स्वयंवधू

(18)
  • 60.4k
  • 0
  • 27.4k

कृपया एक पल रुककर इसे पढ़े- यह एक अनाड़ी और अंतर्मुखी लड़की की कहानी है जिसे अगवा कर 'स्वयंवधू' नामक प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए मजबूर किया गया। यह उसके लिए अमीर लोगों की मूर्खतापूर्ण आकर्षण के अलावा कुछ नहीं था और उसने अपने परिवार कि सुरक्षा को अपनी प्राथमिकता बना लिया, जो उसके छह फुट से अधिक लंबे बहु-करोड़पति अपहरणकर्ता के हाथों में थी। उसकी शुरुआत तो ठीक थी लेकिन कहते है ना जब ज़िंदगी बहुत आसानी से चलता है तभी ज़ोरदार तमाचा पड़ता है। माफिया के अप्रत्यक्ष शिकार से प्रत्यक्ष शिकार का सफर और पतन का कारण।

1

स्वयंवधू - 1

मैंने सुना था कि ज़िंदगी सभी को मौका देती है, यहाँ तक कि उसे भी जो इसके लायक नहीं मैंने सोचा कि मेरे पास भी एक मौका है, लेकिन यह मेरा भ्रम था, वो आज मिटने वाला था... कितना लंबा लाइन है। आधे घंटे से यहाँ खड़े हैं, और कितना वक्त लगेगा?! , मैं शिकायत करते हुए लाइन में खड़ी थी, चुप-चाप खड़े रहो मैं भी तो यह खड़ा हुआ हूँ! , भाई मुझे डांट रहा था, तुम्हें तो आदत है, ना...भाई , उसके ऊपर टेकी लेने की कोशिश कर रही थी, पीछे हटो गधी! मुझे तुम्हारी एक शिकायत नहीं सुननी। तुम्हारे ...Read More

2

स्वयंवधू - 2

"...फिर से कहना?", मुझे एक पल के लिए अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ,"अभी नहीं!", वह इतना शांत था कि वह इस जगह का मालिक हो।(त-तुम! मैं जानती थी! मैं जानती थी! मुझे पता था ये मानसिक रूप से परेशान आदमी होगा!)उसने वो दवाइयाँ मुझ कर फेंक दीं और वो वही उस कुर्सी पर जाकर बैठ गया।(इस आदमी में रत्तीभर कि भी शर्म नहीं है। ऐसे ही बैठ गया?!)दवाइयाँ मेरे हाथ में बड़ी लग रही थी। थोड़ी देर बाद...उसकी नज़र मुझ पर थी जैसे वो मुझसे कह रही थी कि इसे ले लो। मैं घबरा गयी, कुछ समझ नहीं ...Read More

3

स्वयंवधू - 3

'समीर बिजलानी और मान्या बिजलानी के बेटे, वृषा बिजलानी अब एकमात्र प्रतिभाशाली उत्तराधिकारी हैं, जो इस कॉर्पोरेट जगत में रखने के दिन से ही अपनी प्रतिभा दिखा रहे हैं और पहले से ही शीर्ष पर हैं। वह एक महान व्यवसायी हैं और वर्तमान में बिजलानी को भारत और दुनिया भर में अग्रणी ब्रांड बनाने के लिए दुनिया भर में काम कर रहे हैं।'और भी बहुत सी बातें लिखी गईं थी लेकिन वह वृषा जी के बारे में नहीं थी।'समीर बिजलानी ने कैसे इस ब्रांड को सफल बनाने के लिए अपनी सारी जवानी लगा दी और अभी भी काम कर ...Read More

4

स्वयंवधू - 4

अभी तक वृषाली का अपहरण किए उसे कैद में रख, उसका जीवन सामान्य ही चल रहा है लेकिन मासिकधर्म लड़की के लिए काफी मुश्किल समय होता है खासकर जब उसके पास उसका मानसिक चैन ना हो और जो पक्की अंतर्मुखी हो। देखते है वृषा-वृषाली इसे कैसे संभालते है। दाईमाँ की क्या योजना है, यह भी देखना होगा। ...Read More

