लोक कथा

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बहुत पुरानी बात है, रूस में एक गाँव था जिसके ज़्यादातर निवासी गरीब किसान थे। गाँव में केवल एक ही आदमी अमीर था और वह था उस गाँव का जागीरदार। वह बड़ा लालची और कंजूस प्रवृत्ति का व्यक्ति था और कभी किसी के ऊपर एक पैसा खर्च न कर सकता था। कभी किसी को मुफ्त में पानी तक पिलाने में उसकी जान निकलती थी। एक रोज गाँव के कुछ किसान मित्र आपस में बैठे गप्पें लड़ा रहे थे। लोग अपने-अपने बारे में लंबी-लंबी हांक रहे थे कि मैं ऐसा हूँ, मैं वैसा हूँ, मैंने यह किया, मैंने वह किया वगैरा वगैरा। तभी एक किसान बोल उठा - "पहले तुमने क्या किया वह जाने दो, आगे क्या कर के दिखा सकते हो वह बताओ ?" इस पर एक किसान बोला - "मैं जागीरदार के घर खाना खाकर दिखा सकता हूँ !"

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लोक कथा - 1

सोने का पिंड - रूसी लोक कथा |बहुत पुरानी बात है, रूस में एक गाँव था जिसके ज़्यादातर निवासी किसान थे। गाँव में केवल एक ही आदमी अमीर था और वह था उस गाँव का जागीरदार। वह बड़ा लालची और कंजूस प्रवृत्ति का व्यक्ति था और कभी किसी के ऊपर एक पैसा खर्च न कर सकता था। कभी किसी को मुफ्त में पानी तक पिलाने में उसकी जान निकलती थी। एक रोज गाँव के कुछ किसान मित्र आपस में बैठे गप्पें लड़ा रहे थे। लोग अपने-अपने बारे में लंबी-लंबी हांक रहे थे कि मैं ऐसा हूँ, मैं वैसा हूँ, ...Read More

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लोक कथा - 2

समझदार किसान और जादुई बीजएक समय की बात है, हरे-भरे खेतों के बीच बसे एक शांतिपूर्ण गाँव में, राम का एक बुद्धिमान किसान रहता था। राम को उनकी कड़ी मेहनत के लिए जाना जाता था, लेकिन उनकी बुद्धि और चतुराई के लिए भी उनकी प्रशंसा की जाती थी। ग्रामीण अक्सर उनसे सलाह और मार्गदर्शन मांगते थे।एक दिन हरि नाम का एक गरीब किसान भारी मन से राम के पास पहुंचा। हरि ने कहा, “राम, मेरी फसल साल दर साल खराब हो रही है। मैं अपने परिवार को खिलाने के लिए संघर्ष करता हूं। कृपया, क्या आप मेरी मदद कर ...Read More