अमावस्या में खिला चाँद

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एक पंक्ति में बनी कई सरकारी इमारतों में से एक में स्थित उच्च शिक्षा विभाग के मुख्यालय में पदस्थ उच्च पदाधिकारी प्रवीर कुमार ने अपने कक्ष में आकर अपनी मेज़ पर पहले से रखी फ़ाइलों में से एक फाइल उठाई। अभी वह उसमें लिखी दफ़्तरी टिप्पणियों का अवलोकन करने लगा ही था कि उसके पी.ए. राजेन्द्र ने डाक का फ़ोल्डर उसके समक्ष रख दिया। डाक में सबसे ऊपर एक अन्तर्देशीय पत्र रखा था जो उसके नाम था। उसने वह उठाया। पलटकर देखा, भेजनेवाले का नाम व पता का स्थान ख़ाली था। डाकखाने की मोहर से भी कुछ स्पष्ट नहीं हुआ। उसने पी.ए. को कहा - ‘राजेन्द्र, मैं डाक देखकर भिजवाता हूँ।’

Full Novel

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अमावस्या में खिला चाँद - 1

लाजपत राय गर्ग समर्पण कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र के हिन्दी विभाग के सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष, केन्द्रीय साहित्य अकादमी में पाँच तक हरियाणा के प्रतिनिधि रहे, अनेकधा पुरस्कारों तथा सम्मानों से विभूषित, हरियाणा के अनगिनत साहित्यकारों के मार्गदर्शक एवं प्रेरणा-स्रोत सुहृद एवं स्नेहशील व्यक्तित्व के धनी श्रद्धेय डॉ. लालचन्द गुप्त ‘मंगल’ को प्रस्तुत उपन्यास समर्पित करते हुए मैं स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ। जय माँ शारदे! मैंने इसे क्यों लिखा … ? आभासी दुनिया के निरन्तर बढ़ते प्रभाव तथा नैतिक मूल्यों के निरन्तर ह्रास के कारण समाज में पवित्र रिश्तों की गरिमा ...Read More

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अमावस्या में खिला चाँद - 2

- 2 - शनिवार का दिन और दिनों जैसा ही चढ़ा था। खिली हुई धूप वजह से मौसम बहुत सुहावना था। अपनी दिनचर्या के अनुसार प्रवीर कुमार दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होकर सैर को निकल गया। सैर करते हुए भी मन में शीतल के ख़्याल आ-जा रहे थे। इस अन्यमनस्कता में एक जगह उसका पाँव ऊँची-नीची जगह में ठीक से न पड़ने के कारण वह गिरते-गिरते बचा। तब उसने मन को एकाग्र किया और सैर पूरी करके घर लौट आया। उसे सामान्य पाकर नवनीता उससे कल रात की उसकी अन्यमनस्कता का कारण पूछना भूल गई। ...Read More

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अमावस्या में खिला चाँद - 3

- 3 - रात को अपने रूटीन के अनुसार जब मानसी कमरे पर पहुँची तो शीतल पर अधलेटी किताब पढ़ने में मग्न थी। मानसी ने कपड़े चेंज किए और बहादुर से खाना मँगवाया। खाना खाने के बाद उसने पूछा - ‘शीतल, लंच के समय बहादुर बता रहा था कि तुमने दो लोगों के लिए लंच के लिए उसे कहा था। किसी ने आना था क्या?’ मानसी शीतल से दस-बारह वर्ष छोटी होने के बावजूद शीतल का नाम लेकर ही बुलाती थी। इन्हें इकट्ठा रहते हुए साल से ऊपर हो गया था। शुरू ...Read More

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अमावस्या में खिला चाँद - 4

- 4 - जब प्रवीर कुमार घर पहुँचा तो सूरज पश्चिम दिशा में ऊपर से नीचे जा रहा था। रिंकू उसकी टाँगों से लिपट गया और उसे बाज़ार चलने के लिए कहने लगा। ‘क्यों बेटा, बाज़ार चलने के लिए क्यों कह रहे हो?’ ‘पापा, छुट्टी वाले दिन आप हमेशा हमें आइसक्रीम खिलाने बाज़ार जो ले जाते हो।’ ‘बेटा, मैं अभी बाहर से आया हूँ। थोड़ी देर आराम कर लूँ, फिर चलते हैं।’ लेकिन रिंकू तो बच्चा ठहरा, तत्काल बाज़ार जाने की ...Read More

