शारीरिक विकलांगता किसी का मुंह नहीं देखती ना ही किसी में कोई लिंग भेद ही करती है. यहाँ मैं विकलांगता शब्द का प्रयोग कर रही हूँ जो देखने, पढ़ने, सुनने, आदि में कठोर शब्द है बहुत से लोग कहेंगे मुझे दिव्यांग शब्द का प्रयोग करना चाहिए था. लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया क्यूंकि सच हमेशा कड़वा एवं कठोर ही होता हैं. मेरे विचार से जिन लोगों का केवल कोई अंग खराब हो अथवा किसी हादसे में खराब हो गया हो या कट गया हो केवल उनको दिव्यांग कहना सही हो सकता है. लेकिन जो लोग मानसिक और शारीरिक दोनों ही रूप से ठीक ना हों उन्हें विकलांग कहना ही सही होगा, ऐसा मेरा विचार है. हाँ तो मैं यह कह रही थी कि ऐसी विकलांगता कोई लिंग देखकर नहीं आती. फिर भी जिन घरों में दुर्भाग्य से ऐसा कोई व्यक्ति होता है ख़ासकर कोई वयस्क 'महिला या पुरुष' उस घर के सदस्य उस व्यक्ति से परेशान हो ही जाते हैं.
Full Novel
मुझे न्याय चाहिए - भाग 1
शारीरिक विकलांगता किसी का मुंह नहीं देखती ना ही किसी में कोई लिंग भेद ही करती है. यहाँ मैं शब्द का प्रयोग कर रही हूँ जो देखने, पढ़ने, सुनने, आदि में कठोर शब्द है बहुत से लोग कहेंगे मुझे दिव्यांग शब्द का प्रयोग करना चाहिए था. लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया क्यूंकि सच हमेशा कड़वा एवं कठोर ही होता हैं. मेरे विचार से जिन लोगों का केवल कोई अंग खराब हो अथवा किसी हादसे में खराब हो गया हो या कट गया हो केवल उनको दिव्यांग कहना सही हो सकता है. लेकिन जो लोग मानसिक और शारीरिक दोनों ही ...Read More
मुझे न्याय चाहिए - भाग 2
रेणु ने कहा पर माँ ...! पर वर कुछ नहीं, रख ले. वहाँ तू अकेली जा रही हैं, 'सुना परदेस में बिना पैसे के कोई पानी भी नहीं पूछता' तो जरूरत तो पड़ेगी ना बेटा. मैंने जोड़कर रखे थे देख आज काम आगए। कहकर लक्ष्मी मुसकुरा दी ताकि रेणु को हिम्मत मिल सके. रेणु गाँव से बस में बैठकर मुंबई आ पहुंची. डरी डरी सी, सहमी सहमी सी रेणु, अपना झोला अपने सीने से लगाए जब वहाँ उतरी तो उसे ऐसा लगा मानो वह कोई दूसरी ही दुनिया में आ पहुंची है. उसने पहले रेडियो पर सुन रखा था ...Read More
मुझे न्याय चाहिए - भाग 3
तभी एक महिला ने आकर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए उससे पूछा, क्या हुआ तुम रो क्यों रही ? रेणु ने अश्रु भरी आँखों से उसकी ओर देखा वह हाथ में बहुत से फल लिए खड़ी थी. रेणु ने बिना कुछ मुंह से कहे सुबकते हुए अपने हाथों से फल की तरफ इशारा किया. तो उस औरत ने उसका इशारा समझते हुए उससे पूछा ओह...! तुम्हें भूख लगी है शायद, लो यह फल लेलो. उसने दो तीन केले रेणु की तरफ बढ़ा दिये. रेणु उसे जन्मो से भूखे इंसान की तरह खाने लगी दो -तीन केले खाने के ...Read More
मुझे न्याय चाहिए - भाग 4
भाग- 4 हाँ खैर यह बात तो मैं भी बखूबी समझता हूँ. ऐसा है तो फिलहाल मैं आपको नहीं दे पाऊँगा. जी कोई बात नहीं, रेणु को फिर पैसे लौटाने की चिंता सताने लगी.. इस महीने तो उसने एडवांस लेकर किसी तरह अपने गाँव में अपने माँ बाबा को पैसे भेज दिये थे. लेकिन यदि उसे जल्द ही कोई काम ना मिला तो अगले महीने क्या होगा, उसकी माँ ऐसों की राह देख रही होगी और पैसे नहीं पहुंचेंगे तो बाबा को भी कितनी तकलीफ होगी, कितना दुख होगा. वह बेचारे तो अपना दुख चाहकर भी किसी से ...Read More
मुझे न्याय चाहिए - भाग 5
