कलयुग के श्रवण कुमार

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अभी अभी बेटे से फोन पर बात हुई थी। फोन कट चुका था। लगभग 40 वर्ष की उषा और ऐसे ही 42-43 रही होगी माधव की उम्र। बेटे से बात कर बहुत प्रसन्न थे, होठों की मुस्कान स्पष्ट कह रही थी कि कोई खुश खबरी मिली थी उन्हें। जिससे बड़े उत्साहित और प्रसन्नचित्त हुए थे दोनों पति पत्नी। आखिर हो भी क्यों ना, उनके इकलौते सुपुत्र शगुन को एक प्रसिद्ध आई टी कंपनी मे असिस्टेंट मैनेजर पद पर नौकरी मिल गई थी। जॉइनिंग लेटर आ चुका था। पंद्रह दिनों के अंदर ही ग्रेटर नोयडा के सेक्टर तीन स्थित कंपनी के ऑफिस मे जॉइन करना था और पदभार ग्रहण करना था। शगुन बहुत खुश था। अभी वह एक स्थानीय ऑनलाइन विज्ञापन प्रदाता कंपनी मे बतौर सोफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर कार्य कर रहा था। सैलरी भी कम ही थी। आज की महंगाई मे तो मध्यमवर्गीय परिवारों की तो बस दाल रोटी चल जाए तो बड़ी बात है। फिर 15 हजार की नौकरी मे क्या हो सकता था।

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कलयुग के श्रवण कुमार - 1 - जीवन भर की बचत

अभी अभी बेटे से फोन पर बात हुई थी। फोन कट चुका था। लगभग 40 वर्ष की उषा और ही 42-43 रही होगी माधव की उम्र। बेटे से बात कर बहुत प्रसन्न थे, होठों की मुस्कान स्पष्ट कह रही थी कि कोई खुश खबरी मिली थी उन्हें। जिससे बड़े उत्साहित और प्रसन्नचित्त हुए थे दोनों पति पत्नी। आखिर हो भी क्यों ना, उनके इकलौते सुपुत्र शगुन को एक प्रसिद्ध आई टी कंपनी मे असिस्टेंट मैनेजर पद पर नौकरी मिल गई थी। जॉइनिंग लेटर आ चुका था। पंद्रह दिनों के अंदर ही ग्रेटर नोयडा के सेक्टर तीन स्थित कंपनी के ...Read More

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कलयुग के श्रवण कुमार - 2

जीवन भर की बचत - 2 शेष..... शगुन का प्रमोशन हुआ था, सो दो दिन बाद उसने अपने फ्लैट पार्टी रखी थी। मृदुला बिल्कुल ना खुश थी। कई बार समझाया था कि यह सब ठीक नहीं, जिम्मेदारी को समझो, घर पर बहन शादी लायक है। उसके बारे मे सोचों मम्मी पापा के बारे मे सोचों। पर शगुन को मृदुला की कहाँ सुननी थी, और वह रूठ गया। अंततः मृदुला ने भी जिद छोड़ दी। सारे जानपहचान के लोगों को आमंत्रित कर लिया था। ताकि लोग समझ सके कि शगुन कितने बड़े पद पर और कितना पैसे वाला है। कबीर ...Read More

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कलयुग के श्रवण कुमार - 3 - पिता का जन्म

पिता का जन्म एक एक गुजरता पल मानो दिनों की तरह गुजर रहा था , सीने में वज्र समान अस्थि पंजरों के बीच बाएं तरफ स्थित दिल घोड़े की गति सा बेतहाशा सरपट धड़के जा रहा था। ट्रेन सी आती जाती तेज सांसे । अव्यवस्थित और अनियन्त्रित तेज सांसे । ऐसा लग रहा था कि जैसे मन मस्तिष्क मे तेज उथल - पुथल के बीच ' भयंकर तुफानों सरीखे विचारों की मैराथन सी चल रही थी । व्याग्रता सी हालत में कभी वह चहलकदमी करते फर्श को द्रुत गति से रौंद रहा था , कभी दीवार से सलीके से ...Read More

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कलयुग के श्रवण कुमार - 4 - दुनिया मे क्या रखा है (1)

