यादों की अशर्फियाँ

(28)
  • 36.7k
  • 4
  • 15.5k

में अकसर सोचती थी की अगर हम कोई अच्छा काम करे तो हमारे माता पिता एवम् परिवार वालो की कीर्ति तो बढ़ेंगी ही पर उन शिक्षको और दोस्तो का क्या जिसने भी हमारी सफलता में अमूल्य योगदान दिया है। यह कहानी उन्ही पर, उन्ही से और उन्ही के लिए है। यह उन खास शिक्षको जिसने मुझे इस काबिल बनाया की में यह लिख सकू और मेरे सहारे उन दोस्तो को समर्पित है।

Full Novel

1

यादों की अशर्फियाँ - पूर्वभूमिका

समर्पण में अकसर सोचती थी की अगर हम कोई अच्छा काम करे तो हमारे माता पिता एवम् परिवार वालो कीर्ति तो बढ़ेंगी ही पर उन शिक्षको और दोस्तो का क्या जिसने भी हमारी सफलता में अमूल्य योगदान दिया है। यह कहानी उन्ही पर, उन्ही से और उन्ही के लिए है। यह उन खास शिक्षको जिसने मुझे इस काबिल बनाया की में यह लिख सकू और मेरे सहारे उन दोस्तो को समर्पित है। * पूर्वभूमिका गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवों महेश्वर गुरू साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः यह श्लोक से हमारी यूं कहे तो जिंदगी ...Read More

2

यादों की अशर्फियाँ - 1 - वेलकम टू किशोर विद्यालय

1. वेलकम टू किशोर विद्यालय किशोर विद्यालय, याद करते ही आंखो के सामने खड़ी हो जाती है वह खूबसूरत इमारत, जिसके सामने न जाने कब से खड़ा हुआ नीम का घना पेड़। उस पेड़ पर लगा वह घंट जो छूटी होने पर हमे अवर्णनीय खुशी देता पर जब वह आखरी बार बजा तो जेसे कान सुन रह गए। उस घंट ने जेसे हमारी स्कूल से हररोज मिलने की आदत,चाह और आनंद को छीन लिया। उस पेड़ के नीचे पार्क की हुई टीचर-सर के वाहन, घर तक पहुंचाती मस्ती की वह पीली दो स्कूल बस और सामने लगी हुई, आर्मी ...Read More

3

यादों की अशर्फियाँ - 2. डेमो लेक्चर्स

2. डेमो लेक्चर्स सुबह यूं तो सबको प्यारी लगती है पर बचपन की वह सुबह को हमने सबसे ज्यादा है जब छुट्टियों के बाद सुबह 6 बजे न चाहते हुए मम्मी की लगातार आवाज या उस कमबख्त अलार्म की आवाज से उठना पड़ता है। बाहर बारिश का मौसम है। अकसर बारिश का मौसम सुहाना होता है पर उन बच्चो से पूछो जिसको बारिश किसी दुश्मन के राजनीति की तरह परेशान करती है। मानो की बारिश की सोची समझी साजिस हो की जब स्कूल जाने का वक्त हुआ नही की बारिश शुरू। सुबह का माहोल काफी अच्छा होता है लेकिन ...Read More

4

यादों की अशर्फियाँ - 3.मॉनिटर का चुनाव

3. मॉनिटर का चुनाव क्लासरूम में शोर करना तो जैसे स्टूडेंट्स का जन्मसिद्ध अधिकार था। और को इसे रोकना उसका मिशन था। टीचर तो हर वक्त क्लास में नही रह सकते इस लिए क्लास में से ही एक विद्यार्थी को चुनकर उसे क्लास की रखवाली करने का काम सोपते थे। मॉनिटर बनना मेरा सपना था पर वह अब तक पूरा नहीं हो पाया था। मॉनिटर का चुनाव होशियार बच्चो में से होता था। इस साल मेरे क्लास के होशियार स्टूडेंट्स स्कूल छोड़ कर चले गए थे। वह लोग कह कर भी गए थे अगले साल तुम ...Read More

