सप्ताह से मुंबई आ पाएंगे?"मैंने कहा, "हाँ। मैं आ तो जाऊंगा लेकिन आप जानते हैं कि मैं सूरदास हूं इसलिए आम लोगों की तरह काम नहीं कर पाऊंगा। आप अब भी एक बार इस बारे में सोच लीजिएगा।”अभिजीतने कहा, "आप इसके के बारे में बिल्कुल भी चिंता मत कीजिए। मैंने ...Read More

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प्रकरण - २८मैं अब रईश के घर पहुंच गया था। उसकी शादी के बाद आज हम दोनों भाई पहली मिले। आज का दिन और आज की रात मुझे रईश के घर ही रुकना था। फिर दूसरे दिन की सुबह को अभिजीत जोशी मेरे लिए जो गाड़ी भेजनेवाले थे उसी में बैठकर मुझे मुंबई जाना था। मुंबई में एक नया सुनहरा भविष्य मेरा इंतज़ार कर रहा था।आज रईश के घर आकर मुझे बहुत ख़ुशी हुई। रईश की शादी के बाद हम दोनों भाई पहली बार ऐसे मिले।मेरे पिता मुझे राजकोट से अहमदाबाद तक छोड़ने मेरे साथ आए थे। वे दोपहर ...Read More

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प्रकरण - २९अमिता बोली, "नमस्कार! दोस्तो! मैं अमिता आप सभी का एक बार फिर से स्वागत करती हूं आप के चहिते इस कार्यक्रम रुबरु में। और मेरे साथ है मौजूद जाने-माने संगीतकार श्री रोशनकुमारजी। आइए अब रोशनकुमार के साथ हमारी इस चर्चा को आगे बढ़ाते हैं। ब्रेक में जाने से पहले हमने देखा कि रोशन कुमार अब मुंबई पहुंच चूके है। लेकिन अभी तक उन्होंने हमें यह नहीं बताया है कि उन्हें और फातिमा को एक-दूसरे के लिए अपने प्यार का एहसास कैसे हुआ? तो रोशनजी! अब आप हमें और हमारे दर्शकों को बताएं कि आपके मुंबई आने के ...Read More

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प्रकरण - ३०रोशन बोला, "ममतादेवीने फातिमा से अपने प्यार का इजहार करने को तो कहा लेकिन अब तक फातिमा ही नहीं समझ पा रही थी कि क्या ये सच में प्यार है या सिर्फ दोस्ती? प्यार की कीमत तो तभी होती है जब आपका प्रिय पात्र आपके साथ न हो और फिर भी आप उसकी यादों में जीते हैं। उस दिन आगे चलकर मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही होनेवाला था।"मेरा पूरा विदाई समारोह ख़त्म होने के बाद फातिमा मेरे पास आई। मैं तुरंत ही उसके कदम की आवाज़ को पहचान गया। विद्यालय में अपने इन दो वर्षो के ...Read More

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प्रकरण - ३१मेरे मुंबई आने के बाद अभिजीतजी के साथ मिलकर उसके एल्बम के गाने को मुझे अब अच्छे संगीतबद्ध करना था।अभिजीतजीने मुझसे कहा, "अब आपको यहां मुंबई आए दो दिन हो गए हैं। मुझे उम्मीद है कि आप अब यहां सेट हो गए हैं। और ये विराजभाई, जिन्हें मैंने आपकी देखभाल के लिए रखा है, वे आपकी अच्छी देखभाल तो कर रहे है न? आपको और कोई समस्या तो नहीं है ना? अगर आपको यहां किसी भी तरह की समस्या आती है तो आप बिना किसी बात की चिंता किए तुरंत मुझे बता दीजिएगा।"मैंने जवाब दिया, "नहीं, नहीं। ...Read More

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प्रकरण - ३२हमारा पूरा परिवार यह जानकर बहुत खुश हुआ कि नीलिमा गर्भवती है। जैसे ही मेरी मम्मी पापा रईश की बाते ख़त्म हुई की मैंने खुशी के मारे तुरंत फातिमा को फोन किया। मैंने उसे भी यह खुशखबरी दी। ये खबर सुनकर वो भी काफी खुश हुई।मुंबई आने के बाद मेरा एक भी दिन ऐसा नहीं बीतता था की मेरी और फातिमा की बात न हुई हो। मैं अपनी जिंदगी की हर छोटी से बड़ी बात फातिमा को बताता था। और फातिमा भी मेरी सारी बाते सुनती थी। अगर कभी-कभी मेरे पास काम की वजह से बात करने ...Read More