5

स्वयंवधू - 5

"क्या लगा हमे बेघर कर साँस भी ले पाओगी?", मेरी बुआ ने कहा,"किस जोंक से बात खर रही हो?", ने पूछा,"देखो दुनियावालों, कैसे अपने आशिक के साथ भरे बाज़ार में मेरा शोषण कर रही है! कोई मेरी मदद करो!", बीच बाज़ार में वो चिल्लाने लगी। क्ता करूँ, कैसे करूँ...मम्मा-डैडा के साथ क्या हो रहा होगा। वृषा क्या करेगा? मैं इस स्थिति को कैसे संभालूँ ताकि किसी का सिर ना कटे! ...Read More

6

स्वयंवधू - 6

वृषा को नहीं पता कि एक छोटा सा दाग एक लड़की के जीवन और उसके परिवार की छवि को करने के लिए किस तरह पर्याप्त होता है। मैंने वो रात बेचैनी में बितायी।स्टडी रूम में, मैं गहरे विचारों में खोया हुआ था। तभी दाईमाँ आई।"तुमने उसे अंगूठी क्यों नहीं पहनाई?", उन्होंने गुस्से से पूछा,"आप जानती है ना उसका मतलब?", मैंने जवाब दिया,वह नाराज़ थी, "सवाल पर सवाल मत पूछो! आप एक लड़की के साथ ऐसा कैसे कर सकते हैं?",('आप'?)इसका कोई मतलब नहीं बनता, "आपका क्या मतलब है दाईमाँ? क्या मैंने कुछ गलत किया है?","हाँ, तुमने किया!","क्या? ऐसा नहीं है ...Read More

7

स्वयंवधू - 7

आज मेरे साथ दो घटना हुई। पहली, वृषा की मदद करने उनके कमरे में, उनके कपड़े निकालने पहली बार क्या? क्या ये अंधेरे के बेटे है?", वृषा के पास सिर्फ शतरंज के पासे जैसे कपड़े थे। और दूसरा, उनकी दी गयी चेतावनी को ना मानना और बिना अपनी मर्ज़ी के किसीके पीछे भी चल देना, और अब पूल में डूबकर मरने से आधे इंच भी दूर नहीं हूँ..... ...Read More

8

स्वयंवधू - 8

कैसा लगेगा जब तुम्हें पता चलेगा कि तुम्हारे कमरे में कैमरे लगाए गए हो? यही हुआ मेरे साथ। मेरे में कैमरा कब लगा, कैसे लगा पता नहीं। पूल में लगभग धकेले के बाद कैमरे में कैद होना, ये मेरे औकात के परे था। ...Read More

9

स्वयंवधू - 9

मैं इतना भयभीत हो गयी थी कि, "क..क-क...ब...", मेरे शब्द निकल नहीं रहे थे। ऐसा था जैसे किसीने मेरी सिल दी थी।"चिंता मत करो हमने पूरी रात जाँच-पड़ताल की। यह कैमरे और माइक्रोफोन, दोंनो कल ही सेटअप किए गए थे। उसके लगते साथ ही हमें उसका पता चल गया-वर्ना...और जहाँ तक तुम्हारी सुरक्षा का सवाल है-तुम्हारी सुरक्षा के लिए तुम अपने इस भैय्या पर भरोसा कर सकती हो।", (मैं तुम्हें सच नहीं बता सकता।)उनकी बात सुनकर मुझे एक कड़ी सूरक्षा का अनुभव हुआ।"...हम्मम!", मेरे मुँह से बस यही निकला,"कुछ खाओगी?", भैय्या ने पूछा,मैंने ना में सिर हिलाया।"चलो आज ये ...Read More