भाग -5 भूखा शब्द सुनते ही रेणु को वो रात याद आ गयी जब वो पहली बार मुंबई आयी और कैसे उसका समान और पैसे सब चोरी हो गए थे और कितने दिनों तक उसे भूखा रहना पड़ा था. इतनी भूख तो उसने कभी अपने गाँव में भी नहीं देखी थी. फिर कैसे उसे काशी मिली, उस दिन सच में ईश्वर का रूप बनकर काशी उसके जीवन में आयी थी. उसे अचानक अपनी सारी आपबीती याद आ गयी और उसकी आँखों में नमी छा गयी. फिर उसने अपनी आँखों को दुपट्टे से हल्का पौंछते हुए कहा 'चलो अब मैं ...Read More
मुझे न्याय चाहिए - भाग 6
भाग -6 कुछ ही दिनों बाद भूमिजा की डॉक्टर घर आयी उसे देखने, उसने रेणु को बहुत शाबाशी दी वह बहुत अच्छे से भूमिजा का ध्यान रख रही है. उसने रेणु को कहा कि भूमिजा को घर के बाहर लेकर जाये, थोड़ा पैदल चलाये, दौड़ाए, भगाये, जिससे वह थक जाय क्यूंकि अकसर ऐसे बच्चों के अंदर शक्ति बहुत होती है. लेकिन इन बच्चों का शारीरिक श्रम वैसा नहीं हो पाता जैसा होना चाहिए. इसलिए उनका वजन बढ़ता चला जाता है और वह और अधिक दूसरों पर निर्भर होते चले जाते हैं. रेणु ने उनकी सारी बातें ध्यान से सुनी ...Read More
मुझे न्याय चाहिए - भाग 7
भाग -7 लक्ष्मी अपनी बेटी के कहे के आगे और क्या कहती, वह चुप हो गयी और घर रहकर अपने पति की देखभाल करने लगी. लेकिन मुंबई जैसी जगह में तीन लोगों का बिना किसी काम को किए रहना आसान नहीं होता. कुछ दिन, कुछ महीने तो जमा पैसों के आधार पर निकल गए. इस बीच रेणु को अब तक कहीं कोई काम नहीं मिला है. पिता के इलाज के लिए मोटी रकम की जरूरत है. इसलिए रेणु को फिर किसी ऐसे ही काम की तलाश है जहां से एक बार में ही वह मोटी रकम कमा सके. इधर ...Read More
मुझे न्याय चाहिए - भाग 8
भाग -8 रात को जब काशी रेणु और उसकी माँ, तीनों साथ में बैठे तो काशी ने आज पूरा किस्सा रेणु को बताया. रेणु यह जानकर खुश हुई कि उसकी माँ को एक ऐसा काम मिल गया जिसमें उनको ज्यादा थकान नहीं होगी और किसी तरह की कोई दौड़-भाग भी उन्हें नहीं करनी होगी. इधर रेणु को मन ही मन ‘आदि’ का इंतज़ार था. वह रोज एक चक्कर उसके घर का लगा आती, यह सोचकर कि शायद आज वह आ गया होगा. पर हर बार उसके दरवाजे पर ताला देखकर उदास मन से लौट जाती. कई महीने गुजर ...Read More
मुझे न्याय चाहिए - भाग 9
भाग-9 देखिये मैं जानती हूँ आपको यह सब सुनकर बहुत अजीब लग रहा होगा. लेकिन ऐसा होता है, हमारे में भी एक ऐसा ही लड़का था जब उसकी शादी कर दी गयी तो वह बहुत हद तक ठीक हो गया था. ‘छह ....सब झूठ है, ऐसा नहीं होता’. ‘होता है मालकिन, होता है’. मैं नहीं मानती तुम गाँव वाले भी ना, नजाने किस तरह की मानसिकता पालते हो और फिर तुमने खुद अपनी आँखों से देखा है अक्कू को, उससे भला कौन भली लड़की शादी करेगी. तुम भी ना नजाने क्या क्या सोचती हो. भूल जाओ इस विचार को, ...Read More
मुझे न्याय चाहिए - भाग 10
भाग-10 छी ....! नरेश मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी कि तुम अपने ही भाई के विषय ऐसी गंदी सोच रखते हो. आज मुझे तुम्हें अपना बेटा कहते हुए भी शर्म आरही है, चले जाओ यहाँ से....! अभी इसी वक्त कहीं ऐसा न हो कि मैं तुम्हें तुम्हारी इन्हीं हरकतों की वजह से घर के बाहर निकल दूँ. गुस्से में भुनभुनाता हुआ नरेश कमरे से बाहर निकल गया. इतने में बाहर से आती हुई लक्ष्मी ने उनकी सारी बातें सुनली. वह अंदर पहुँचकर अपने रोज के काम में लग गयी. अभी इस समय उसने रुक्मणी जी से ...Read More
मुझे न्याय चाहिए - भाग 11
भाग-11 बाहर आते ही रेणु ने काशी से कहा ‘पता नहीं यार माँ को क्या हुआ है, कल जब काम से लौटी है बहुत आनमनी सी है, ना कुछ कहती है ना बताती है. काशी ने पूछा ‘कुछ झगड़ा वगड़ा हुआ है क्या वहाँ किसी से’? रेणु ने कहा पता नहीं, लेकिन माँ का झगड़ा किसी से हो ऐसा बहुत कम ही होता है बहन, और तो और आज माँ काम पर भी नहीं गयी और जब मैंने पूछा तो कहने लगी मैं एक दिन की छुट्टी नहीं ले सकती क्या जो इतने सवाल पूछ रही है. बेटी है ...Read More