5

यादों की अशर्फियाँ - 4. गुरुपूर्णिमा

4. गुरुपूर्णिमा आकाश में अंधकार छाया हुआ था। सब और छाता और रेनकोट दिखाई दे रहे थे। खड्डे गंदे से भर गए थे और इसी गंदे पानी की वजह से हमारा यूनिफॉर्म, जूते खराब हो जाते थे फिर भी स्कूल जाने का एक उत्साह था। स्कूल पहुंचते ही प्रार्थना के लिए हमारा ठिकाना होता है क्लासरूम क्योंकि जो बॉयज पहले कंपाउंड में खुले आसमान के नीचे बैठते थे उसे बारिश से बचने के लिए लॉबी में बिठाते थे और लॉबी में बैठने वाली हम गर्ल्स क्लासरूम में बैठते थे जहां प्रार्थना काम मस्ती ज्यादा होती थी। बारिश के छोटे ...Read More

6

यादों की अशर्फियाँ - 5. पीरियड्स से पढ़ाई तक-1

5. पीरियड्स से पढ़ाई तक-1 स्कूल की प्रार्थना में वो भक्ति कहा? स्कूल की प्रार्थना में सिर्फ आंखे बंद है लेकिन मन कहीं और भटकता है। जब आपको कोई ऐसा काम करना हो जिससे डर लगता हो तो मन विचलित ही रहता है। हमारी भी एसी ही हालत थी। प्रार्थना के बाद हमे गीत गाना था। सुनने में तो काफी आसान लगता है पर जब हमारी टांगे धीरेन सर के पास खड़ी होती है तो ऐसी कांपती है मानो भूकंप आया हो और दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है। हर बार तो हमारी क्लास की गायिका को हम ...Read More

7

यादों की अशर्फियाँ - 5. पीरियड्स से पढ़ाई तक-2

पीरियड्स से पढ़ाई तक - 2 रिसेस का घंट बजाता की हम सब क्लासरूम की और धीरे धीरे बचपन में प्राईमरी में सब या तो लाईन में या तो दौड़ कर जाते थे। मगर अभी जैसे पढ़ाई से कोई नाता ही न हो ऐसे जा रहे थे हम। पर जैसे ही क्लास में पहुंचते फिर से धींगामस्ती शुरू फिर भी सभी टीचर्स 9th को अच्छी क्लास कहते थे चाहे कोई भी बेच हो। अब पीरियड था ऐसे टीचर का को स्टूडेंट के प्रश्न से ही बेहाल हो गए थे। नीरज सर जो सामाजिक विज्ञान लेते थे। ...Read More

8

यादों की अशर्फियाँ - 6. स्वतंत्रता दिन

6. स्वतंत्रता दिन देशभक्ति को जगाने का उत्तम साधन बचपन का स्वतंत्रता दिन ही होता है जो स्कूल में जाता है। वह अनुभव ही कुछ रोमांचक होता है क्योंकि बड़े हो कर हम ही स्वतंत्रता दिन को सिर्फ एक छूटी की तरह ही देखते है। स्कूल में टीचर्स का वह भाषण ही था जो हमे उत्साहित करता था की इस दिन हम छूटी न माने। मेरे अनुसार तो बचपन के स्कूल के दिनों में ही हम देश को सच्चा प्यार कर सकते है क्योंकि हम तब राजनीति के ज्ञाता नहीं होते, सरकार के उज्जवल कामों की लिस्ट नहीं होती ...Read More

9

यादों की अशर्फियाँ - 7. शिक्षक दिन

7. शिक्षक दिन रिसेस का वक्त था। सभी अपने अपने चहीते मित्र के साथ राउंड बनाकर नाश्ता कर रहे हमारे ग्रुप का नाश्ता खत्म गया था। और अब ध्रुवी की मस्ती और मौज का पिटारा खुल गया था। धुलु और में उसकी बनाई हुई कागज़ की 'लुडो' खेल रहे थे। कुकरी की जगह पर हमारे नाम लिखी हुई चिट्ठी थी। और पासा वह खुद लेकर आई थी। दूसरे मित्र बाते कर रहे थे। कनक टीचर नीम के घने पेड़ की छांव में बैठ कर किसी का लिस्ट बना रहे थे। उसके चारो और इतने स्टूडेंट्स जमा हो गए थे ...Read More

