अमृता इमरोज, प्यार के दो नाम, जिनके बारे में तब जाना ,जब मेरी उम्र सपने बुनने की शुरू हुई थी, और प्यार का वह हल्का एहसास क्या है अभी जाना नहीं था। बहुत याद नहीं आता कि कब किताबें पढने की लत लगी पर जो धुंधला सा याद है कि घर में माँ को पढने का बहुत शौक था और उनकी ‘मिनी लाइब्रेरी’ में दर्जनों उपन्यास भरे हुए थे। माँ तो बहुत छोटी उम्र में छोड़ कर चली गयी और सौगात में जैसे वह अपनी पढने की आदत मुझे दे गयी। यूँ ही एक दिन हाथ में ‘अमृता प्रीतम की रसीदी टिकट’ हाथ में आई और उसको पढना शुरू कर दिया।
Full Novel
आधी नज्म का पूरा गीत - 1
अमृता इमरोज, प्यार के दो नाम, जिनके बारे में तब जाना ,जब मेरी उम्र सपने बुनने की शुरू हुई और प्यार का वह हल्का एहसास क्या है अभी जाना नहीं था। बहुत याद नहीं आता कि कब किताबें पढने की लत लगी पर जो धुंधला सा याद है कि घर में माँ को पढने का बहुत शौक था और उनकी ‘मिनी लाइब्रेरी’ में दर्जनों उपन्यास भरे हुए थे। माँ तो बहुत छोटी उम्र में छोड़ कर चली गयी और सौगात में जैसे वह अपनी पढने की आदत मुझे दे गयी। यूँ ही एक दिन हाथ में ‘अमृता प्रीतम की रसीदी टिकट’ हाथ में आई और उसको पढना शुरू कर दिया। ...Read More
आधी नज्म का पूरा गीत - 2
जिसने उस वक़्त स्त्री की उस शक्ति को जी के दिखा दिया जब एक औरत अपने घूंघट से बाहर का सोच भी नहीं सकती थी, अमृता ने न केवल अपनी जिंदगी को इस तरह से जिया, अपने लिखे स्त्री चरित्रों को भी उस चमत्कारिक अनूठी ताकत में दिखाया जो न केवल आज वरन आने वाले वक़्त के लिए एक मिसाल बन के रहेंगी, चाहे वह उर्मि हो, चाहे वह ३६ चक की अलका या शाह जी की कंजरी हो या पिंजर की पूरो। ...Read More
आधी नज्म का पूरा गीत - 3
अमृता प्रीतम खुद में ही एक बहुत बड़ी लीजेंड हैं और बंटवारे के बाद आधी सदी की नुमाइन्दा शायरा इमरोज जो पहले इन्द्रजीत के नाम से जाने जाते थे, उनका और अमृता का रिश्ता नज्म और इमेज का रिश्ता था. अमृता की नज्में पेंटिंग्स की तरह खुशनुमा हैं फिर चाहे वह दर्द में लिखी हों या खुशी और प्रेम में वह और इमरोज की पेंटिंग्स मिल ही जाती है एक दूजे से। अमृता जी ने समाज और दुनिया की परवाह किए बिना अपनी जिंदगी जी उनमें इतनी शक्ति थी कि वह अकेली अपनी राह चल सकें.उन्होंने अपनी धारदार लेखनी से अपने समय की समाजिक धाराओं को एक नई दिशा दी थी। ...Read More
आधी नज्म का पूरा गीत - 4
अमृता के लिखे नावल में मुझे ३६ चक बहुत पसंद है। यह उपन्यास अमृता ने १९६३ में लिखा था यह १९६४ में छपा तो यह अफवाह फैल गई कि पंजाब सरकार इसको बेन कर रही है। पर ऐसा कुछ नही हुआ। यह १९६५ में हिन्दी में नागमणि के नाम से छपा और १९६६ उर्दू में भी प्रकाशित हुआ। जब इस उपन्यास पर पिक्चर बनाने की बात सोची गई तो रेवती शरण शर्मा ने कहा की यह उपन्यास समय से एक शताब्दी पहले लिखा गया है. ...Read More