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अमावस्या में खिला चाँद - 5

- 5 - सोमवार को कार्यालय में पहुँचकर प्रवीर कुमार ने ज़रूरी कार्य निपटाए। फिर देकर पी.ए. को बुलाया। हाथ में नोटबुक तथा पैन पकड़े राजेन्द्र तुरन्त उपस्थित हो गया। ‘राजेन्द्र, कॉलेजों में लेक्चरर की ख़ाली पोस्टों को कौन डील कर रहा है?’ ‘सर, संजीव को यह काम दिया हुआ है।’ ‘संजीव को कहो कि पास के एक-दो ज़िलों में देखे कि किसी कॉलेज में हिन्दी लेक्चरर की कोई पोस्ट ख़ाली है क्या?’ ...Read More

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अमावस्या में खिला चाँद - 6

- 6 - शीतल को तीन दिन हो गए थे कॉलेज जाते हुए। पहले दिन पीरियड में उसे प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए भेजा गया। चाहे वह अपनी ओर से पूरी तैयारी करके आई थी, फिर भी शुरू में कुछ मिनटों तक वह नर्वस रही। लेकिन, हिन्दी विषय के विद्यार्थियों की सीमित संख्या तथा नए विद्यार्थी होने के कारण उसने शीघ्र ही अपनी नर्वसनेस पर क़ाबू पा लिया। क्लास में जाने से पूर्व प्रिंसिपल महोदय ने उसे कहा था कि उसे लगातार दो पीरियड नहीं दिए जा रहे। पीरियड की समाप्ति पर ...Read More

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अमावस्या में खिला चाँद - 7

- 7 - जब शीतल पी.जी. पहुँची तो मानसी अपनी ड्यूटी पर जाने के लिए हो रही थी। दोनों गले लगकर मिलीं। मानसी ने उससे कॉलेज में पढ़ाने के अनुभव पूछे। जब शीतल ने उसे बताया कि मैं पी.जी. छोड़ रही हूँ तो मानसी थोड़ी उदास हो गई। कहने लगी - ‘शीतल, तुम्हारे साथ रहते हुए समय गुजरने का पता ही नहीं चला। ऐसे लगता है जैसे कल की बात हो! …. आज तो रुकोगी ना? कल तो रविवार है, कल दिन में चली जाना।’ ‘हाँ, आज की रात तो मैं यहीं ...Read More

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अमावस्या में खिला चाँद - 8

- 8 - आज जब प्रवीर कुमार रात के खाने से कुछ समय पूर्व घर तो उसे पानी का गिलास थमाते हुए नवनीता ने मन में कई दिनों से चल रही कश्मकश को शान्त करने के लिए पूछ ही लिया - ‘प्रवीर, मैं कई हफ़्तों से ऑब्ज़र्व कर रही हूँ कि आप शनिवार या इतवार को किसी दोस्त से मिलने की कहकर जाते हो और देर शाम को लौटते हो। लंच भी उसी के साथ करते हो। ऐसा कौन-सा दोस्त है, जिससे अचानक इतनी गहरी छनने लगी है? यदि इतना ही करीबी दोस्त है तो ...Read More

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अमावस्या में खिला चाँद - 10

- 10 - रविवार को जब प्रवीर कुमार सुबह की सैर करके वापस आया तो को रसोई में व्यस्त पाया। उसने पूछा - ‘नीता, आज सुबह-सुबह रसोई में क्या कर रही हो, चाय-वाय पिलाने का इरादा नहीं है क्या?’ ‘आज आपकी मित्र पहली बार हमारे घर आ रही है, उसी के स्वागत की तैयारी कर रही हूँ।... आप ब्रश कर लें, मैं चाय बनाकर लाती हूँ।’ चाय पीते हुए प्रवीर कुमार ने कहा - ‘नीता, शीतल एक साधारण तथा व्यावहारिक लड़की है, उसे औपचारिकता पसन्द नहीं। इसलिए मैं ...Read More

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अमावस्या में खिला चाँद - 9

- 9 - प्रवीर कुमार का मोबाइल बजने लगा। उसने देखा, शीतल की कॉल थी। उसने ऑन किया और बेडरूम से उठकर ड्राइंगरूम में आ गया। नमस्ते-प्रतिनमस्ते के उपरान्त शीतल ने पूछा - ‘मैंने ऑफिस में फ़ोन किया तो पता चला कि तुम कुछ जल्दी घर चले गए हो। क्या तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं या घर पर कोई विशेष काम आन पड़ा था?’ ‘मेरी तबीयत तो ठीक है। रिंकू को कुछ दिन पहले पार्क में खेलते हुए चोट लग गई थी और प्लास्टर लगवाना पड़ा था। उसी का फ़ोन सुनकर उसे कम्पनी देने ...Read More

