तिरथपुर

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घने जंगल मे आधी रात को गाँववालों से छिपकर विजय खास शालिनी को मिलने के लिए आया था। शालिनी भी उसे मिलने के लिए अपने कुटिया से दूर तक आयी थी। शायद ये उनके बीच का प्यार होगा या कोई जरूरी गुप्त संदेशा। जो पहुंचाना जरूरी था। अभी भी शालिनी की कुटिया बोहत दूर थी। "इन गरीब की कुटिया मे आप क्या आयोगे सहाब?, आंखो से नशा और ओंठो से प्यारिसी स्माईल देकर शालिनी 'विजय' को अपने कुटिया आने का नेवता दे रही थी। ये वही शालिनी थी जिसे गाँववालोंने शापित बोलकर गाव से बाहर निकाला था। अब शालिनी कुछ लोगो का काबिला बनाकर जंगल के उन क्षेत्र में रहती थी जहा तीरथपूर गाँव को आना सख्त मना था। विजय उसी सीमा पे खड़ा था जहाँ से अंदर आना बोहत ही खतरनाक था।

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तिरथपुर - 1

घने जंगल मे आधी रात को गाँववालों से छिपकर विजय खास शालिनी को मिलने के लिए आया था। शालिनी उसे मिलने के लिए अपने कुटिया से दूर तक आयी थी। शायद ये उनके बीच का प्यार होगा या कोई जरूरी गुप्त संदेशा। जो पहुंचाना जरूरी था। अभी भी शालिनी की कुटिया बोहत दूर थी। "इन गरीब की कुटिया मे आप क्या आयोगे सहाब?, आंखो से नशा और ओंठो से प्यारिसी स्माईल देकर शालिनी 'विजय' को अपने कुटिया आने का नेवता दे रही थी। ये वही शालिनी थी जिसे गाँववालोंने शापित बोलकर गाव से बाहर निकाला था। अब शालिनी कुछ ...Read More