आधी नज्म का पूरा गीत - 5
नारी डराती नहीं है मगर पुरुष डरता है. डरे हुए पुरुषों का समाज हैं हम. किसी ना किसी उर्मि डर हमारे समाज में हर पुरुष को है. जीती जागती हंसती खेलती उर्मि नहीं, उर्मि के मरने के बाद भी वो उर्मि से डरता है. उर्मि का पिता उर्मि के मरने के बाद उसका जिक्र करने से भी डरता है. उर्मि का पिता उर्मि का जिक्र सुनने से भी डरता है. मगर अमृता उर्मि का ही जिक्र करतीं जाती हैं. उनके उपन्यास का हर महिला पात्र उर्मि है. ...Read More
आधी नज्म का पूरा गीत - 6
अमृता और इमरोज दोनों मानते थे कि उन्हें कभी समाज की स्वीकृति की आवश्यकता नहीं थी !आम लोगो की में उन्होंने धर्म विरोधी काम ही नही किया था बलिक उससे भी बड़ा अपराध किया था, एक शादीशुदा औरत् होते हुए भी सामजिक स्वीकृति के बिना वह किसी अन्य मर्द के साथ रहीं जिस से वह प्यार करती थी और जो उनसे प्यार करता था ! ...Read More
आधी नज्म का पूरा गीत - 7
अमृता ने इमरोज़ का इन्तजार किस शिद्दत से किया, वह प्यार जब बरसा तो फ़िर दीन दुनिया की परवाह बिना बरसा और खूब बरसा.औरत की पाकीज़गी का ताल्लुक, समाज ने कभी भी, औरत के मन अवस्था से नहीं पहचाना, हमेशा उसके तन से जोड़ दिया। इसी दर्द को लेकर मेरे ‘एरियल’ नावल की किरदार ऐनी के अलफाज़ हैं, ‘‘मुहब्बत और वफा ऐसी चीज़ें नहीं है, जो किसी बेगाना बदन के छूते ही खत्म हो जाएं। ...Read More
आधी नज्म का पूरा गीत - 8
अगला चरित्र उनकी एक कहानी बृहस्पतिवार का व्रत’ व्रत पूजा को ले कर है इसके बारे में अमृता लिखती बृहस्पतिवार का व्रत’ कहानी उस ज़मीन पर खड़ी है, जिससे मैं वाकिफ नहीं थी। एक बार एक अजनबी लड़की ने आकर मिन्नत-सी की कि मैं उसकी कहानी लिख दूँ। और एक ही साँस में उसने कह दिया—‘मैं कॉलगर्ल हूँ। ’ उसी से, तन-बदन बेचने वाली लड़कियों के रोज़गार का कुछ अता-पता लिया, और उसके अंतर में पलती हुई उस पीड़ा को जाना, जो घर का एक स्वप्न लिए हुए, मन्नत-मुराद माँगती हैं किसी आने वाले जन्म के लिए.... ...Read More
आधी नज्म का पूरा गीत - 9
अमृता की लिखी जंगली बूटी का चरित्र अंगूरी भी प्रेम के उस रूप को दिखाता है जिसको ने कहीं न कहीं जीया है अमृता ने अपने जीवन के संदर्भ में लिखा हैः- इन वर्षो की राह में, दो बडी घटनायें हुई। एक- जिन्हें मेरे दुःख सुख से जन्म से ही संबंध था, मेरे माता पिता, उनके हाथों हुई। और दूसरी मेरे अपने हाथों । यह एक-मेरी चार वर्ष की आयु में मेरी सगाई के रूप में, और मेरी सोलह सत्तरह वर्ष की आयु में मेरे विवाह के रूप में थी। ...Read More
आधी नज्म का पूरा गीत - 10
