14 वर्ष की आहुति ने अपना पूरा मन बना लिया था कि अब वह घर में नहीं रहेगी, उसे अपने इस प्यारे से घर को छोड़कर जाना ही होगा। लेकिन कहाँ...? कैसे...? यह चिंता उसे सता रही थी। वह अपनी मम्मी से बहुत ज़्यादा प्यार करती थी और उन्हें यह दुख देना भी नहीं चाहती थी। वह जानती थी कि यह सदमा मम्मी के लिए जीवन का सबसे बड़ा दर्द बन जाएगा। लेकिन अब उसके पास यह घर छोड़ने के अलावा दूसरा कोई रास्ता भी तो नहीं है। तब उसने सोचा कि घर छोड़ने से पहले वह अपनी मम्मी के नाम एक पत्र लिखे ताकि वह उसके लिए कुछ ग़लत ना सोचें।
Full Novel
पर्दाफाश - भाग - 1
14 वर्ष की आहुति ने अपना पूरा मन बना लिया था कि अब वह घर में नहीं रहेगी, उसे इस प्यारे से घर को छोड़कर जाना ही होगा। लेकिन कहाँ...? कैसे...? यह चिंता उसे सता रही थी। वह अपनी मम्मी से बहुत ज़्यादा प्यार करती थी और उन्हें यह दुख देना भी नहीं चाहती थी। वह जानती थी कि यह सदमा मम्मी के लिए जीवन का सबसे बड़ा दर्द बन जाएगा। लेकिन अब उसके पास यह घर छोड़ने के अलावा दूसरा कोई रास्ता भी तो नहीं है। तब उसने सोचा कि घर छोड़ने से पहले वह अपनी मम्मी के ...Read More
पर्दाफाश - भाग - 2
इस छोटी सी उम्र में दर्द का इतना बड़ा बवंडर अपने दिमाग में लिए आहुति स्कूल से घर के निकली। रास्ते में एस टी डी बूथ पर रुककर उसने अपनी नानी को फोन लगाया। फ़ोन उठाकर उसकी नानी पार्वती ने पूछा, "हैलो, कौन बोल रहा है?" "हैलो नानी, मैं आहुति।" "अरे, क्या बात है बिटिया? बाहर से फ़ोन क्यों कर रही हो? क्या हुआ है?" "नानी, मुझे अकेले में सिर्फ़ आपसे कुछ बात करनी है, जो किसी और को पता नहीं चलनी चाहिए।" पार्वती ने चिंतित स्वर में पूछा, "आहुति बेटा, ऐसी तो क्या बात है जो तुम इस ...Read More
पर्दाफाश - भाग - 4
आहुति ने अब रौनक पर निगरानी रखना शुरू कर दिया। वह अक्सर उसी महिला के साथ दिखाई देता। यह देखकर आहुति ने कमर कस ली कि अब वह कहीं नहीं जाएगी। वह यहीं रहकर अपनी रक्षा भी कर लेगी और अपनी मम्मा का जीवन भी सही कर लेगी। वह सोच रही थी कि वह यदि बड़ी होकर हिम्मत ला सकती है तो अभी क्यों नहीं? वह अभी क्यों उस इंसान का हाथ पकड़ कर उसे यह नहीं कह सकती कि सोचना भी मत वरना मम्मा को सब बता दूंगी। वह क्यों उस स्पर्श से डरती है? वह क्यों उसके ...Read More
पर्दाफाश - भाग - 3
आहुति अपनी नानी को यह सब बता कर हल्का महसूस कर रही थी। उसे विश्वास था कि उसकी नानी विकट समस्या का कोई ना कोई हल अवश्य निकाल लेंगी। ऐसा सोचते हुए आहुति ने जाने से पहले फिर कहा, "नानी, प्लीज आप यह बात मम्मी को बिल्कुल मत बताना। मम्मी को तो पापा बहुत प्यार करते हैं और वह उनके साथ खुश भी बहुत रहती हैं। उन्हें ऐसे खुश देखना मुझे अच्छा लगता है क्योंकि मैंने बचपन से उन्हें हमेशा उदास ही देखा है। मैं जानती हूँ नानी इतनी मार खाकर भी वह केवल मेरे लिए ही तो ज़िंदा ...Read More
पर्दाफाश - भाग - 5
