सुनसान रात

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चुड़ैल ? चुड़ैल क्या होती हैं ? बता सकता है तुम में से कोई क्या होती है यह चुड़ैल ? मैंने अपने दोस्तों से पूछा मुझे याद है यह उस दिन की बात है जब हम दोस्त मिलकर पूस की रात में जलते हुए अलाव के आगे बैठे हुए थे, हवा इतनी ठंडी चल रही थी कि हड्डियाँ तक गल जाए वो तो उस अलाव का सहारा था जो ठंड का तनिक भी एहसास नहींं होने दे रहा था। साथ में जलते हुए अलाव से आती, जलती हुई लकड़ियों के चड़ चड़ाने की आवाज हमारे कानों को चीरती हुई हमें डराने की कोशिश कर रही थी, पर हम मिलकर सुबह होने का इंतजार कर रहे थे और यह रात कैसे भी कट जाए, इसलिए हम बातें करके अपना समय व्यतीत करने लगे। हम रात में इतनी ठंड में वहाँ क्यों थे ? हम कौन थे ? जिस जगह पर हम थे, वो जगह बैंगलोर-मैसूर हाईवे पर थी, बिल्कुल सुनसान , अनजानी सी, हाईवे के साथ मुख्य सड़क से बिल्कुल सटी हुईलेकिन सड़क पर वाहनों की आवा-जाही शून्य थीफिर हम यहाँ पहुँचे कैसे ?

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सुनसान रात - 1

चुड़ैल ? चुड़ैल क्या होती हैं ? बता सकता है तुम में से कोई क्या होती है यह चुड़ैल मैंने अपने दोस्तों से पूछामुझे याद है यह उस दिन की बात है जब हम दोस्त मिलकर पूस की रात में जलते हुए अलाव के आगे बैठे हुए थे, हवा इतनी ठंडी चल रही थी कि हड्डियाँ तक गल जाए वो तो उस अलाव का सहारा था जो ठंड का तनिक भी एहसास नहींं होने दे रहा था। साथ में जलते हुए अलाव से आती, जलती हुई लकड़ियों के चड़ चड़ाने की आवाज हमारे कानों को चीरती हुई हमें डराने ...Read More

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सुनसान रात - 2

मैंने कहा देख ले भाई, कोई नहींं जा रहा है वहाँ से, कही कोई मुसीबत ना आ जाये,गुल्लू हंसने बोला अरे कोई भूत प्रेत नहींं आएगा क्यों डरता, हरीश है ना अपने साथ, इसकी आवाज़ से अच्छे अच्छे भूत प्रेत डर कर भाग जाएंगे, और फिर हम तीनों जोर से हँसने लगे और मैंने गाड़ी बायपास की तरफ मोड़ ली।अभी कुछ 10 , 20 किलोमीटर ही चले होंगे कि गाड़ी फिर झटके मार कर रुक गयीगुल्लू बोला अब क्या हुआ?चला ना आराम सेमैंने बोला, होना क्या है, पेट्रोल खत्म, ये हरीश के काम ऐसे ही होते है, इसको बोला ...Read More

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सुनसान रात - 3

ऐसे ही चलते चलते हम काफी दूर आ चुके थे, लगभग 4, 5 किलोमीटर धक्का लगाने के बाद हम थक चुके थे, हमने सोचा गाड़ी में बैठकर आराम करते है, और तीनों गाड़ी में बैठ गए, ठंड बहुत थी पूरी गाड़ी बन्द करने के बाद भी कँपकँपी नहींं रुक रही थी। तभी हरीश बोला चलो बाहर अलाव जलाकर आग सेंकते है, ऐसे तो गाड़ी में कुल्फी जम जाएगी हमारी, रात काफी हो चुकी थी करीब 12 से 1 बजे के बीच का वक्त रहा होगाहम गाड़ी से बाहर निकले सड़क से नीचे उतर कर एक कोने में जगह ढूंढ़ी ...Read More