विभाजन का दर्द अमृता ने सिर्फ सुना ही नहीं देखा और भोगा भी था। इसी पृष्ठभूमि पर उन्होंने अपना ‘पिंजर’ लिखा। 1947 में 3 जुलाई को अमृता ने एक बच्चे को जन्म दिया और उसके तुरंत बाद 14 अगस्त 1947 को विभाजन का मंजर भी देखा जिसके संदर्भ में उससे लिखा किः- ‘‘ दुखों की कहानियां कह- कहकर लोग थक गए थे, पर ये कहानियां उम्र से पहले खत्म होने वाली नहीं थीं। मैने लाशें देखीं थीं, लाशों जैसे लोग देखे थे, और जब लाहौर से आकर देहरादून में पनाह ली, तब ----एक ही दिन में सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक रिश्ते कांच के बर्तनों की भांति टूट गये थे और उनकी किरचें लोगों के पैरों में चुभी थी और मेरे माथे में भी ----- ’’ ...Read More
आधी नज्म का पूरा गीत - 11
अमृता और साहिर में जो एक तार था वह बरसों तक जुडा रहा, लेकिन क्या बात रही दोनों को साथ रहना नसीब नहीं हो सका ?यह सवाल अक्सर मन को कुदेरता है..जवाब मिला यदि अमृता को साहिर मिल गए होते तो आज अमृता अमृता न होती और साहिर साहिर न होते...कुदरत के राज हमें पता हमें पता नहीं होते, किस बात के पीछे क्या भेद छुपा है यह भेद हमें मालूम नहीं होता इस लिए ज़िन्दगी की बहुत सी घटनाओं को हम जीवन भर स्वीकार नहीं कर पाते. ...Read More
आधी नज्म का पूरा गीत - 12
अमृता के लिखे यह लफ्ज़ वाकई उनके लिखे को सच कर देते हैं. उनके अनुसार काया के किनारे टूटने हैं सीमा में छलक आई असीम की शक्ति ही फासला तय करती है जो रचना के क्षण तक का एक बहुत लम्बा फासला है एहसास की एक बहुत लम्बी यात्रा. मानना होगा कि किसी हकीकत का मंजर उतना है जितना भर किसी के पकड़ आता है. ...Read More
आधी नज्म का पूरा गीत - 13
अमृता प्रीतम जी ने अनेक कहानियाँ लिखी है इन कहानियों में प्रतिबिम्बित हैं स्त्री पुरुष योग वियोग की मर्म और परिवार, समाज से दुखते नारी के दर्द के बोलते लफ्ज़ हैं. कई कहानियाँ अपनी अमिट छाप दिल में छोड़ जाती है. कुछ कहानियाँ अमृता जी ने खुद ही अपने लिखे से अलग संग्रह की थी और वह तो जैसे एक अमृत कलश बन गयी. उन्हीं कहानियों में से एक कहानी है गुलियाना का एक ख़त....जिसके नाम का अर्थ है फूलों फूलों सी औरत. पर वह लोहे के पैरों से लगातार दो साल चल कर युगोस्लाविया से चल कर अमृता तक आ पहुंची ...Read More
आधी नज्म का पूरा गीत - 14
यह पंक्तियाँ अमृता की किताब वर्जित बाग़ की गाथा से ली गयी है...उन्होंने लिखा है कि मैं यदि पूरी लिखने लगूंगी तो मेरी नज्मों का लम्बा इतिहास हो जाएगा इस लिए इन में बिलकुल पहले दिनों कि बात लिखूंगी जब मैंने वर्जित बाग़ को देख लिया तो अपना ही कागज कानों में खड़कने लगा था.. ...Read More
आधी नज्म का पूरा गीत - 15
इस एपिसोड में हम अमृता प्रीतम के लिखे हुए उपन्यास, कहानी से वो पंक्तियाँ लेंगे, जो औरत की उन को स्पष्ट रूप से कहते हैं और दिल को झंझोर देते हैं, अमृता के उपन्यास की सप्त तारिकाएँ अपने शब्दों से हमारे दिल की बात कहती हैं आइये आज इन शब्दों के साथ इस अनूठे सफ़र पर चलते हैं और चिन्तन करते हैं कि क्या यह हालात कभी बदलेंगे ? ...Read More
आधी नज्म का पूरा गीत - 16