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तमस ज्योति - 33

प्रकरण - ३३मैं और रईश दोनों अपने घर के मैदान में बैठे बैठे बातें कर रहे थे। मैंने रईश यूँ ही पूछ लिया, "भाई! तुम्हारा रिसर्च कैसा चल रहा है?"रईशने मेरे इस सवाल का जो जवाब दिया उसे सुन कर मैं हैरान रह गया। लेकिन मुझे ये जवाब सुनकर ख़ुशी भी हुई। उसने मुझसे कहा, "कॉर्निया प्रत्यारोपण के लिए मेरा प्राणियों पर जो रिसर्च चल रहा था वह अब सफल हो गया है। हमने कृत्रिम कॉर्निया को जानवरों की आंखों में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया है। और खुशी की बात यह है कि इस कृत्रिम प्रत्यारोपण के कारण अस्वीकृति का ...Read More

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तमस ज्योति - 34

प्रकरण - ३४फातिमा और मैं अब जब हम अपने घर के लिविंग रूम में अकेले थे तो फातिमा को बात करने का सही मौका मिल गया। फातिमाने कहा की वह काफी समय से इस मौके का इंतजार कर रही थी। वो बोली, "रोशन! मैं काफी समय से तुमसे कुछ कहना चाहती थी, लेकिन शब्द बार-बार मेरे होठों पर आकर फिर रुक जाते थे। लेकिन आज मैं अब वो शब्द बोलना चाहती हूं।"फातिमा की यह बात सुनकर मैंने फातिमा से पूछा, "बताओ? फातिमा! तुम मुझसे क्या कहना चाहती हो?"फातिमा बोली, "मैंने हमेशा तुम्हारे चेहरे पर यह देखा है कि तुम ...Read More

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तमस ज्योति - 35

प्रकरण - ३५मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरी पूरी जिंदगी अचानक इस तरह बदल जाएगी। अभिजीत जोशी के की लॉन्च पार्टी खत्म होने के दूसरे ही दिन मुझे एक फोन आया। वह फोन मशहूर फिल्म डायरेक्टर नीरव शुक्ला का था।जब मैंने उनका फोन उठाया, तो उन्होंने मुझसे कहा, "रोशनजी! मैं कल की पार्टी के बाद घर आया और आपके संगीत के साथ अभिजीत जोशी का यह एल्बम सुना। मुझे संगीत बहुत पसंद आया। इसने वास्तव में मेरे दिल को छू लिया। जैसे ही मैंने संगीत सुना, मुझे ऐसा लगा जैसे मैं उन नौ रसों को जी रहा हूं। ...Read More

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तमस ज्योति - 36

प्रकरण - ३६मैंने अरमानी को पहली बार अपनी गोद में उठा ली थी। जैसे ही मैंने उसके हाथ को मैं एकदम रोमांचित सा हो गया। मेरे हाथों में उसके बहुत ही छोटे छोटे से हाथ थे। हालाँकि मैं उस बच्ची को देख तो नहीं सकता था लेकिन मैं उसके अस्तित्व को महसूस जरूर कर सकता था। और मुझे ये भी लग रहा था कि वह बच्ची भी शायद मेरी गोद में आकर खुश थी।जब मैंने अरमानी को गोद में लिया तो मुझे लगा कि मैं भले ही अंध हूँ, लेकिन यह बच्ची! यह बच्ची अरमानी कितने भरोसे से मेरी ...Read More

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तमस ज्योति - 37

प्रकरण - ३७मैंने रईश को अपने दिल की बात बता दी तो मुझे आज बहुत सुकून महसूस हो रहा ऐसा लगा रहा था मानो मन का कोई बोझ बिल्कुल हल्का हो गया हो। बहुत समय तक कोई बात आपके मन में रहती है और जब तक आप उसे किसी को बता नहीं देते तब तक आप बहुत तनाव में रहते हैं, लेकिन जब वह बात हम किसीको बता देते है तो मन बहुत हल्का हो जाता है। रईश को अपने दिल की बात बताकर आज मुझे भी बहुत ही सुकून महसूस हो रहा था।जब मैंने रईश को बताया कि ...Read More