10

यादों की अशर्फियाँ - 8. सबसे अदभुत नवरात्रि

8. सबसे अदभूत नवरात्रि गाना और नाचना सबका स्वभाव होता है और अनिवार्य भी। माना कि सबको अपने रुचि गाना पसंद होता है पर गाने के बिना हमारा अस्तित्व ही अधूरा है। गुजरात में तो इसका त्यौहार मनाया जाता है इसीलिए हमारे यहां इस के पर पूरा नौ दिन का त्योंहार मनाया जाता है - नवरात्रि। गली गली इस त्योहार का मनाया जाता है और जहां से हमने सीखा वह स्कूल कैसे बाकी रह सकता है इस लिए हर स्कूल में नौ दिन तो मुमकिन नहीं है किंतु एक दिन पूरा नवरात्रि ही बना दिया जाता है फर्क सिर्फ ...Read More

11

यादों की अशर्फियाँ - 9. दिवाली की छुट्टियां

9. दिवाली की छुट्टियां नवरात्रि में खूब मज़ा करने के बाद परीक्षा हमारा इंतजार कर रही थी। मुझे मौखिक के बाद नसरीन टीचर की बहुत याद आई थी। उसकी जगह गौरव सर को संस्कृत विषय को सोंप दिया गया। सभी विषय के सिलेबस खत्म हो चुके थे। सामाजिक विज्ञान के विषय में भी ऐसा ही था। नीरज सर भी अपनी हंसी मजाक और ज्ञान अपने साथ लेकर स्कूल छोड़कर चले गए थे और उनकी जगह हेता टीचर यानी भूरी टीचर जिसकी हाईट लगभग गौरव सर की लंबाई से आधी होंगी। गौरव सर जितना जल्दी स्टाफ रूम से क्लास पहुंच ...Read More

12

यादों की अशर्फियाँ - 10. टाईम टेबल की लड़ाई

वेकेशन के बाद 10. टाईम टेबल की लड़ाई दिवाली की छुट्टियों के बाद फुलगुलाबी ठंडी में स्कूल फिर शुरू दिवाली के पहले हमारे लिए टीचर्स नए थे क्योंकि हम सेंकेडरी में आ गए थे पर अब हम उनके साथ घुलमिल गए थे। धीरेन सर की मुताबिक कुछ दिनों तक स्टूडेंट्स कम होते है पर धीरे धीरे शिक्षा की रेलगाड़ी पट्टरी पर चढ़ जायेगी। कुछ दिनों बाद हमारा पीरियड का टाईम टेबल आ गया। बार बार किसका पीरियड होगा वह बुक में देखने की दिक्कत होती थी। इसकी जरूरत सबको पड़ती थी स्टूडेंट्स और टीचर्स दोनो को। इस लिए कोई ...Read More

13

यादों की अशर्फियाँ - 11. कम्प्यूटर लैब की धमाल.

11. कम्प्यूटर लैब की धमाल धीरे धीरे सूर्य की गरमी कम होती गई जेसे ही शरदी की मौसम ने थी। हमारी मस्तियां भी कुछ ऐसी ही थी जो शर्दी के साथ बढ़ती चली गई। बारिश और गर्मी के दिनों में यह इतनी नही बढ़ी जितनी ठंडी में क्योंकि इन दिनों मेरे मुताबिक टीचर्स का दिमाग ठंडी की तरह ठंडा रहता है, गरम नही। ठंडी के उन दिनों में भी हम क्लास में सिकुड़ कर बैठना नही चाहते थे। जेसे मौका मिलता है की बहार निकलने की कोशिश शुरू। उसमे भी अगर कोई ऐसा टीचर हो जो हमारी फितरत नहीं ...Read More

14

यादों की अशर्फियाँ - 12. दीपिका मेम की अच्छाई

12. दीपिका मेम की अच्छाई दिसम्बर की कातिल ठंडी ने अपनी औकात दिखनी शुरू कर दी थी। सुबह हमे सबसे ज्यादा प्यार था तो वह ब्लैंकेट , छोड़ने ने का मन ही नही होता था फिर भी उठना पड़ता था क्योंकि स्कूल जाना था और अगर लेट जागे तो लेट पहुचेंगे फिर जो सज़ा मेना टीचर ने तय की थी भयानक थी। जो भी लड़का लेट आए उसे ठंडे आरस के ऊपर बिना कुछ बिछाए बैठना पड़ता था। ठंडी को जेसे सज़ा बना दिया था टीचर ने। पर मेरे लिए सबसे ज्यादा फेवरीट सीज़न थी - विंटर। हालांकि ठंडी ...Read More