स्त्री मन न जाने कितने दर्द और उन अनकहे लफ़्ज़ों में बंधा हुआ है, यह अमृता प्रीतम अच्छी तरह समझती थी वह अपने शब्दों से न जाने कितनी औरतों की उन दस्तकों को लेखन की आवाज़ देती हुई लगती है, कि औरत के जीवन में उसकी ही मुस्कुराहटें और खनक जाने कितनी कैदों में कैद होती रहती है. सही मायने में तो स्त्री का मन ही है जो उसे कैद में रखता है. इसी के चलते वह एक कैद से मुक्त होती है औऱ दूसरी कैद उसे आ घेरती है. यह कैद कभी औलाद की होती है, कभी रिश्तों की तो कभी उस प्रेम की जिसे वह सांस दर सांस जीती चली जाती है. ...Read More
आधी नज्म का पूरा गीत - 17
अमृता का कहना था कि दुनिया की कोई भी किताब हो हम उसके चिंतन का दो बूंद पानी जरुर से ले लेते हैं..और फ़िर उसी से अपना मन मस्तक भरते चले जाते हैं.और फ़िर जब हम उस में चाँद की परछाई देखते हैं तो हमें उस पानी से मोह हो जाता है...हम जो कुछ भी किताबों से लेते हैं वह अपना अनुभव नही होता वह सिर्फ़ सहेज लिया जाता है....अपना अनुभव तो ख़ुद पाने से मिलता है...इस में भी एक इबारत वह होती है जो सिर्फ़ बाहरी दुनिया की सच्चाई लिखती है, पर एक इबारत वह होती है जो अपने अंतर्मन की होती है और वह सिर्फ़ आत्मा के कागज पर लिखी जाती है.... ...Read More
आधी नज्म का पूरा गीत - 18
अमृता ने कहा कि आपने मेरी नज्म मेरा पता नज्म की एक सतर पढ़ी है -----यह एक शाप है.एक है..इस में मैं कहना चाहती हूँ कि यह सज्जाद की दोस्ती है, और साहिर इमरोज की मोहब्बत जिसने मेरे शाप को वरदान बना दिया आपके लफ्जों में अ शिव का प्रतीक है और ह शक्ति का ..जिस में से शिव अपना प्रतिबिम्ब देख कर ख़ुद को पहचानते हैं और मैंने ख़ुद को साहिर और इमरोज़ के इश्क से पहचाना है..वह मेरे ह है मेरी शक्ति के प्रतीक...और यह पढ़ कर जाना कि के इश्क उनके मन की अवस्था में लीन हो चुका है.और यही लीनता उनको ऊँचा और ऊँचा उठा देती है… ...Read More
आधी नज्म का पूरा गीत - 19
अमृता की कविता एक जादू है.उनकी कविता में जो अपने आस पास की झलक मिलती है वह रचना अपनी में अंत तक अपना बुनयादी चिन्ह नही छोड़ती है..वह अपने में डूबो लेती है.अपने साथ साथ उस यात्रा पर ले चलती है.जिस पर हम ख़ुद को बहुत सहज सा अनुभव करते हैं....आज उनकी कुछ कविताओं से ख़ुद को जोड़ कर देखते हैं....उनकी एक कविता है धूप का टुकडा मुझे वह समय याद है -- ...Read More
आधी नज्म का पूरा गीत - 20
किस तरह अमृता अपने लिखे से अपना बना लेती है....मैं तो एक कोयल हूँ मेरी जुबान पर तो एक वर्जित छाला तो दर्द का रिश्ता.. ...Read More
आधी नज्म का पूरा गीत - 21
कलम से आज गीतों का काफिया तोड़ दिया मेरा इश्क यह किस मुकाम पर आया है उठ ! अपनी से पानी की कटोरी दे दे मैं राह के हादसे, अपने बदन से धो लूंगी..... ...Read More
आधी नज्म का पूरा गीत - 22