10

स्वयंवधू - 10

दूसरे दिन सुबह-(पता नहीं मैं ऐसे कैसे सो गया? मुझे वृषा को वृषाली के पहले जगाना होगा। पता नहीं भर में क्या नये कांड हुए होंगे?)मैं उनके कमरे में ध्यान से घुसा। वे दोंनो अब भी सोए हुए थे। मैं वृषा के पास ध्यान से गया और उसे बड़े शांति और ध्यान से उठाकर, "श्श्श! शांत रहो। अपने बगल देखो और मेरे साथ चलो।", उसे अपने साथ वृषाली के कमरे में ले गया।"हाह! क्या हुआ कल?", वृषा ने फिर पकड़कर पूछा,"पहले तुम बताओ कि कल क्या हुआ था?", सबसे पहले मुझे अपने दिमाग को सुलझाना होगा ताकि मैं अच्छे ...Read More

11

स्वयंवधू - 11

कल का दिन आ गया। जैसा कि कायल ने कहा था, उन्होंने अपना भविष्य का बेडरूम प्लान भेजा। यह में जितना हास्यास्पद लगता था उससे कहीं अधिक हास्यास्पद देखने में लग रहा था। हर किसी की कमरे की योजना में उन्होंने अपनी इच्छाओं को खूबसूरती से चित्रित किया गया था दिव्या, प्रांजली और अंजली को विशाल शयनकक्ष पसंद थे जबकि साक्षी और प्रतिज्ञा को आरामदायक बेडरूम। कायल को महंगी सामग्री और हीरे-रूबी की फिनिश वाली थी। उसकी हर चीज़ केवल पैसा बोलती थी।और मेरी नियती को तो देखो! इसने कुछ नहीं किया। सादा कमरा कुछ अलग पर्दो के साथ, ...Read More

12

स्वयंवधू - 12

वृषाली ने थोड़ी बातचीत के बाद गंभीरता से कहा,"भैय्या अगर आप थके हुए नहीं है तो क्या आप हमारे ऊपर चल सकते है?","क्या हो गया?", सरयू ने पूछा,"सारी बात यहाँ नहीं हो सकती।", दिव्या ने कहा,"रास्ता साफ है।", प्रांजली ने इधर-उधर देखकर कहा,हम सब ऊपर गए, वृषाली ने धीरे से कमरे का दरवाज़ा खोला और वहाँ स्तब्ध खड़ी रही फिर कहा,"वो भाग गया-","कैसे?", साक्षी ने भी अंदर जाकर देखा,"पर मैंने उसे कसकर बाँधा था।", प्रांजली ने कहा,"सुबह तक का तो वो यही था।", दिव्या ने कहा,"हाँ, मैंने भी तुम्हारे साथ उसे यहाँ देखा था। आखिर वो भागा कैसे?!", प्रांजली ...Read More

13

स्वयंवधू - 13

(वोह! कितना आलिशान है...मुझे बहुत घबराहट महसूस हो रही है।)जहाँ भी मैं अपनी आँखें दौड़ाती मुझे विलासिता ही दिखाई सुनहरी फिनिश के साथ सफेद संगमरमर से बना होटल एक मध्यमवर्गीय लड़की के लिए पचाना मुश्किल था!होटल के कर्मचारी हमें ड्रेसिंग रूम तक ले गए, वहाँ मैंने कायल को छोड़कर सभी प्रतियोगियों को देखा। यह तो तय था, उसे वीआईपी कमरा मिला होगा। (अकेले रहना कितना अच्छा है।)मैंने देखा उस बड़े कमरे में बहुत सारे लोग कैसे इधर-उधर अपना काम करते हुए भाग रहे थे। अब हमारे लिए तैयार होने का समय आ गया था। मैंने आसमानी नीला ए-लाइन गाउन ...Read More

14

स्वयंवधू - 14

उस दिन सुबह...सब कुछ सामान्य था। हम उस समय गायब होने और राज द्वारा उसकी कलाई पर छोड़े गए के से सवालों से बचने में कामयाब रहे।"मैं फिसल गयी और उन्होंने मुझे गिरने से बचाने की कोशिश की और ऐसा ही गया...", उसके इस बहाने पर सब आँख मूंदकर भरोसा कर सकते थे,"तुम बहुत उपद्रवी हो गई हो!", उसके बड़े भाई ने उसे उसके लापरवाह व्यवहार के लिए खूब डांटा।आज सुबह से मेरा सब कुछ बिखरने लगा!हम इस हद तक लड़े कि उसे ठगा हुआ महसूस हुआ, उसने मुझसे बात करने की कोशिश नहीं की। हुआ ये कि, उसने ...Read More

