फ़ाइनल डिसीज़न

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आज वह फिर नस्लवादी कॉमेंट की बर्छियों से घायल होकर घर लौटी है। वह रास्ते भर कार ड्राइव करती हुई सोचती रही कि आख़िर ऐसे कॅरियर पैसे का क्या फ़ायदा जो सम्मान सुख-चैन छीन ले। क्या मैं गायनेकोलॉजिस्ट इसीलिए बनी, इसीलिए अपना देश भारत छोड़कर यहाँ ब्रिटेन आयी कि यहाँ नस्लवादियों, जेहादियों की नस्ली भेद-भाव पूर्ण अपमानजनक बातें, व्यवहार सुनूँ, बर्दाश्त करूँ, इनके हमलों का शिकार बनूँ। देश में सुनती थी यह बातें तो विश्वास नहीं कर पाती थी। सोमेश्वर भी कहते थे, ‘छोटी-मोटी घटनाएँ हो जाती होंगीं, वह एक डेवलेप्ड कंट्री है, वेलकल्चर्ड लोग हैं। यह एक प्रोपेगंडा के सिवा और कुछ नहीं है।’ सचाई मालूम होती कि यहाँ वास्तविक स्थिति यह है तो अपना देश भारत, ससुराल, बेटी और माँ को छोड़कर कभी भी नहीं आती। सपने में भी नहीं सोचा था कि यहाँ आकर हस्बेंड से भी . . .। हस्बैंड का ध्यान आते ही उसके हृदय में एक सूई सी चुभ गई।

Full Novel

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फ़ाइनल डिसीज़न - भाग 1

भाग -1 प्रदीप श्रीवास्तव आज वह फिर नस्लवादी कॉमेंट की बर्छियों से घायल होकर घर लौटी है। वह रास्ते कार ड्राइव करती हुई सोचती रही कि आख़िर ऐसे कॅरियर पैसे का क्या फ़ायदा जो सम्मान सुख-चैन छीन ले। क्या मैं गायनेकोलॉजिस्ट इसीलिए बनी, इसीलिए अपना देश भारत छोड़कर यहाँ ब्रिटेन आयी कि यहाँ नस्लवादियों, जेहादियों की नस्ली भेद-भाव पूर्ण अपमानजनक बातें, व्यवहार सुनूँ, बर्दाश्त करूँ, इनके हमलों का शिकार बनूँ। देश में सुनती थी यह बातें तो विश्वास नहीं कर पाती थी। सोमेश्वर भी कहते थे, ‘छोटी-मोटी घटनाएँ हो जाती होंगीं, वह एक डेवलेप्ड कंट्री है, वेलकल्चर्ड लोग हैं। ...Read More

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फ़ाइनल डिसीज़न - भाग 2

भाग -2 गार्गी ने किचन में अपने लिए नाश्ता तैयार करते हुए माँ को फोन किया तो वह बहुत में उसी की कॉल की प्रतीक्षा करती हुई मिलीं। बात शुरू होते ही उन्होंने कहा, “गार्गी, तुम्हारी बेटी के प्रश्नों के जवाब दे पाना अब मेरे वश में नहीं रहा। अभी वह अठारह-उन्नीस की हो रही है। लेकिन मेरी हर बात को ग़लत कहना उसकी आदत बन गई है। तीस साल कॉलेज में बच्चों को पढ़ाया, लेकिन नातिन को बताने के लिए मेरे पास कुछ नहीं है। “मैं जब भी उससे पढ़ाई-लिखाई, टाइम से घर आने, हेल्थ का ध्यान रखने ...Read More

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फ़ाइनल डिसीज़न - भाग 3

भाग -3 ब्रेस्ट में पेन की बात सुनकर गार्गी काफ़ी चिंतित हो उठी। उसने बेटी से काफ़ी विस्तार से बात पूछनी शुरू कर दी। बेटी ने भी शुरूआती संकोच के बाद सारी बातें बता दीं। गार्गी ने वीडियो कॉल के ज़रिए भी जितना पाॅसिबल हो सका उसे देखकर समझने की कोशिश की। जो देखा उससे उसकी चिंता ख़त्म हो गई। उसने कहा, “बेटा तुम्हारी प्रॉब्लम वो नहीं है, जो तुम समझ रही हो। तुम्हारी प्रॉब्लम तुम्हारी लाइफ़ स्टाइल, फ़ास्ट फ़ूड, अपने शरीर के बारे में कोई भी जानकारी नहीं रखना है। सच में बेटा मैं बहुत शाॅक्ड हूँ कि ...Read More

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फ़ाइनल डिसीज़न - भाग 4 (अंतिम भाग)

भाग -4 गार्गी खाने-पीने के बाद एक भारतीय न्यूज़ चैनल पर समाचार देख रही थी। यह उसका रोज़ का था। इसके ज़रिए वह स्वयं को अपने देश से जुड़ा हुआ महसूस करती है। वहाँ की स्थितियों से अपडेट होती। इसके बाद वह थोड़ी देर अपने प्रोफ़ेशन से रिलेटेड बुक्स पढ़ती रहती है और कभी-कभी पढ़ते-पढ़ते ही सो जाती है। लेकिन जिस दिन दिमाग़ में हस्बैंड की एंट्री हो जाती है, उस दिन उसकी रात आँखों में ही बीत जाती है। और आज तो हस्बैंड की एंट्री दिन में ही हो गई थी। उसकी नज़र टीवी पर थी लेकिन ध्यान ...Read More