अमृता के जहन पर जो साए थे वही उसकी कहानियो में ढलते रहे..उसकी कहानी के किरदार बनते रहे.चाहे वह जी कि कंजरी हो या जंगली बूटी की अंगूरी..या फ़िर और किरदार.अमृता को लगता कि उनके साथ जो साए हैं वह आज के वक्त के नहीं हैं पता नही किस काल से, किस वक्त से हैं वह ख़ुद बा ख़ुद कहानी के कविता के किरदार बनते चले गए.कई बार ऐसा होता है की हमारे आस पास कई छोटी छोटी घटनाएँ घटित होती रहती है और उनको हम जैसे उनको चेतन मन में संभाल लेते हैं. ...Read More
आधी नज्म का पूरा गीत - 23
बाद में-जब हिंदुस्तान की तक्सीम होने लगी, तब वे नहीं थे। कुछ पूछने-कहने को मेरे सामने कोई नहीं था...कई के सवाल आग की लपटों जैसे उठते-क्या यह ज़मीन उनकी नहीं है जो यहां पैदा हुए ? फिर ये हाथों में पकड़े हुए बर्छे किनके लिए हैं ? अखबार रोज़ खबर लाते थे कि आज इतने लोग यहां मारे गए, आज इतने वहां मारे गए...पर गांव कस्बे शहर में लोग टूटती हुई सांसों में हथियारों के साये में जी रहे थे... ...Read More
आधी नज्म का पूरा गीत - 24
साहिर से अमृता का जुडाव किसी से छिपा नही है उन्होंने कभी किसी बात को लिखने में कोई नही कि इस लिए यह दिल को छू जाता है और हर किसी को अपनी जिन्दगी से जुडा सच लगता है अपनी लिखी आत्मकथा रसीदी टिकट में उन्होंने एक वाकया तब का ब्यान किया है जब उनका पहला बेटा नवरोज़ होने वाला था ...Read More
आधी नज्म का पूरा गीत - 25
हर अतीत एक वो डायरी का पुराना पन्ना है जिस को हर दिल अजीज यदा कदा पलटता है और हो जाता है.कई बार उस से कुछ लफ्ज़ छिटक कर यूँ बिखर जाते हैं...कोई नाम उन में चमक जाता है, पर कोई विशेष नाम नहीं, क्यों कि मोहबत का कोई एक नाम नहीं होता, उसके कई नाम होते हैं.... ...Read More
आधी नज्म का पूरा गीत - 26
पर अगर आपको मुझे ज़रूर पाना है तो हर देश के, हर शहर की, हर गली का द्वार खटखटाओ यह एक है, यह एक वर है और जहाँ भी आज़ाद रूह की झलक पड़े ...Read More
आधी नज्म का पूरा गीत - 27
अमृता प्रीतम के इमरोज़ से मेरा मिलना..एक यादगार लम्हा एक ज़माने से तेरी ज़िंदगी का पेड़ कविता फूलता फलता और साथ मिल कर देखा है और जब तेरी ज़िंदगी के पेड़ ने बीज बनाना शुरू किया मेरे अंदर जैसे कविता की पत्तियाँ फूटने लगी हैं. ...Read More
आधी नज्म का पूरा गीत - 28
एक सूरज आसमान पर चढ़ता है. आम सूरज सारी धरती के लिए. लेकिन एक सूरज ख़ास सूरज सिर्फ़ मन धरती के लिए उगता है, इस से एक रिश्ता बन जाता है, एक ख्याल, एक सपना, एक हकीक़त..मैंने इस सूरज को पहली बार एक लेखिका के रूप में देखा था, एक शायरा के रूप में, किस्मत कह लो या संजोग, मैंने इस को ढूंढ़ कर अपना लिया, एक औरत के रूप में, एक दोस्त के रूप में, एक आर्टिस्ट के रूप में, और एक महबूबा के रूप में ! कल रात सपने में एक औरत देखी जिसे मैंने कभी नही देखा था इस बोलते नैन नक्श बाली को कहीं देखा हुआ है.. ...Read More