15

स्वयंवधू - 15

वह मुझे गुस्से से घूर रही थी।"आपने उसे क्या खिलाया?-नहीं! आपने उसे क्यों खिलाया?", उसने गुस्से से पूछा,मैं उसके से अचरज में था, "वृषाली?...उसने बस पानी पिया और...उसने खून की उल्टी की। वो कैसी है?","वह कैसी है? मिस्टर बिजलानी आपने उसे बर्बाद कर दिया!", वह चिल्लाई,उसके इस वाक्य से हर कोई स्तब्ध रह गया।"चिंता करने कि ज़रूरत नहीं। हमे उसके गले का ऑपरेशन करने की ज़रूरत नहीं पड़ी...पर उसके गले कि अंदरूनी सतह लगभग पूरी तरह से तबाह हो गयी है।",सरयू ने उत्तर दिया, "उसने जो कुछ भी खाया और पीया वह मेरे निरीक्षण पर तैयार किया गया था। ...Read More

16

स्वयंवधू - 16

हम दोंनो ऊपर छत पर गए। शाम सुनहरी काली थी। वहाँ-"तो अब क्या नुकसान पहुँचाना चाहती हों उसे?", मैंने पूछा,वह बहुत अचंभित थी।"क्या? भंडाफोड़ की उम्मीद नहीं थी?",फिर वह बड़बड़ाने लगी, "नहीं! मैंने कुछ नहीं किया! वृषा...","मेरा नाम मत लो! मुझे याद नहीं है कि मैंने तुम्हें मुझे मेरे नाम से बुलाने की अनुमति दी थी?",वह सावधानी से पकड़ी गई थी, "तो तुम उससे या मुझसे क्यों मिलना चाहती थी? देखना चाहती थी कि क्या वह काफी पीड़ित है या नहीं? 'कमी हो तो उसे भी पूरा कर दूँ।' ?",वह उत्तेजित हो गई, "नहीं! आप ऐसा कुछ कैसे कह ...Read More

17

स्वयंवधू - 17

डांसिंग स्टूडियो के पार्किंग स्थल पर-अब मैं अरबपति, वृषा बिजलानी के ठीक बगल में चल रही थी तब मुझे बीच कि वास्तविकता का अहसास फिर से हुआ। मैं कितना भी कमाने की कोशिश कर लूँ, मैं उस स्थान तक कभी नहीं पहुँच सकती जहाँ, वे थे।तभी कोई आदमी काले सूट में वृषा के पास आया और खुसफुसाया। मैं बस 'कायल' और 'ज़रूरत' ही समझ पाई। वृषा हड़बड़ी में गए और एक आदमी को मुझे सबके पास ले जाने को कहा और जल्दी-जल्दी में निकल गए।उसने मुझसे अपने पीछे आने को कहा। मैं उसके पीछे-पीछे चल रही थी। वह मुझे ...Read More

18

स्वयंवधू - 18

"कोई पागल ही मुझे जानना चाहेगा।", वृषाली ने कहा,(तो अब मैं पागल हूँ।)"अहम! यह उनका असफल प्रयास था इसलिए तुम्हें पकड़ने के लिए नई घटनाएँ रचीं और कायल के स्टॉकर का इस्तेमाल किया। जब मैं कायल के स्टॉकर मामले में व्यस्त था, तब उन्होंने इस मौके का इस्तेमाल कर तुम्हारा अपहरण करने के लिए किया। उन्होंने अपनी आत्म-संतुष्टि के लिए तुम्हें नष्ट करने और एक भयानक मौत देते हुए वीडियो बनाने कि कोशिश की। ताकि मुझे मेरा औकात याद दिला सके।","सिर्फ उनके आत्मसंतुष्टि के लिए मेरे टुकड़े करना चाहते थे?", मैंने जो सुना उस पर मुझे विश्वास नहीं हुआ, ...Read More

