जिंदगी किस मोड़ पर कैसे और कब बदल जाए ये कह नही सकते, ऐसा ही कुछ राजपुरोहित जी के साथ हुआ। हीरालाल जी बहुत ही संपन्न और प्रतिष्ठित कारोबारी थे। हर ओर उनकी प्रतिष्ठा, वैभवता की ख्याति थी। जन्म से ब्राह्मण पर विचारो और गुणों से महाजन प्रतीत होते थे, समय के साथ परिवर्तन होते रहना चाहिए किंतु कभी कभी परिवर्तन की अनदेखी भी करनी चाहिए ये उनका मूल मंत्र था। हीरालाल जी के दो पुत्र थे, परंतु उनके कोई पुत्री नही थी इस बात का सदैव वह अफसोस जताया करते थे। एक माह पूर्व की बात है हीरालाल जी किसी कार्य वश शहर से बाहर अपने नजदीकी रिश्तेदारों से मिलने जा रहे थे, तभी विनायक जी उनसे मिलने पहुंचे , विनायक जी भी कारोबारी ही थे परंतु वह कर्म और धर्म दोनो से ही महाजन थे। विनायक जी - और महाराज कैसे हो आप?
हथकड़ी - 1
जिंदगी किस मोड़ पर कैसे और कब बदल जाए ये कह नही सकते, ऐसा ही कुछ राजपुरोहित जी के हुआ। हीरालाल जी बहुत ही संपन्न और प्रतिष्ठित कारोबारी थे। हर ओर उनकी प्रतिष्ठा, वैभवता की ख्याति थी। जन्म से ब्राह्मण पर विचारो और गुणों से महाजन प्रतीत होते थे, समय के साथ परिवर्तन होते रहना चाहिए किंतु कभी कभी परिवर्तन की अनदेखी भी करनी चाहिए ये उनका मूल मंत्र था।हीरालाल जी के दो पुत्र थे, परंतु उनके कोई पुत्री नही थी इस बात का सदैव वह अफसोस जताया करते थे।एक माह पूर्व की बात है हीरालाल जी किसी कार्य ...Read More
हथकड़ी - 2
रात्रि के समय सभी के उपस्थित होने पर हीरालाल जी ने आज जो बात विनायक जी ने कही वह को बताई।राजेश - पिताजी हमारे घर में से अवश्य किसी ना किसी को व्यापार मंडल के अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ना चाहिए।संदीप - जी पिताजी, मुझे भी लगता है राजेश सही कह रहा है। हीरालाल जी - मैं तुम दोनों की बातों से सहमत हूं परंतु अगर मैं तुम दोनों में से किसी एक को चुनाव में खड़ा किया तो इस चुनाव पर निष्पक्षता का प्रश्न चिन्ह प्रकट हो जाएगा।संदीप - परंतु, पिताजी आपको सभी व्यापारी अच्छे से जानते हैं ...Read More