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अमावस्या में खिला चाँद - 11

- 11 - एक दिन प्रिंसिपल ने टाइम टेबल देखकर शीतल के ख़ाली पीरियड में अपने ऑफिस में बुलाया और बताया - ‘शीतल मैम, इस बार ज़ोनल यूथ फ़ेस्टिवल अपने कॉलेज में होना है। कल्चरल एक्टिविटीज़ में आप क्या सहयोग कर सकती हैं?’ ‘सर, स्टडीज़ के दौरान मैं वन एक्ट प्लेज में हिस्सा लेती रही हूँ। मंच संचालन का भी मुझे अनुभव है।’ ‘वैरी गुड। फिर तो आपको चार सत्रों में से दोनों दिन एक-एक सत्र में मंच संचालन का उत्तरदायित्व निभाना होगा। मैं आपको ऑर्गनाइज़िंग कमेटी का कन्वीनर ...Read More

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अमावस्या में खिला चाँद - 12

- 12 - यूथ फ़ेस्टिवल सफलतापूर्वक निपटने के पश्चात् लगभग एक महीने की मानसिक तथा शारीरिक उतारने के लिए शीतल के पास पूरा एक दिन उपलब्ध था। सुबह की अपनी दिनचर्या के विपरीत आज उसने तब तक बिस्तर नहीं छोड़ा जब तक कि बेडरूम की ग्लास विंडो पर लटकते पर्दे को भेदते हुए सूरज की किरणों ने उसके शरीर को स्पर्श करना आरम्भ नहीं कर दिया। उसने उठकर पर्दा सरकाया तो किरणों का सीधा स्पर्श उसे और भी सुखद लगा, क्योंकि सुबह के समय हल्की-हल्की ठंड पड़ने लगी थी। जाग तो वह काफ़ी पहले ही गई ...Read More

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अमावस्या में खिला चाँद - 13

- 13 - दिसम्बर के प्रारम्भिक दिनों में प्रायः ठंड कम होती है, किन्तु इस तापमान हर आए दिन गिरता जा रहा था। गमलों में लगे पौधे भी शीत-लहर से कुम्हलाने लगे थे। जहाँ पहले ठंड का सामना करने के लिए अलाव का सहारा लिया जाता था, अब हीटरों ने अलाव को पछाड़ दिया था। इसलिए बन्द डिब्बों में पड़े हीटरों को बाहर निकालकर काम पर लगा दिया गया था। स्टाफ़ रूम के दोनों रूम हीटरों के मुख पुरुष प्राध्यापकों ने अपने ग्रुप की ओर कर रखे थे तथा वे गपशप में मशगूल थे। सुदेश ...Read More

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अमावस्या में खिला चाँद - 14

- 14 - रात को बिस्तर पर लेटे हुए प्रिंसिपल सोचने लगे, कॉलेज में होने कानाफूसी का शीतल को तो पहले से आभास था, किन्तु उसने मुझे बताने या मुझसे डिसकस करने की ज़रूरत नहीं समझी। मेरे बताने पर भी उसने कोई विशेष प्रतिक्रिया नहीं दी। इसका मतलब यही हुआ कि वह बहुत मैच्योर है, इस तरह की बातों से उसे कुछ फ़र्क़ नहीं पड़ता। लेकिन, यदि इस अफ़वाह को रोका नहीं गया तो मेरी इमेज तो प्रभावित होगी ही। ऐसे में मुझे क्या करना चाहिए? यह बहुत बड़ा प्रश्न है, इसका उत्तर तो ढूँढना ...Read More

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अमावस्या में खिला चाँद - 15

- 15 - डॉ. मधुकांत से मिलने के पश्चात् जब प्रिंसिपल और शीतल वापस रहे थे तो कार चलाते हुए भी प्रिंसिपल निरन्तर उनके व्यक्तित्व की प्रशंसा कर रहे थे। उन्होंने कहा - ‘शीतल, तुमने ठीक कहा था; रक्तदान करने, करवाने की भावना डॉ. मधुकांत के रोम-रोम में बसी हुई है। मैंने सिर्फ़ इतना ही पूछा था कि उन्हें कब सहूलियत रहेगी हमारे कॉलेज में आने के लिए और उन्होंने तुरन्त कह दिया कि इस काम के लिए मेरी सहूलियत का कोई महत्त्व नहीं, यह तो ऐसा पवित्र काम है, जिसके लिए मैं कुछ ...Read More

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अमावस्या में खिला चाँद - 16

- 16 - कॉलेज में दिसम्बर की छुट्टियाँ होने पर घर जाने से पहले शीतल एक दिन प्रवीर के बच्चों के साथ बिताने की सोची। मन में विचार आते ही उसने प्रवीर को तदानुसार सूचित किया। बस स्टैंड पर पहुँची तो जो बस चलने के लिए तैयार थी, वह खचाखच भरी हुई थी। शीतल इतनी भीड़ में चढ़ने की हिम्मत न जुटा पाई। उसने अगली बस के लिए पन्द्रह मिनट की प्रतीक्षा करना ठीक समझा। जब आप बेसब्री से बस की प्रतीक्षा कर रहे होते हैं तो वह प्रायः लेट हो ...Read More