19

स्वयंवधू - 19

बालकनी में-"म्याऊँ!", पहेली बगल में अपने खिलौने चूहे से खेल रही थी।"तो हम लोंगो ने हँसो के जोड़े को दिव्या ने कहा,"क्या हो गया वृषाली इतनी गुमसुम क्यों बैठी हो?", साक्षी ने पूछा,हमेशा की तरह वह मुस्कुराते हुए और 'कुछ नहीं' में सिर हिलाते हुए जवाब देने से बचने की कोशिश।दिव्या ने कहा, "वह थकी हुई महसूस कर रही होगी। उसे ठीक होने के लिए आराम की ज़रूरत है।","यहाँ आराम करना चाहती हो? नरम धूप तुम्हें बेहतर महसूस करने में मदद करेगा, बस यहीं आराम करों।", कह दोंनो बालकनी से चले गए।(ऐसा लग रहा है कि दुनिया खत्म होने ...Read More

20

स्वयंवधू - 20

मैं सोफ़े पर हमारे बीच तीन हाथ की दूरी बनाकर बैठ गयी, आमतौर पर यह डेढ़ हाथ की दूरी थी। वहाँ पहेली भी चिंतित होकर आ गई और मुझे खुश करने के लिए म्याऊँ-म्याऊँ करने लगी और मेरी गोद में बैठ गई।मैं बात करने गयी पर मुझसे नहीं हो पाया और मैं, पहेली को ले अपने कमरे में भाग गयी। वहाँ दी मेरा इंतज़ार कर रही थी।"कहाँ थी इतनी देर?", दी ने गुस्से से पूछा,"-दी।", मैंने कांपती हुई आवाज़ में कहा।मुझे डरा देख पहेली दी पर गुर्राने लगी।मैं पहेली को उठा, "पहेली! बच्चा ये मेरी बड़ी बहन है। गलत ...Read More

21

स्वयंवधू - 21

मैं भी हमारे आगंतुक से मिलने गयी, ऊपर छत में।"तो क्या हम बात कर सकते है?",वहाँ भैय्या, आर्य खुराना, दी और दिव्या भी वहाँ थे।वो आदमी ने कहा, "वृषा बाबा को उनकी माँ ने उन्हें टुकड़े-टुकड़े कर मारने की कोशिश कीथी।"ये सुन सब हैरान थे, भैय्या और शिवम भी।"? 'वृषा बाबा?' पर मैंने आपको यहाँ पहली बार देखे है।", भैय्या ने रूखे स्वर में पूछा,"नहीं सरयू ये जीवन काका है जो बच्चपन में वृषा के अंगरक्षक हुआ करते थे, पर उस घटना के बाद से वे गायब हो गए और हमारी दोस्ती...", शिवम रूक गए,"मैं भी यहाँ अपने बच्चपन ...Read More

22

स्वयंवधू - 22

"मान्या मैम चाहती थी कि वृषा बाबा को क्रूरता से मारा जैसा कभी किसीने नहीं सुना हो।", जीवन जी अपराधबोध से कहा, "मैं देश का एक जाना-माना क्रूर हत्यारा था। मेरा लक्ष्य केवल अमीर लोग थे। मैं अपने करियर के शिखर पर था, तब मेरी मुलाकात एक पूर्व अभिनेत्री और मॉडल से हुई, जिसने मुझसे संपर्क किया था। वह दुनिया के एक स्थापित शक्तिशाली गैंगस्टर की पत्नी के रूप में अंतर्राष्ट्रीय पहचान चाहती थी जो उसे नहीं मिल रहा था। वह अपने जीवन से नाखुश थी। वह चाहती थी कि, या तो मैं समीर को मारूँ या वृषा बाबा ...Read More

