नुसरत मिठाई का डिब्बा लिए हुए के.पी. साहब के चैंबर के सामने पहुँची। अर्दली कुर्सी पर बैठा मोबाईल में व्यस्त था। नुसरत ने उससे पूछा, “साहब बैठे हैं क्या?” अर्दली ने एक दृष्टि मिठाई के डिब्बे और फिर उसके चेहरे पर डाल कर हल्की सी मुस्कुराहट के साथ पूछा, “हाँ बैठे हैं। मिलना है क्या?” नुसरत ने कहा, “हाँ, मुझे मिलना है।” अर्दली उठते हुए बोला, “एक मिनट रुकिए, पूछ कर बताता हूँ।” वह मिनट भर में अंदर से लौट कर बोला, “जाइए, साहब अच्छे मूड में हैं। देखिये सारी मिठाई उन्हीं को न खिला दीजियेगा।” फिर एक अर्थ-भरी मुस्कान उछाल कर दरवाज़ा खोल दिया। के.पी. साहब विभाग में बाबा-साहब के नाम से जाने जाते हैं।

Full Novel

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नुसरत - भाग 1

भाग 1 नुसरत मिठाई का डिब्बा लिए हुए के.पी. साहब के चैंबर के सामने पहुँची। अर्दली कुर्सी पर बैठा में व्यस्त था। नुसरत ने उससे पूछा, “साहब बैठे हैं क्या?” अर्दली ने एक दृष्टि मिठाई के डिब्बे और फिर उसके चेहरे पर डाल कर हल्की सी मुस्कुराहट के साथ पूछा, “हाँ बैठे हैं। मिलना है क्या?” नुसरत ने कहा, “हाँ, मुझे मिलना है।” अर्दली उठते हुए बोला, “एक मिनट रुकिए, पूछ कर बताता हूँ।” वह मिनट भर में अंदर से लौट कर बोला, “जाइए, साहब अच्छे मूड में हैं। देखिये सारी मिठाई उन्हीं को न खिला दीजियेगा।” फिर एक ...Read More

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नुसरत - भाग 2

भाग 2 लंच के दौरान चर्चा का मुख्य विषय था कि बाबा-साहब ने उससे क्या-क्या कहा। वह उन्हें सारी बता रही थी, जो नमक-मिर्च कोटेड थीं। उसने कहा कि, “मैं तो उनकी आँखें ही देखकर सहम गई थी। हमने तो सोचा ही नहीं था कि कोई इस तरह से मिठाई खाने से मना कर देगा। उससे ज़्यादा यह कि इतनी बड़ी-बड़ी नसीहत दे डालेगा। यह तो अच्छा हुआ कि आप लोगों ने उनकी सारी हिस्ट्री पहले ही बता दी थी। नहीं तो मैं उल्टे पाँव ही भाग आती।” ऑफ़िस में उसके इस पहले लंच के दौरान ही, दो दिन ...Read More

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नुसरत - भाग 3

भाग 3 “दूसरा आप यह चाहते हैं कि, विभाग में जो कुछ भी, जैसा भी चल रहा है, वह यथावत चलता रहे। आप क्या चाहते हैं कि, जैसे नज़्मुद्दीन शराब पी-पी कर मर गया सात-आठ वर्षों में, क्या उसी तरह उसकी पत्नी, मंडलियों के बाक़ी सदस्यों को भी मरने के लिए छोड़ दिया जाए। “नज़्मुद्दीन की पत्नी के भी शराब की भेंट चढ़ जाने के बाद, अनाथ हुए उसके बच्चों को कौन देखेगा? एक सभ्य समाज के सभ्य, ज़िम्मेदार नागरिक होने के नाते क्या हमें उसे ग़लत रास्ते पर जाने से नहीं रोकना चाहिए? “क्या बाक़ी बचे पियक्कड़ों को ...Read More

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नुसरत - भाग 4 (अंतिम भाग)

भाग 4 “वास्तव में यह बात खुली ऐसे कि, एक बार ऐसी ही एक पार्टी में झगड़ा हो गया। के सब नशे में तो थे ही। उनकी गाली-गलौज, हुड़दंग से पड़ोसी जाग भी सकते हैं, उन सब ने ऐसा सोचा ही नहीं। “मंडली की हरकतों से परेशान पड़ोसियों ने उस दिन पहले इन सबको मारा, फिर पुलिस बुलाने जा रहे थे। लेकिन इन सब के बहुत हाथ-पैर जोड़ने पर पुलिस तो नहीं बुलाई, लेकिन स्वयं जितना टाइट कर सकते थे, उतना कर दिया। उन्हीं पड़ोसियों में से एक का दोस्त विरोधी मंडली में है। वहीं से सारी बातें आगे ...Read More