मुझे न्याय चाहिए - भाग 12
भाग -12 अगले ही दिन लक्ष्मी काम पर जाने के लिए तैयार हो गयी और दीनदयाल जी से बोली, जी अगर भगवान ने चाहा तो यह रिश्ता होकर ही रहेगा. मैं आज ही जाकर रुक्मणी जी से इस रिश्ते की बात करने जा रही हूँ .आप भी ईश्वर से प्रार्थना करना कि वह इस रिश्ते के लिए मान जाये. यह बात सुनते ही दीनदायल जी मानो तड़प उठे और उन्होने लक्ष्मी को रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन लक्ष्मी रोती रही और कहती रही आप समझ क्यूँ नहीं रहे, इसी में हमारी बेटी की भलाई है, इसी में उसका ...Read More
मुझे न्याय चाहिए - भाग 13
भाग-13 रेणु की किस्मत देखिये कि जब वह लोग वहाँ पहुंचे तो उस दिन रमेश छुट्टी पर गया था. आज अक्कू को देखने वाला कोई नहीं था. जब वह दोनों वहाँ पहुंची तो लक्ष्मी आपने काम में छोटे बच्चे के साथ व्यस्त हो गयी. लेकिन रेणु के लिए कोई काम दिखायी नहीं दे रहा था, उसने अपनी माँ से कई बार पूछा माँ मेरा तो कोई काम नहीं है यहाँ, आप मुझे यहाँ आपने साथ क्यूँ लायी. ? अब रेणु अपनी की माँ की ओर देखकर यह सवाल कर ही रही थी कि अचानक अक्कू अपने कमरे से ...Read More
मुझे न्याय चाहिए - भाग 14
भाग -14 कुछ दिन बाद जब लक्ष्मी को कुछ समझ नहीं आया तो उसने मन बना लिया कि आज जो हो जाय, वह रुक्मणी जी से बात कर के ही दम लेगी. इसलिए अगली सुबह जल्दी उठकर नहा धोकर काम के लिए निकल गयी. वहाँ पहुंची, तो वहाँ भी सभी ने उसे देखकर यही कहा कि ‘अरे लक्ष्मी काकी, आज सुबह सुबह इतनी जल्दी ?’ लक्ष्मी ने कुछ भी बहाना बना दिया कि शाम को घर जल्दी जाना है, बेटी को देखने वाले आरहे हैं. वगैरा -वगैरा. रुक्मणी जी की बहू जब से माँ बनी है तब से अब ...Read More
मुझे न्याय चाहिए - भाग 15
भाग -15 रेणु चुप सुन रही है. लेकिन उसकी समझ में कुछ नहीं आरहा है कि क्या करे ना करे, उसकी आँखों से बस नीर बह रहा है और वह मौन स्तब्ध सी खड़ी अपनी माँ को देख रही है. इसी सब में कब रात से सुबह हो गयी पता ही नहीं चला. अगली सुबह लक्ष्मी ने रेणु से पूछा तो फिर क्या सोचा है तूने बेटा, रेणु अब भी चुप है. उसने अपनी माँ से कहा आज आपको काम पर नहीं जाना ? जाना तो है, पर तेरी हाँ सुनने के बाद. रेणु ने कुछ नहीं कहा ...Read More
मुझे न्याय चाहिए - भाग 16
भाग -16 काशी ने बहुत कोशिश की, लक्ष्मी को समझाने कि कहा ‘आप रेणु के साथ ऐसा कैसे कर हो काकी, आपको पता है ना उस दिन क्या किया था उस जानवर ने रेणु के साथ और आप फिर भी....’ काशी...! लक्ष्मी ने काशी की बात बीच में से काटते हुए ही कहा, ‘जानवर नहीं है वह, तमीज से बात करो’ क्या सही सिखाया है तुम्हारे माँ -बाप ने तुम्हें ? यह मत भूलो कि अब वह तुम्हारी सहेली का होने वाला पति हैं. लक्ष्मी की माँ -बाप वाली बात एकदम से काशी को लग गयी क्यूंकि काशी बचपन ...Read More
मुझे न्याय चाहिए - भाग 17 - अंतिम भाग
भाग -17 रुक्मणी जी रसोई में जाकर रेणु के कंधे पर हाथ रखते हुए कहती हैं, ‘बहू डरो अब इसे अपना ही घर समझो’ धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा. और तुम तो जानती ही हो कि अक्कू जैसे लोगों को कैसे संभाला जाता है. फिर अब तो वह तुम्हारा पति हैं. अब यह ज़िम्मेदारी तुम्हारी है, संभालो इसे. कहती हुयी वह भी वहाँ से चली गयी. रेणु की आँखों से आँसू बहते रहे....! बहते रहे .....! पर किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा. किसी तरह रेणु ने अक्कू को संभालने का प्रयास करना शुरू कर दिया. अक्कू उससे ...Read More