23

स्वयंवधू - 23

"वह रेड्डी परिवार के प्रति भी कुछ गुस्सा थी कि वह चाहती थी कि मैं तुम्हें और तुम्हारे छोटे राज को भी खत्म कर दूँ!", सुन दी हैरान-परेशान रह गयी,दी ने शिवम जी का हाथ पकड़कर पूछा, "आखिर इनसे क्या दुश्मनी थी?",उन्होंने सीधे कहा, "सनकियों की यही प्रवृत्ति होती है। वो चाहती थी कि पहले तुम, शिवम बाबा उसी क्षण राज बाबा को बचाते हुए मारे जाओ और राज तुम्हारे मृत शरीर में फँस, सीने में चाकू लगने घाव के कारण, धीमे-धीमे खून की कमी से खत्म हो जाए।-",(वोह! क्या प्लानिंग थी।) मुझे लगा जबकि सब झटके पर झटके ...Read More

24

स्वयंवधू - 24

जैसा कि हमने सुना है, अतीत में उनका अपहरण किया गया था और उन्हें प्रताड़ित किया गया था। तो, सकता है कि उनके खराब स्वास्थ्य का कारण यही हो, लेकिन किसी तरह वे इतने बड़े और मजबूत बनने में कामयाब रहे, उनकी इच्छाशक्ति अगले स्तर की होगी।मुझे अपने पैरों में सुन्नता महसूस हुई, मैं कल्पना नहीं कर सकती कि एक कमज़ोर बच्चा, एक महीने से अधिक समय तक इस तरह से प्रताड़ित होना कैसा होता होगा, मैं इसकी कल्पना नहीं कर सकती।जब हम हतप्रभ थे, हमने कदमों की आवाज़ सुनी। मैं थोड़ा चौंक गयी। यह वृषा थे जो विषय ...Read More

25

स्वयंवधू - 25

अब तक उनके माता-पिता केवल उनका तिरस्कार करते थे, लेकिन अब यह उनके लिए बहुत बुरा मोड़ ले चुका क्योंकि उन्हें उनकी अपनी माँ ने अपने लोंगो से उन्हें अगवा करवा लिया था और उन्हें भूखा रखा और बुरी तरह पीटा। वे आज्ञाकारी थे लेकिन एक दिन उनके अपहरणकर्ताओं में से एक ने दूसरे अत्याचारी अपहरणकर्ता, कृष को मार डाला और उन्हें ठंड के मौसम में नंगे पैर सड़कों पर दौड़ने के लिए मजबूर कर दिया, जहाँ उन्हें एक टैक्सी ने टक्कर मार दी। अब आगे,"मैं दौड़ रहा था, चल रहा था, खुद को घसीट रहा था, बमुश्किल होश ...Read More

26

स्वयंवधू - 26

उस रात सभी लोग भूखे पेट सोये, लेकिन उनके पास हज़म करने के लिए बहुत सारी चीजें थीं। बम, वृषा ने उन पर गिराया। वृषाली भी पहेली को गले लगाकर फर्श पर ही बेसुध सोई थी और फोन उसकी जेब में था। वृषा निराश था कि चीजें उसकी योजना के अनुसार नहीं चल रही थीं और वृषाली के जीवन के साथ अब हर कोई खतरे में था। वह एक गिलास पानी लेने के लिए नीचे गया, क्योंकि महाशक्ति सो गयी थीं और उसने, उसकी निजी सहायक के रूप में अपना काम नहीं किया था। वहाँ उसने जो देखा उससे ...Read More

27

स्वयंवधू - 27

सुहासिनी चुपके से नीचे चली गई। हवा की तरह चलने का गुण विरासत ले, वो बिना किसी की नज़र नीचे गयी। उसने उन पर ध्यान देना शुरू किया। कवच कहीं नहीं दिखा।"वृषाली, एक पेट कैफ़े कैसा रहेगा?", उसने पूछा,उसने अपना सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं, शहरों में तो यह बहुत आम बात है।","सही कहा। मैं अपना पहला प्रोजेक्ट शहर में नहीं करना चाह रहा था।", उसने थोड़ी देर दिमाग लगाकर, "अगर हम अपना कैफ़े वहाँ खोले जहाँ कोई और कंपनियाँ ना गयी हो?!","ज़मीन के नीचे, आसमान के पार और बादलो की गोद में कहाँ अपनी नौकरी खोना चाहते हो ...Read More