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तमस ज्योति - 38

प्रकरण - ३८मैं एक बार फिर मुंबई आ पहुंचा था। यहां आने के बाद अब मैं अभिजीत जोशी से उनके घर गया। उन्होंने एक बार फिर मेरा बहुत अच्छे से स्वागत किया। उन्होंने मेरा स्वागत किया और कहा, "आईए आइए! रोशनजी! आपके बिना यह घर बहुत सूना सूना सा लग रहा था। मुझे तो अब आपकी इतनी आदत सी हो गई है कि अब आपके बिना काम चल ही नहीं सकता। हम इतने लंबे समय से साथ काम कर रहे है इसलिए आपके साथ एक अनोखा रिश्ता सा बन गया है। यह सप्ताह तो बड़ी मुश्किल से बीता है।"मैंने ...Read More

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तमस ज्योति - 39

प्रकरण - ३९जब मेरे पापा का फोन आया तभी मैंने तय कर लिया था कि मैं आज अभिजीत जोशी अपने पापा से बात करवाऊंगा। मैंने अपने पापा का फोन उठाया और हैलो कहा। दूसरी ओर से मेरे पापाने कहा, "रोशन! बेटा! तुम मुंबई शांति से पहुँच गए न? रास्ते में तुम्हें कोई परेशानी तो नहीं हुई? तुम पहली बार इस तरह अकेले गए थे, इसलिए तुम्हारी चिंता हो रही थी।"अब मैं अंधेपन के बावजूद भी इतना सक्षम हो गया था कि मुझे अब किसी की जरूरत नहीं पड़ती थी। अब मुझे किसी पर भी निर्भर नहीं रहना पड़ता था। ...Read More

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तमस ज्योति - 40

प्रकरण - ४०मेरे पापा को यह जानकर सुखद आश्चर्य हुआ कि अभिजीत जोशी मेरे पापा के बचपन के दोस्त जोशी का बेटा था। मेरे पापा यह जानकर बहुत खुश हुए कि उनके दोस्त का बेटा बहुत मशहूर हो गया है और अब वह अपने बेटे रोशन यानी मुझे भी आगे लाने की कोशिश कर रहे हैं।बचपन की दोस्ती भी कुछ अनोखी ही होती है! तमाम झगड़ों के बावजूद बचपन के वो दोस्त हमारी यादों में हमेशा खुशियां ही लाते हैं। रंजन जोशी भी अब मेरे पापा के जीवन की ऐसी ही स्मृति बनकर रह गये थे।इस बात को अब ...Read More

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तमस ज्योति - 41

प्रकरण - ४१अमिता बोली, "रोशनजी! हमारे दर्शक यह जानने के लिए बहुत उत्सुक हैं कि आपके साथ आगे क्या अब अपनी आगे की कहानी बताने लगे। वे बोले, "रईश अब न्यूयॉर्क के विजन आई रिसर्च सेंटर में पहुंचे चुका था। छह अलग-अलग देशों के छह वैज्ञानिक भी वहां पर आ पहुंचे थे। छह वैज्ञानिकों और रईश इन सभी सात लोगों को मिलकर पूरे प्रोजेक्ट पर एकसाथ काम करना था। यहां पर भी विजन आय रिसर्च सेन्टर जॉयकर नामक अस्पताल से संलग्न था।यह जॉयकेयर हॉस्पिटल डाॅ. डेनिश विक नामक डॉक्टर का था। इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए फंडिंग भी वही ...Read More

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तमस ज्योति - 42

प्रकरण - ४२मेरे मोबाइल पर रिंग बजी तो मैंने फोन उठाया और हेलो कहा। सामने की ओर से एक ही आवाज आई। वह आदमी बोला, "क्या मैं रोशनजी से बात कर सकता हूँ?"मैंने कहा, "हाँ। मैं रोशन ही बोल रहा हूँ। लेकिन आप कौन हो? मैं आपको नहीं पहचानता?"सामनेवाले व्यक्तिने मुझे जवाब देते हुए कहा, "जी रोशनजी! आप मुझे नही जानते लेकिन मैं आपको जानता हूं। मेरा नाम निषाद मेहता है और मैं गुजराती फिल्मों के लिए संगीत तैयार करने का काम करता हूं। अगर आपको गुजराती गाने सुनना पसंद है तो आपने जरूर मेरा नाम सुना होगा... आप ...Read More

