रुबिका के दायरे

(1)
  • 7.1k
  • 0
  • 2.6k

“यह तो चाँस की बात थी कि शाहीन बाग़ साज़िश में हम-दोनों जेल जाने से बच गई और टाइम रहते अबॉर्शन करवा लिया, नहीं तो हम भी आज आरफा जरगर की तरह किसी अनाम बाप के बच्चे को लेकर दुनिया से मुँह छुपाती फिर रही होती। आज कौन है जो आरफा को मदद कर रहा है। मदद के नाम पर भी उस बेचारी को अपनों ने ही ठगा। कहने को वह ख़ानदान का ही लड़का था, बड़े तपाक से सामने आया कि बच्चे को मैं दूँगा अपना नाम। झट से निकाह कर लिया, साल भर यूज़ किया, उसके प्रेग्नेंट होते ही व्हाट्सएप पर तलाक़ देकर भाग गया धोखेबाज़। ये तो अच्छा हुआ कि उसने बिना किसी हिचक ज़रा भी देर नहीं की और तुरंत ही प्रेग्नेंसी अबॉर्ट करवा दी नहीं तो एक और बच्चे को ढो रही होती। पहले बेवक़ूफ़ी, फिर धोखे से मिले ज़ख़्म से उसके ऊपर क्या बीत रही है, कौन जाकर उससे कभी पूछता है।

Full Novel

1

रुबिका के दायरे - भाग 1

भाग -1 प्रदीप श्रीवास्तव “यह तो चाँस की बात थी कि शाहीन बाग़ साज़िश में हम-दोनों जेल जाने से गई और टाइम रहते अबॉर्शन करवा लिया, नहीं तो हम भी आज आरफा जरगर की तरह किसी अनाम बाप के बच्चे को लेकर दुनिया से मुँह छुपाती फिर रही होती। आज कौन है जो आरफा को मदद कर रहा है। मदद के नाम पर भी उस बेचारी को अपनों ने ही ठगा। कहने को वह ख़ानदान का ही लड़का था, बड़े तपाक से सामने आया कि बच्चे को मैं दूँगा अपना नाम। झट से निकाह कर लिया, साल भर यूज़ ...Read More

2

रुबिका के दायरे - भाग 2

भाग -2 महबूबा ने रूबिका पर जब बहुत ज़्यादा दबाव डाला तो उसने मन ही मन सोचा यह तो गले ही पड़ गई है। अपनी बात पूरी सुनाए बिना मानेगी नहीं। चलो सुन ही लेती हूँ। उसने महबूबा से कहा, “ठीक है, इतना कह रही हो तो बताओ, लेकिन इस तरह बात-बात में मज़हब का सहारा नहीं लिया करो। इतनी पढ़ी-लिखी तो हूँ ही कि कौन-सी बात मज़हब की, क़ौम की है, कौन-सी नहीं, यह अच्छी तरह समझती हूँ।” यह सुनते ही महबूबा ने कहा, “अल्लाह का शुक्र है कि तुम बात सुनने को तैयार हुई। देखो अभी बीते ...Read More

3

रुबिका के दायरे - भाग 3

भाग -3 रुबिका को महबूबा का आवेश भरा लहजा बहुत ही नागवार गुज़रा। उसने कहा, “मैं किसी ऐरे-ग़ैरे की नहीं कर रही हूँ, मैं इतिहास से सबक़ लेने की बात कर रही हूँ। कितना अफ़सोसनाक है कि तुम भी मेरी तरह ही इतिहास में ही पीएच. डी. कर रही हो, लेकिन जिसके नाम से ही दुश्मनों की रूह काँप जाती थी, उस हरि सिंह नलवा और मुस्लिम मर्दों के सलवार कुर्ता पहनने के कनेक्शन को नहीं जानती। “क़ौम के लिए वह हालत बड़ी शर्मिंदगी वाली होती है, जब क़ौम के मर्द, कोई काम निकालने के लिए औरतों के कंधों ...Read More

4

रुबिका के दायरे - भाग 4 (अंतिम भाग)

भाग -4 “भ्रम फैला भी लेकिन लाचित ने अपनी बुद्धिमत्ता, रण-कौशल से ब्रह्मपुत्र नदी युद्ध में भी मुग़ल सेना कुचल कर रख दिया। मुग़लों ने हार मानते हुए लिखा ‘महाराज की जय हो! केवल एक ही व्यक्ति सभी शक्तियों का नेतृत्व करता है! यहाँ तक कि मैं राम सिंह, व्यक्तिगत रूप से युद्ध-स्थल पर उपस्थित होते हुए भी, कोई कमी या कोई अवसर नहीं ढूँढ़ सका!’ ऐसे लोगों के बारे में इतिहास में कितना पढ़ाया जाता है? दक्षिण में भी मुग़ल असफल रहे। सच छिपा कर हर वह झूठ स्थापित किया गया जो इस देश को अपमानित महसूस कराए, ...Read More