वो श्याम सलोनी

(13)
  • 16.3k
  • 0
  • 7.1k

वो एकटक बगीचे के फूलों को निहार रही थी रंग रूप पर उसने कभी खुद से ध्यान ही नहीं दिया था क्योंकि उसने हमेशा अपने पापा से यही सुना था की बच्चे इंसान का मन साफ होना चाहिए रंग और खुबसूरती तो एक उम्र के बाद खत्म हो जाती है रह जाती है तो बस की सुंदरता! यही वजह थी की उसने लोगों की बातों को हमेशा इग्नोर किया था लेकिन आज उसे दर्द हो रहा था और साथ ही शिकायत भी उस ईश्वर से ! क्योंकी आज अपने सावले रंग की ही वजह से उसने उसे खो दिया था जो तब से उसके दिल में बसता था जब वो दसवीं में थी प्यार का मतलब भी नहीं सही से पता था लेकिन तब से वो आज तक उसके दिल में था और आज उसकी सगाई थी उसके प्यार की ! जिसकी खबर उसे गांव आते ही मिली और वो अब खुद को तैयार कर रही थी की कैसे उससे मिलेगी हिम्मत ही साथ नहीं दे रही थी दिल तो जैसे फटा जा रहा था लेकिन वो किसी से बोल भी तो नहीं पा रही थी और न ही कोई ऐसा था जिसके कंधे पर सिर रखकर वो रो सके इसलिए उसने अपने आंसुवो को पलकों में ही जब्त कर लिया ।और भरी आंखों से उस चांदनी के फूल पर हाथ फेरने लगी जिनमें अक्सर ही उसे कृष का अक्स नज़र आता था क्योंकी कृष को ये फूल बहुत पसंद थे! वो उन सबमें खोई ही थी की उसे आवाज सुनाई पड़ी आंगन से जो दिवाकर जी उसके पापा आवाज दे रहे थे।

1

वो श्याम सलोनी - 1

वो एकटक बगीचे के फूलों को निहार रही थी रंग रूप पर उसने कभी खुद से ध्यान ही नहीं था क्योंकि उसने हमेशा अपने पापा से यही सुना था की बच्चे इंसान का मन साफ होना चाहिए रंग और खुबसूरती तो एक उम्र के बाद खत्म हो जाती है रह जाती है तो बस की सुंदरता! यही वजह थी की उसने लोगों की बातों को हमेशा इग्नोर किया था लेकिन आज उसे दर्द हो रहा था और साथ ही शिकायत भी उस ईश्वर से ! क्योंकी आज अपने सावले रंग की ही वजह से उसने उसे खो दिया था ...Read More

2

वो श्याम सलोनी - 2

कृष के साथ शालनी अंदर आई तो देखा पूरा हॉल महमानो से भरा था सामने ही उसे सुमेश जी रीमा जी दिख गए और उनके पास ही शालनी के पेरेंट्स भी थे तो वो पहले उनके पास चली गई ।" लो जी आ गई हमारी चांद का टुकड़ा हमारी होने वाली बहु "रीमा जी की नज़र सीढ़ियों से आ रही पीहू पर जैसे ही पड़ी वो मुसकुराते हुए बोल पड़ी। शालनी की नजरे भी उस ओर उठ गई नेवी ब्लू लहंगे में उसका गोरा रंग बहुत फब रहा था ! कृष की तो नजरे ही उससे नहीं हट रही ...Read More

3

वो श्याम सलोनी - 3

आज से कृष की शादी की रस्में शुरू हो गई थी पीहू अब उसके पास उसकी ज़िंदगी में हमेशा लिए आने वाली थी और वो कितना खुश था ये उसके चेहरे पर चिपकी मुस्कान बता रही थी जो जाने का नाम ही नहीं ले रही थीं आज हल्दी की रश्म थी वो सुबह सोकर वर्क आउट से आया ही थी की उसका फोन बज उठा । पीहू का नाम देख उसकी मुस्कान गहरी हो गई उसने जल्दी से कॉल रिसीव किया।"हैपी हल्दी जान , मिसेज सिंह बनने के लिए आज से तैयार ही जाइए "उसने बहुत ही प्यार से ...Read More

4

वो श्याम सलोनी - 4

आज से कृष की शादी की रस्में शुरू हो गई थी पीहू अब उसके पास उसकी ज़िंदगी में हमेशा लिए आने वाली थी और वो कितना खुश था ये उसके चेहरे पर चिपकी मुस्कान बता रही थी जो जाने का नाम ही नहीं ले रही थीं आज हल्दी की रश्म थी वो सुबह सोकर वर्क आउट से आया ही थी की उसका फोन बज उठा । पीहू का नाम देख उसकी मुस्कान गहरी हो गई उसने जल्दी से कॉल रिसीव किया।"हैपी हल्दी जान , मिसेज सिंह बनने के लिए आज से तैयार ही जाइए "उसने बहुत ही प्यार से ...Read More