28

स्वयंवधू - 28

विनाशकारी जन्मदिन- भाग1सभी लोग कवच को जन्मदिन की शुभकामनाएँ देकर रोमांचित थे। कमाल की बात है, दशकों बाद भी हमेशा की तरह चापलूस और निर्बल हैं, हमेशा उस व्यक्ति की प्रशंसा करना जिसके पास शक्ति है, और हमेशा उनके जूते चाटते रहते। उन्होंने जन्मदिन की हर शुभकामनाओं को पूरे दिल से स्वीकारा, भले ही यह उसके लिए बहुत अलग था। समीर ने उसे, उसके जन्मदिन पर हमेशा अपने पास ही रखा है।दूसरी जगह, सुरक्षा के लिए, सरयू अपने आदमियों के साथ किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार था। आर्य, शिवम, दिव्या, सुहासिनी, साक्षी, अंजलि, अंडरकवर प्रांजलि सब दोंनो को ...Read More

29

स्वयंवधू - 29

विनाशकारी जन्मदिन भाग 2उसे ज़बरदस्ती नीचे दबा दिया गया, उसका हर पल, हर हरकत आतंक से भरी थी, खुद बचाने के लिए कड़ी लड़ाई लड़ने के बाद, वह लड़ाई हार गई और अपने आत्मसम्मान को अपने सामने टुकड़ों में एक नीच के हाथों कुचलने का इंतजार करने लगी। वह भाग्यशाली थी कि दो बार उसकी इज़्ज़त बच गई, लेकिन आज सारे चमत्कार उसके लिए कहीं से भी संभव नहीं दिख रहे थे। बँद कमरे में राज ने एक जंगली जानवर की तरह उसकी पवित्रता पर हमला किया, जिसने समीर से बदला लेने के लिए उसे हर शक्ति का खिलौना ...Read More

30

स्वयंवधू - 30

विनाशकारी जन्मदिन भाग 3"तो तुम क्या चाहते हो?!क्या तुम चाहते हो कि वह हर शक्ति की 'सेवा' करे? उसके की, उसके भाई की, उसके बलात्कारी की!? तुम उसे उन सबके सामने परोसना चाहते हो?!हाह! और कोई रास्ता नहीं है कि राज उसे उस यातना कक्ष में वाष्पित होने देगा। उसे ऊर्जा की आपूर्ति की आवश्यकता है लेकिन वह अनंत ऊर्जा की श्रोत भी है, कौन उसे मरने देगा? समीर बिजलानी तो नहीं! अरे, उसने पहले से ही पिछली महाशक्ति और कवच को अपने अंदर समाहित कर लिया है। यदि तुम उसे चिह्नित नहीं करते या उसे तुम्हें चिह्नित करने ...Read More

31

स्वयंवधू - 31

विनाशकारी जन्मदिन भाग 4दाहिने हाथ ज़ंजीर ने वो काली तरल महाशक्ति के पूरे शरीर पर छिड़क दी और व्हिपर्स समीर के आदेश पर वो सुनहरी व्हिप दी गयी जिसका इस्तेमाल, वो ऊर्जा निकालने के लिए इस्तेमाल किया जाता था।इस व्हिप की खासियत?शक्तियों को दंडित करने के लिए मानवीय सज़ा। इससे उन्हें चोट तो पहुँचती थी और उनकी ऊर्जा भी खत्म हो जाती थी पर कुछ दिनों में घाव ठीक होने पर वो सामान्य भी हो जाते। यह उनके लिए एकमात्र मानवीय सज़ा थी लेकिन जब शक्ति से ऊर्जा चूसने के लिए विशेष मंत्र के साथ नियमित रूप से प्रयोग ...Read More