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सुनसान रात - 4

ये पुरुषों को सुंदर महिला बनकर लुभाती हैं और उनका खून चूसकर अपनी उम्र को बढ़ाती हैंइतने में गुल्लू कि डायन भी तो यही करती हैं पुरुषों को अपने वश में करती हैं तो क्या डायन और चुड़ैल एक ही चीज हैं।हरीश बोला अरे नहींं चुड़ैल और डायन में अंतर होता हैं, चुड़ैल तो मैंने जैसे बताया कि मरने के बाद बनती हैं, पर डायन जो होती हैं वो एक ज़िंदा स्त्री होती हैं, वो अपने तंत्र मंत्र काले जादू से पुरुषों को अपने वश में करती हैं इसलिए तुमने सुना भी होगा कि कई जगह एक औरत को ...Read More

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सुनसान रात - 5

हरीश बोला – एक साथ इतने प्रश्न, सबका जवाब देता हूं।जब भी खाना खत्म होता तो उसके परिवार का कोई सदस्य वहां भेड़ बकरियां बांधकर आता था, वो दिन में ही जाता था और सूरज छिपने से पहले वापस आ जाता था।मैंने कहा दिन में चुड़ैल नहींं आती क्या ?हरीश बोला हाँ भाई चुड़ैल सूरज की रोशनी सहन नहींं कर सकती हैइसलिए वो रात में ही बाहर आती है।अच्छा एक बात समझ नहींं आई कि ये कब्रिस्तान की दीवार पर नाले बा क्यों लिखते थे, गांव में तो सबको पता ही होगा फिर क्या जरूरत आ गई ? गुल्लू ...Read More

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सुनसान रात - 6

वो थोड़ा और आगे बढ़ी, धीरे धीरे अपने डर को खुद में समेटते हुए, उसने कांपते होंठों से आवाज़ भोली- भोली और अपनी नज़रें इधर उधर घुमाई, तभी अचानक उसकी नज़र एक औरत पर पड़ी, जिसने काले वस्त्र पहने हुए थे, बिखरे हुए बाल थे उसके, चारों ओर खून बह रहा था वो वहाँ ज़मीन पर बैठी हुई कुछ खा रही थी उसके चबाने की आवाज़ गूंज रही थी। वह स्त्री उसको देख कर बहुत ज्यादा सहम गई थी, उसके शरीर से पसीना छूट रहा था वो डर से थर थर काँप रही थी, फिर भी उसने डरते डरते ...Read More

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सुनसान रात - 7

कहते हैं की वह खण्डहर हो चुका गांव, कब्रिस्तान और चुड़ैल का साया अभी भी बैंगलोर मैसूर हाईवे पर हैं सरकार ने उस गांव से निकलने वाली सड़क का कायाकल्प किया उसको नए सिरे से बनाया फिर भी कोई भी वाहन वहां से नहींं गुजरता हैं क्योंकि वहां पर चुड़ैल का साया हैं चुड़ैल का साया पूरे हाईवे पर पाया जाता हैं लेकिन उस गांव के नजदीक उसकी दहशत बहुत ज्यादा हैं इसलिए कोई भी उस शॉर्टकट रास्ते में दाखिल होने की हिम्मत नहींं करता हैं।अचानक हमें ठंड का एहसास होने लगा हमारा शरीर कांप रहा था तभी मेरी ...Read More

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सुनसान रात - 8 (अंतिम भाग)

हरीश बोलता ही जा रहा था- कितनी मुश्किलों से तुम्हें ढूंढा है तुम्हारा किसी का फोन भी नहीं लग था कब से पैदल चल रहा हूं एक व्यक्ति से लिफ्ट मांगी थी, फिर बाईपास के नजदीक आकर वहां कुछ लोगो से पूछा गाड़ी का नम्बर बताया कि इस नम्बर की गाड़ी किस तरफ गयी है उन्होंने बताया कि बाईपास पर गई है, मैंने जिससे लिफ्ट ली थी उससे बाईपास पर जाने से मना कर दिया बोला कि मुझे नहीं मरना वहां जाकर ये कहकर उसने बाईपास के पास छोड़ दिया।मैं तब से यहां तुम्हें ढूंढता हुआ पैदल पैदल आ ...Read More