मुंबई

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अखिर क्या व्याख्या है हमारे मुंबई की। मेरे मुंबई को यू तो सपनों की नगरी से जाना जाता है। ये नगरी में इंसान कभी भूखा नहीं रहेगा लेकिन रहने को छत नहीं है।यहां की मानो बाकी शहरों के मुकाबले कुछ ज्यादा ही तेजी से चलती है। आज मे बताती हु आपको मेरी कहानी.... मेरा अब तक का सफर... तो चलो चलते है ये सफर की ओर...। एक लड़की थी दीवानी सी, मुंबई नगरी पर वो मरा करती थी. उसे कुछ बनना था, अपना नाम बनना था, और उसे लगता था कि वो सब कुछ मुंबई जाके की पा सकती है। वो मे थी, मे गुजरात के रहने वाली हु मेरे गाँव का नाम है khedbhramha. (Sabarkantha)

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मुम्बई - पार्ट 1

मुंबई ... अखिर क्या व्याख्या है हमारे मुंबई की। मेरे मुंबई को यू तो सपनों की नगरी से जाना है। ये नगरी में इंसान कभी भूखा नहीं रहेगा लेकिन रहने को छत नहीं है।यहां की मानो बाकी शहरों के मुकाबले कुछ ज्यादा ही तेजी से चलती है।आज मे बताती हु आपको मेरी कहानी....मेरा अब तक का सफर...तो चलो चलते है ये सफर की ओर...।एक लड़की थी दीवानी सी, मुंबई नगरी पर वो मरा करती थी. उसे कुछ बनना था, अपना नाम बनना था, और उसे लगता था कि वो सब कुछ मुंबई जाके की पा सकती है।वो मे थी, ...Read More

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मुम्बई - पार्ट 2

तो दोस्तों आपने सुना कि हमरा आघात हो चुका था, मुंबई में, सारे शिकायतों को मन से अलविदा करते जीवन को जीना शुरू किया. तब में 8th std में थी, गुजरात में तो मे Grils school में study करती थी, यहां मेरा दाखिला mix school में हुआ था। हम लोग कांदिवली West मे रहते थे, Sai नगर में, अब उन दिनों तो मोबिल phone की सुविधा नहीं थी. मेरे गुजरात का जीवन अलग था वहां 11am to 5pm की school हुआ करती थी, हम खेल कूद भी बहुत करते थे, उन दिनों हम घर का कुछ काम नहीं करते ...Read More