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अमावस्या में खिला चाँद - 17

- 17 - सुबह जब शीतल की आँख खुली और उसने मोबाइल पर तापमान देखा उसकी हिम्मत नहीं हुई कि रज़ाई की गर्मी को बाय-बाय कर दे, क्योंकि बाहर का तापमान केवल एक डिग्री था। सात बजे के लगभग प्रवीर कुमार ने उसके कमरे पर दस्तक दी तो उसने उठकर दरवाजा खोला। ‘क्या बात है शीतल, अभी तक रज़ाई में ही हो, तबीयत तो ठीक है? .. बच्चों ने तंग तो नहीं किया?’ ‘प्रवीर, नींद तो रोज़ के वक़्त ही खुल गई थी, लेकिन जब बाहर का ...Read More

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अमावस्या में खिला चाँद - 18

- 18 - शीतकालीन अवकाश के पश्चात् जब कॉलेज खुला तो प्रिंसिपल ने टीचिंग स्टाफ़ की मीटिंग बुलाई, जिसका मुख्य मुद्दा नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती के अवसर पर रक्तदान शिविर का आयोजन तथा रक्तदान विषयक साहित्य-सृजन के अग्रणी साहित्यकार डॉ. मधुकांत को आमन्त्रित करना था। जहाँ हिन्दी के विभागाध्यक्ष डॉ. श्रीकांत ने इसका अनुमोदन किया तथा पूर्ण सहयोग करने का आश्वासन दिया, क्योंकि उन्हें पूर्ण विश्वास था कि प्रिंसिपल ने यह चयन अवश्य ही शीतल मैम के सुझाव पर किया होगा, वहीं एक-दो प्राध्यापक ऐसे भी थे, जो इस तरह के आयोजन में लगने ...Read More

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अमावस्या में खिला चाँद - 19

- 19 - रक्तदान शिविर के कुछ दिन बाद की बात है। सुबह की ठंडी के बाद सूर्योदय के साथ ही पृथ्वी ठंडक की केंचुल उतार जीवंत होने लगी थी। ऐसे सुहाने मौसम में कॉलेज-कैंटीन के बाहर रखी कुर्सियों पर बैठे तथा धूप का आनन्द लेते हुए प्रो. दर्शन अपने दो साथियों के साथ चाय की चुस्कियों के बीच गपशप कर रहे थे। इसी बीच उसने कहा - ‘रक्तदान शिविर के आयोजन से एक बात तो क्लीयर हो गई कि यह आयोजन प्रिंसिपल ने शीतल मैम को खुश करने के लिए किया था। कोई व्यक्ति ...Read More

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अमावस्या में खिला चाँद - 20

- 20 - दूसरे दिन कान्हा की अन्त्येष्टि से पहले मुक्ता को व्हीलचेयर पर घर गया। माँ आख़िर माँ होती है! बच्चा कैसा भी रहा हो, उसके मृतक शरीर को देखकर कोई भी माँ अपना आपा खो बैठती है। कान्हा के मृत शरीर को सामने पड़ा देखकर मुक्ता दहाड़े मारकर विलाप करने लगी। बार-बार उठने का प्रयास करने लगी। प्रवीर कुमार ने व्हीलचेयर पकड़ी हुई थी। नवनीता ने मुक्ता को व्हीलचेयर से उठने से रोके रखा। बड़ी मुश्किल से मुक्ता को वहाँ से घर के अन्दर ले जाया गया। आँसुओं के बहने की भी सीमा ...Read More

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अमावस्या में खिला चाँद - 21 (अंतिम भाग)

- 21 - ‘उठाले’ से एक दिन पूर्व मुक्ता को अस्पताल से छुट्टी मिल गई ‘उठाले’ की रस्म पूरी होने के बाद सुबह से शाम तक के लिए एक नौकरानी का प्रबन्ध करके शीतल ने अपनी ड्यूटी ज्वाइन कर ली थी। एक तो ऑपरेशन के बाद मुक्ता वाकर के बिना चल-फिर नहीं सकती थी, दूसरे घर के सारे कामकाज नौकरानी ने सँभाल लिए थे, इसलिए मुक्ता सारा दिन ख़ाली बैठी कान्हा के बारे में ही सोचती रहती। मुरलीधर बहुत समझाते कि जो होना था, सो हो गया। कान्हा का हमारे साथ इतना ही सम्बन्ध था। ...Read More