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तमस ज्योति - 43

प्रकरण - ४३मैंने निषाद मेहता को फोन लगाया और कहा, "निषादजी! मैंने आपकी बात पर बहुत सोचा और मैं नतीजे पर पहुंचा हूं कि मुझे आपका प्रस्ताव निश्चित रूप से स्वीकार करना चाहिए लेकिन..."निषादने पूछा, "लेकिन क्या रोशनजी?"मैंने कहा, "आप तो जानते ही कि मैं सूरदास हूं, लेकिन आपको शायद यह एहसास नहीं होगा कि मेरा बड़ा भाई रईश मेरी आंखों की रोशनी वापस लाने के लिए इस समय अमेरिका में बड़ा रिसर्च कर रहा है और अगर वह सफल हो गया, तो मेरी आंखों का भी ऑपरेशन किया जाएगा। मैं आपके साथ पांच साल का कॉन्ट्रैक्ट करने के ...Read More

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तमस ज्योति - 44

प्रकरण - ४४जब दर्शिनी घर वापस आई तो मेरी मम्मी के मन में कई सवाल थे जिनका जवाब वह से पाना चाहती थी।मेरी मम्मीने दर्शिनी से कहा, "बेटा! मेरे दिमाग में एक सवाल घूम रहा है। क्या मैं पूछूँ?"दर्शिनीने कहा, "हाँ, हाँ, मम्मी! पूछो? प्रश्न पूछने के लिए तुम्हें मुझसे अनुमति माँगने की क्या आवश्यकता है? मुझ पर तुम्हारा पूरा अधिकार है। पूछो! तुम क्या पूछना चाहती हो?"मेरी मम्मीने पूछा, "ये समीर तुम्हारे साथ स्कूल में पढ़ता था ना! और वो काफी समय से तुम्हारा दोस्त है। क्यों?"दर्शिनीने कहा, "हाँ, मम्मी! समीर लंबे समय से मेरा दोस्त है और ...Read More

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तमस ज्योति - 45

प्रकरण - ४५मेरी मम्मी और मेरे पापा दर्शिनी और नीलिमा को छोड़ने अहमदाबाद आये थे। घर काफी दिनों से था इसलिए सबसे पहले इसकी सफाई करना जरूरी था। हालांकि रईश अमेरिका में था और नीलिमा भी इतने समय से अपनी मम्मी के घर राजकोट में ही थी इसलिए हमारा अहमदाबादवाला घर काफी समय से बंद ही पड़ा था।मेरी मम्मी और दर्शिनी दोनों घर की सफ़ाई में लग गई थी। दोनों को घर की सारी सफ़ाई करने में लगभग एक घंटा जितना समय लग गया। उसके बाद दर्शिनीने अपना सारा सामान घर में ठीक से व्यवस्थित किया। इसी बीच मेरी ...Read More

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तमस ज्योति - 46

प्रकरण - ४६मैं दिन की अपनी आखिरी रिकॉर्डिंग ख़त्म करके अभी-अभी घर पहुँचा था। मैंने विराजभाई को चाय बनाने लिए कहा इसलिए विराजभाई चाय बनाने के लिए रसोई में चले गये।मैं थोड़ी देर आराम करने के लिए अपने बिस्तर पर लेट गया। तभी अचानक मेरे मोबाइल की घंटी बजी जो रईश का नाम ले रही थी। मैंने फोन उठाया और हैल्लो कहा।सामने से रईश की आवाज आई। वो बोला , "रोशन! कैसा है? तुम्हारा काम कैसा चल रहा है?"मैंने बोला "बस! बहुत अच्छा चल रहा है। तुम बताओ। तुम्हारा रिसर्च कहा तक पहुंचा?रईशने बताया, "बस! यही बात बताने के ...Read More

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तमस ज्योति - 47

प्रकरण - ४७मैंने जैसे ही रईश से बात खत्म कर के फोन रखा ही था की तभी फातिमा का मेरे फोन में गूंजने लगा। फातिमा का फोन आते ही मेरा चेहरा खिल उठा। आज मैं बहुत दिनों बाद बहुत ही खुश था। ख़ुशी के मारे मैंने फोन उठाया और हेल्लो कहा।दूसरी ओर से फातिमा बोली, "तुम कैसे हो रोशन? अब तुम्हारे आखिरी गाने की रिकॉर्डिंग खत्म हो गई है? अब तुम यहां अहमदाबाद कब आनेवाले हो? तुम निशाद मेहता के साथ कॉन्ट्राकाट कब साईन करोगे?"मैंने कहा, "हां, अब नीरव शुक्ला के साथ इस फाइनल गाने की रिकॉर्डिंग भी पूरी ...Read More