15

यादों की अशर्फियाँ - 13. दीपिका मेम का रिजाइन

13. दीपिका मेम का रिजाइन जय मच्छरा दादा, बोलो जय मच्छरा दादा डेंगू, मलेरिया कराने वाले, जय मच्छरा दादा मच्छरा दादा की…… जय। हम सब हंसकर बोल पड़ते। ध्रुवी के इस भजन की सब सराहना भी करते। ध्रुवी माही को मच्छर कहती थी और हम सब भी। ध्रुवी की इसी तरह सबको खुश रहने की और हसते रखने की कला पर हम सब फिदा थे। इसके साथ यह गम भी था की शायद अगले साल वह हमारे साथ नहीं पढ़ेंगी। कल प्रीलिम्स खत्म हो गई। 10th और 12th के स्टूडेंट्स पूरा दिन बाहर खुली हवा में बैठ कर कैम्पस ...Read More

16

यादों की अशर्फियाँ - 14. पेपरस्टाइल - द बिग इश्यू

14. पेपरस्टाइल : द बिग इश्यू "अब तो दीपिका मेम की तरह गाड़ी लेकर , गोगल्स पहनकर कौन आएगा? क्रिशा ने मेम की गाड़ी की जगह की ओर देख कर कहा। " हम बहुत अनलकी है की मेम हमे 10th में नहीं पढ़ाएंगे।" झारा ने अफसोस करके कहा। " मुझे तो उसने याद है आखरी दिन में वह स्पीच दी थी तब कहा था की आप स्टूडेंट्स जब सक्सेस के पर्वत की चोटी पर होंगे और हम नीचे से आपको देख कर खुश होंगे यह बात मेरे दिल को छू गई।" माही ने कहा।" वैसे तो मुझे मेम का ...Read More

17

यादों की अशर्फियाँ - 15. 9th के आखरी दिन

15. 9th के आखरी दिन 9th हमारे लिए सिर्फ एक कक्षा नहीं थी पर जीवन का एक खुसबूरत ख्वाब तरह था जो हकीकत, अनुभव और ढेर सारी यादों से भरा हुआ था यह यादें जिंदगी की कई यादों में खो जाएं ऐसी नहीं बल्कि इन्हीं से जिंदगी बनती है। जैसे स्टार्टिंग में किसी को नहीं लगा था की यह सफर इतना खूबसूरत होगा। ऐसा ही लगा की जैसे अभी ही हम पहली बार क्लास में बैठे थे उन टूटे हुए बोर्ड वाले क्लास में जहां अभी भी वह टाइम टेबल जो हमारी लड़ाई का जीत का प्रतीक बन कर ...Read More

18

यादों की अशर्फियाँ - 16. 1.शिव शक्ति ट्यूशन क्लास

1.शिव शक्ति ट्यूशन क्लास स्कूल के साथ साथ ही एक ओर दौर चलता है और वह है ट्यूशन का। सब स्टूडेंट्स स्कूल से ज्यादा ट्यूशन को पसंद करते है क्योंकि इसमें ज्यादा फ्रीडम होती है स्कूल के नियमों से। जिस तरह ट्यूशन में स्कूल के यूनिफॉर्म में से छूटी मिलती है, अपने मनचाहे कपड़े पहन सकते है, वैसे ही बाकी और चीजों में भी हमें काफी छूट मिलती है और जब आपका ट्यूशन उन्हीं स्कूल के दोस्तों के साथ और उसी स्कूल में हो तो? अपनी तो निकल पड़ीं। हमारी स्कूल में ही ट्यूशन था - शिव - ...Read More

19

यादों की अशर्फियाँ - 17. 2. मणिक सर का लेक्चर

2.मणिक सर का लेक्चरमणिक सर बिलकुल मेहुल सर से अपोजिट पर्सनालिटी के थे। उनकी भी ‘तारीफ’ सुनी थी हा सुनी ही थी क्योंकि हम ने इतने सौभाग्यशाली नहीं थे जिसको 8th में उनका लाभ मिला था। हमारे लिए भी मणिक सर नए थे। उनको हमने उसकी पहली झलक से ही नाप लिया। ट्यूशन के हलके मूड में थे सब। स्कूल की, घर की, दोस्तो की बाते कर रहे थे हम। पहला दिन था। नहीं जानते थे किसका पहला लेक्चर होगा पर हमे फिकर किस बात की हम तो अपनी मस्ती की धुन में थे। पर ...Read More

