काव्यांजलि

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भाग1यह कृति मन से उपजी हुई भावनाएँ है जिसे काव्य के रूप में अर्थ दिया गया है। इस संग्रह में विभिन्न् विषयों वाले काव्यों का संकलन है। यह आवश्यक नहीं है कि मेरी सभी भावनाओं से आप सब सहमत हों परंतु प्रोत्साहन स्वरूप सकारात्मक रूप से इसका आनंद लेंगे तो मुझे ज्यादा खुशी होगी। बहुत सारी पंक्तियों में हिन्दी की बोलचाल वाली भाषा का उपयोग है अतः साहित्य प्रेमी उसका वैसा ही आनंद ले यही मेरा आग्रह है। आपकी शुभकामनाओं की अपेक्षा में अनवरत प्रार्थी।।भूपेन्द्र कुलदीपज्योत्सनारजत सोम को खोज रहा हैू,नील गगन के सावन मेंटूटा चंदा गिरा हुआ है |

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काव्यांजलि, कविता संग्रह - 1

भाग1यह कृति मन से उपजी हुई भावनाएँ है जिसे काव्य के रूप में अर्थ दिया गया है। इस संग्रह विभिन्न् विषयों वाले काव्यों का संकलन है। यह आवश्यक नहीं है कि मेरी सभी भावनाओं से आप सब सहमत हों परंतु प्रोत्साहन स्वरूप सकारात्मक रूप से इसका आनंद लेंगे तो मुझे ज्यादा खुशी होगी। बहुत सारी पंक्तियों में हिन्दी की बोलचाल वाली भाषा का उपयोग है अतः साहित्य प्रेमी उसका वैसा ही आनंद ले यही मेरा आग्रह है। आपकी शुभकामनाओं की अपेक्षा में अनवरत प्रार्थी।।भूपेन्द्र कुलदीपज्योत्सनारजत सोम को खोज रहा हैू,नील गगन के सावन मेंटूटा चंदा गिरा हुआ है,मेरे मन ...Read More

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काव्यांजलि, कविता संग्रह - 2

अर्थ दिया गया है। इस संग्रह में विभिन्न् विषयों वाले काव्यों का संकलन है। यह आवश्यक नहीं है कि सभी भावनाओं से आप सब सहमत हों परंतु प्रोत्साहन स्वरूप सकारात्मक रूप से इसका आनंद लेंगे तो मुझे ज्यादा खुशी होगी। बहुत सारी पंक्तियों में हिन्दी की बोलचाल वाली भाषा का उपयोग है अतः साहित्य प्रेमी उसका वैसा ही आनंद ले यही मेरा आग्रह है। आपकी शुभकामनाओं की अपेक्षा में अनवरत प्रार्थी।।भूपेन्द्र कुलदीपआकाशमेरी बदनामी की लकीरेंमेरा दामन नहीं छुएंगीपर हल्का सा अहसास जरूर दे जाएंगीजैसे हवा के झोंके से रोआं-रोआं खड़ा हो गया होक्योंकि मैं तो नश्वर हूँ,मेरा कोई नाम ...Read More

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काव्यांजलि, कविता संग्रह - 3

यह कृति मन से उपजी हुई भावनाएँ है जिसे काव्य के रूप में अर्थ दिया गया है। इस संग्रह विभिन्न् विषयों वाले काव्यों का संकलन है। यह आवश्यक नहीं है कि मेरी सभी भावनाओं से आप सब सहमत हों परंतु प्रोत्साहन स्वरूप सकारात्मक रूप से इसका आनंद लेंगे तो मुझे ज्यादा खुशी होगी। बहुत सारी पंक्तियों में हिन्दी की बोलचाल वाली भाषा का उपयोग है अतः साहित्य प्रेमी उसका वैसा ही आनंद ले यही मेरा आग्रह है। आपकी शुभकामनाओं की अपेक्षा में अनवरत प्रार्थी।।भूपेन्द्र कुलदीपनिकिताजीवन रेखा कैसी चलतीटेढ़ी सीधी रूक रूक करउचक उचक मन हिरण तरसताप्रेम की शाखा झुक ...Read More