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तमस ज्योति - 48

प्रकरण - ४८अमिता बोली, "नमस्कार दर्शकों! एक बार फिर से आप सभी का स्वागत है। मेरे साथ है जानेमाने रोशनकुमारजी! ब्रेक पर जाने से पहले हमने देखा कि किस तरह रोशनजी के पिता सुधाकरजीने समीर को अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद की। अब हम ये भी जानते है की जब रोशनजी अहमदाबाद पहुंचे तो वहा उनके साथ क्या हुआ? रोशनजी! अब आप हमें बताएं कि आगे आपके साथ क्या हुआ?"रोशनकुमार अब आगे की बात बताने लगे। उन्होंने कहा, "मैं नीरव शुक्ला और अभिजीत जोशी का आभार व्यक्त करके अब मुंबई से अहमदाबाद आ चुका था। उन दोनोंने ...Read More

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तमस ज्योति - 49

प्रकरण - ४९मुझे निषाद मेहता के साथ जो कॉन्ट्रैक्ट साइन करना था उसकी पूर्व तैयारी मैंने और मेरे पापाने दोनोंने पहले से ही करके रखी थी। जैसा कि आप सभी जानते है की उस समय मैं सूरदास था, इसलिए मेरे साथ किसी न किसी का हमेशा रहना अनिवार्य था।मेरे पापा को भी मेरी चिंता थी और इसीलिए उन्होंने मेरे लिए मेरे पी.ए. के रूप में एक आदमी का इंतजाम किया था। सुभाषभाई मेरे पापा के खास दोस्त थे। मेरे पापा को जब उनके साथ बातों बातों में पता चला कि सुभाषभाई का बेटा भी अहमदाबाद में नौकरी ढूंढ रहा ...Read More

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तमस ज्योति - 50

प्रकरण - ५०रईश और उनकी टीम की चर्चा अब पूरे अमेरिका में होने लगी थी। अमेरिका के विजन आई सेंटर के डॉ. डेनिश और रईश समेत वहां के वैज्ञानिकों की पूरी टीम सुर्खियों में छा गई थी। रईश और उनकी टीम द्वारा बनाया गया कृत्रिम कॉर्निया एक अनोखा आविष्कार था जो कई अंधे लोगों को ज्योति प्रदान करेगा। रईश भारत के एकमात्र ऐसे वैज्ञानिक के रूप में बहुत प्रसिद्ध हुआ जिन्होंने अनेक सूरदासों के जीवन में रोशनी फैलाई। यह भारत के लिए बड़े ही गर्व की बात थी।जब भारत सरकार को एहसास हुआ कि हमारे देश का एक वैज्ञानिक ...Read More

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तमस ज्योति - 51

प्रकरण - ५१मेरे मम्मी पापा अब हमारे साथ अहमदाबाद में रहने आ गये थे। मेरा पूरा परिवार अब एक रहने लगा था। अब पूरे परिवार में सिर्फ रईश की ही कमी थी, वह भी अब बहुत ही जल्द पूरी होनेवाली थी। क्योंकि जिस उद्देश्य से वह अमेरिका गया था वह उद्देश्य लगभग समाप्त हो चुका था। और जल्द ही वह यहां भारत लौटनेवाला था। हम रईश के बारे में अब बाद में बात करेंगे। अभी फिल्हाल मैं अपनी बात बताता हूं।मैं बहुत समय से निषाद महेता के साथ काम करने की वजह से उनके पास से बहुत कुछ नया ...Read More

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तमस ज्योति - 52

प्रकरण - ५२मैं और फातिमा मुंबई में अवॉर्ड समारोह में आ पहुंचे थे। अब ये अवॉर्ड फंक्शन जल्द ही होनेवाला था। कुछ ही मिनटों में एंकर बने अदनानखान और जूही बनर्जी दोनों मंच पर आ गए। पहले तो दोनोंने स्टेज पर आकर हल्का-फुल्का मजाक किया और फिर कार्यक्रम शुरू किया। कार्यक्रम की शुरुआत गणेशजी की स्तुति से हुई।मुझे और फातिमा को वी.आई.पी सीट दी गई थी। हमारे साथ बगल की कुर्सी पर अभिजीत जोशी और नीरव शुक्ला भी बैठे थे। बॉलीवुड के कुछ नायकोंने अपनी प्रस्तुति दी जिसका वर्णन फातिमाने मुझे सुनाया और मैंने फातिमा की आंखों के माध्यम ...Read More