20

यादों की अशर्फियाँ - 18.4.मेहुल सर का मस्तीभरा लेक्चर

4.मेहुल सर का मस्तीभरा लेक्चरजिसका हमे और खास करके नए स्टूडेंट्स को इंतजार था - मेहुल सर का लेक्चर आखिर आ गया। मेहुल सर क्लास में आए, ऋषि कपूर की तरह दिखने वाले, बिना कोई किताब के वह मुस्कुराते आ गए। हम उनको देखकर ही समझ गए थे की उनका लेक्चर बोरिंग नही होने वाला पर ये क्या? उन्होंने आते ही बोर्ड पर उनके अच्छे अक्षर में लंबा चौड़ा सिलेबस लिखना शुरू कर दिया। सब फ्रेंड्स हमारी और देखने लगे की यह क्या आपने तो कहा था की यह सर का लेक्चर में मजा आता है। हम भी क्या ...Read More

21

यादों की अशर्फियाँ - 19 - कनक टीचर का सामाजिक विज्ञान

कनक टीचर का सामाजिक विज्ञानकनक टीचर मेना टीचर की तरह स्कूल में भी आते थे और ट्यूशन में भी। सिर्फ इतना था की वह स्कूल में हमे नहीं पढ़ाते और इसलिए हमारे लिए थोड़ा नया था। हमको कभी भी कनक टीचर ने पढ़ाया इस लिए हम एक तरफ से उत्साह में भी थे और चिंता में भी। चिंता इस बात की थी कनक टीचर मेना टीचर के बेस्ट फ्रेंड थे और इसलिए वह डांटने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। कनक टीचर की भी तारीफ हमने सुनी थी पर वह भरोसेमंद नही थी क्योंकि जैसे हमे मेना टीचर को प्रसन्न ...Read More

22

यादों की अशर्फियाँ - 20 - राज सर का डिजिटल टीचिंग

राज सर का डिजिटल टीचिंग सामाजिक विज्ञान से बोरिंग सब्जेक्ट कोई नहीं है। बहुत ही कम स्टूडेंट्स होंगे जिसको सब्जेक्ट पसंद हो और हम उनमें से बिलकुल नहीं थे। कनक टीचर के साथ शुरू शुरू में तो अच्छा लगा पर धीरे धीरे उन में भी बोर होने लगे क्योंकि अब वह भूगोल पढ़ा रहे थे और उनमें भी कांग्रेस आ जाता था। कभी कभी तो उनको ज्यादा काम होता था ट्यूशन का तो वह हमे पूरा चेप्टर लिखने दे देते थे। हम सब अब वैसा ही फील कर रहे थे जैसा मेना टीचर की क्लास में करते थे। ...Read More

23

यादों की अशर्फियाँ - 21 - बॉयज के साथ बातचीत

बॉयज के साथ बातचीत ट्यूशन की सबसे बड़ी खासियत थी - फ्रीडम रूल्स से। हम रिलैक्स्ड रहते थे ट्यूशन में। पढ़ाई की बात में भी और बात करने की बात में भी। को एजुकेशन होने के बावजूद भी हम गर्ल्स बॉयज बात नहीं कर सकते। अगर कोई देखता भी है तब भी शक किया जाता है। स्कूल में इस तरह की सख्ती से दूरी भी बढ़ती है, हिचकिचाहट भी और आकर्षण भी। बॉयज के साथ बात करना गुनाह हो गया था स्कूल में। इसी रूल की वजह से लड़कियां डरने लगती है बात करने ...Read More

24

यादों की अशर्फियाँ - 22 - गार्डन की सैर

गार्डन की सैर बोर्ड की एक्जाम खत्म हो गई थी। 10th के स्टूडेंट्स ट्यूशन में नहीं आ रहे तो सेकेंडरी में सिर्फ हम 9th ही थे जो मेहुल सर और मणिक सर का लेक्चर अटेंडेंट करते थे। मणिक सर बोर्ड्स के पेपर्स चेक करने गए थे इसलिए उसका लेक्चर नहीं आता था सिर्फ मेहुल सर आते थे। ट्यूशन का टाइम भी बदल गया था। हमे आधे घंटा पहले छोड़ देते थे पर में नहीं जा सकती थी क्योंकि मेरी बस साढ़े पांच बजे होती थी और माही के पापा भी उसी वक्त आते थे क्योंकि ...Read More