राजा और मदिरा

(4)
  • 10.2k
  • 0
  • 3.1k

एक धार्मिक राजा हुआ करता था ,,,,, यज्ञ , दान,धर्म,कल्याण कारी कर्म में उसकी रुचि खूब थी। पूरे राज्य में नए मंदिर बंधवाना , गरीबों को सेवा करना आदि काम में राजकोष का खूब धन लगाया जाता था,राजकर्मी तथा सैनिकों को भी ये सूचना थी की किसी भी निसहाय की सेवा करने में पैर पीछे मत लेना।। राजमहल के पास के जंगल में एक वैश्या की कोठी हुआ करती थी,राजा विलासी तो नही था लेकिन हमेशा वैश्या की कोठी के बारे में खयाल रखता था,जरूरत पड़ने पर धन की जरूरतों को पूरी करता था। ये बात राजमहल के महामंत्री को भली भाती पता थी,और वो ये बातो से राजा के खिलाफ रहता था,मंत्री राज्य की सुरक्षा हेतु राजा को कई बार वैश्या को जंगल से हटाने बोल चुका था।।धर्म और दान में लगे राजा को वैश्या से परेशानी तो थी नहीं परंतु मंत्री जी को डर था कि राजा कही गलत रास्ते पे ना चल जाए।।। वैश्या कभी राजा को छूने या खुश करने की कोशिश नही करती थी, क्यू की उसको पता था कि राजा का मंत्री राजमहल में वैश्या को शरण या स्थान दोनो ही नही देगा।

Full Novel

1

राजा और मदिरा - भाग 1

एक धार्मिक राजा हुआ करता था ,,,,, यज्ञ , दान,धर्म,कल्याण कारी कर्म में उसकी रुचि खूब थी। पूरे राज्य नए मंदिर बंधवाना , गरीबों को सेवा करना आदि काम में राजकोष का खूब धन लगाया जाता था,राजकर्मी तथा सैनिकों को भी ये सूचना थी की किसी भी निसहाय की सेवा करने में पैर पीछे मत लेना।। राजमहल के पास के जंगल में एक वैश्या की कोठी हुआ करती थी,राजा विलासी तो नही था लेकिन हमेशा वैश्या की कोठी के बारे में खयाल रखता था,जरूरत पड़ने पर धन की जरूरतों को पूरी करता था। ये बात राजमहल के महामंत्री को ...Read More