अगले ही दिन आहुति ने फिर एस टी डी बूथ से पार्वती को फ़ोन लगाया, “हैलो नानी” “हैलो बेटा, हुआ? सब ठीक तो है ना?” “नानी, आज मैं आपको कुछ और बताने वाली हूं।” उसकी नानी ने घबराहट में पूछा, "क्या हुआ, आहुति?" "नानी, मैं अब कहीं नहीं जाऊंगी, किसी हॉस्टल में भी नहीं। मैं अब हमेशा यहीं मेरी मम्मी के साथ रहूंगी, क्योंकि मुझे पता है उन्हें मेरी जरूरत है।" “आहुति पहेलियाँ मत बुझा, बेटा बता दे क्या बात है?” “नानी मैंने पापा को एक और महिला के साथ कई बार देखा है। उनका उसके साथ अफेयर चल ...Read More
पर्दाफाश - भाग - 6
आहुति रोज़ की तरह सुबह उठकर अपने नित्य कर्मों से निपट कर स्कूल के लिए निकल ही रही थी तभी वंदना ने कहा, “आहुति बेटा आज मेरा सर बहुत दर्द कर रहा है; सोचती हूँ आज ऑफिस से छुट्टी ले लूं।” खुश होते हुए आहुति ने कहा, “वेरी गुड मम्मी मैं भी आज स्कूल से लाइब्रेरी नहीं जाऊंगी, सीधे घर आ जाऊंगी। आज आपके साथ ज़्यादा समय बिताने को मिलेगा।” “आहुति यह बात सुनकर तुम्हारे पापा मुझसे ईर्ष्या करने लगेंगे। जानती हो ना कल ही तो शिकायत कर रहे थे कि तुम बहुत देर से आती हो। बेटा उनका ...Read More
पर्दाफाश - भाग - 7
पत्र पढ़ने के बाद वंदना ने उसे अपने पास रख लिया। इस समय उसे कुछ भी समझ में नहीं रहा था मानो उसका दिमाग शून्य में चला गया था। तभी द्वार पर दस्तक हुई, वंदना अपनी आंखों के आंसुओं को छुपाने का जतन करती हुई उन्हें दुपट्टे से पोछती हुई बाहर गई और दरवाज़ा खोला सामने पार्वती खड़ी थी। अपनी माँ को अचानक सामने देखकर वंदना उनसे लिपटकर रोने लगी और रोते-रोते उसने पूछा, "माँ आप अचानक यहाँ कैसे? सब ठीक तो है ना?" पार्वती ने कहा, "अरे, वहाँ सब ठीक है पर तुझे क्या हुआ है?" यह पूछते ...Read More
पर्दाफाश - भाग - 8
रात में रौनक ने जैसे ही वंदना को अपनी बाँहों में भरने की कोशिश की वंदना ने उसे अलग दुत्कारते हुए कहा, “तुम्हें कोई और काम नहीं है। कुछ और नहीं सूझता है क्या?” “वंदना, यह कैसा अजीब प्रश्न है? तुम मेरी पत्नी हो, और ये क्षण प्यार करने के लिए ही तो हैं।” “मैं तुम्हारी पत्नी हूँ … काश मुझसे ही तुम्हारी यह हसरत पूरी हो पाती?” “क्या मतलब है तुम्हारा? तुम कहना क्या चाहती हो?” रौनक तो सोच भी नहीं सकता था कि आहुति वाली बात की भनक भी वंदना को लग सकती है। वह तो बिल्कुल ...Read More
पर्दाफाश - भाग - 9 (अंतिम भाग)
आहुति की दर्द और डर से भरी बातें सुनते ही वंदना वह पत्र लेकर अंदर कमरे में आ गई वहाँ खड़ी होकर रोने लगी। उसे देखते ही आहुति और पार्वती उठकर बैठ गए। आहुति ने पूछा, "मम्मा क्या हुआ? आप क्यों रो रही हैं?" वंदना ने वह पत्र आहुति और अपनी माँ के सामने रखते हुए कहा, " इसका फैसला कल होगा माँ।" आहुति चौंक उठी और पूछा, "मम्मा, यह पत्र आपके पास कैसे आया?" "बेटा, तुम्हारी अलमारी साफ़ करते समय यह पत्र आज ही मुझे मिला है। मेरी बच्ची," कहते हुए उसने आहुति को अपने सीने से लगा ...Read More