दुनिया मे क्या रखा है (1) "सानिध्य प्रताप सिंह" एक ऐसा पुलिस आफिसर जो अपनी ईमानदारी और अनुशासन प्रिय के कारण क्षेत्र मे ही नहीं अपितु विभाग मे भी काफी प्रसिद्ध था। आज सुबह सुबह ही सानिध्य ने रामपुर चौराहे पर औचक निरीक्षण का अभियान चलाया था। कांस्टेबल भोला राम, राजनारायण, रमेश और इंस्पेक्टर दिव्या के साथ पूरी टीम बड़ी मुस्तैदी से वाहनों की चेकिंग करने मे व्यस्त थे। अचानक सामने से आती एक फॉर्च्यूनर कार जिस पर किसी राजनैतिक पार्टी का झंडा लगा था।हाथ के इशारे से रुकने को कहा था। पास आते आते टायरों की चिंघाड़ के ...Read More

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कलयुग के श्रवण कुमार - 5 - दुनिया मे क्या रखा है (2)

दुनिया मे क्या रखा है-2 भाग 1 से आगे...... 'बाबू.. (सानिध्य के पैर टटोलते हुए) पीआस (प्यास) लगी बा.. पिया (पिला) दा । वृद्ध महिला ने बड़ी मासूमियत से बोला था सानिध्य से। जैसे पल भर पहले कुछ हुआ ही नहीं था। भीड़ को हटाने को बोल, सानिध्य ने उस वृद्धा को सहारा देते अपने पोलिस वाहन तक ले आया। ' भोला कैम्पर (ठंडे शोधित पानी का पात्र) से पानी ला, और नारायण तू फस्ट - एड बॉक्स (प्राथमिक उपचार संदूक) ला। ' पास पड़ी कुर्सी पर वृद्ध महिला को बैठाते हुए बोला था सानिध्य। छूटभैया नेता तो बस ...Read More

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कलयुग के श्रवण कुमार - 6 - प्यारा आशू

प्यारा आशू मेरी पत्नी बहुत दिनों से कह रही थी कि, कोई बढ़िया नौकर ले आओ । मैं तो बातों को सुन के परेशान हो गया था , कि मैं नौकर कहाँ से लाऊँ । अचानक मैं यही सोचते हुए बस से ऑफिस जा रहा था कि इन्हीं ख्यालों का पुल एक झटके से टुट गया जब मैंने जब सामने देखा तो एक दस वर्ष का प्यारा बच्चा जिसके बाल थोड़े बड़े व बिखरे हुये थे । और शरीर पर एक मटमैले रंग की फटी टी शर्ट व मटमैली नेकर थी वह हाथ फैलाये एक यात्री से कह रहा ...Read More

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कलयुग के श्रवण कुमार - 7 - मन की शीतलता

मन की शीतलता (सामाजिक कहानी) गर्मी अपने चरम पर थी, महीना जरूर अप्रैल था किंतु गर्मी बाप रे.. अभी 38°C - 40°C पहुंच रहा था। अनुराग क्रूड रिफाइनरी प्लांट गेट के बाहर आया। अनुराग एक कॉन्ट्रैक्टर के यहां साइट इंचार्ज (इंजीनियर) के रूप मे कार्यरत है। गर्मी जिस दिन से बढ़ी, अनुराग ने सामने वाली शिकंजी (गूंद क़तीरा, नींबू, ठंडे चीनी बर्फ मिश्रित मीठा पेय) की दुकान पर शिकंजी पीना शुरू कर दिया, उसे तपती धूप मे भागना दौड़ना पड़ता है। पर यह गर्मी मे शरीर को शीतल रखती है। यह देशी शीतल पेय पंजाब का विशेष पेय है। ...Read More

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कलयुग के श्रवण कुमार - 8

कलयुग के श्रवण कुमार(कवर स्टोरी)शोरगुल बढ़ने लगा। ऐसा लग रहा था कही आसपास झगड़ा लड़ाई हो रही हो रही सुबह 10 बजे का समय था। गांव के सभी बच्चे जो पढ़ते है, स्कूल जा चुके थे। औरते दोपहर के खाने की तैयारी मे लगी थी। घरों के पुरुष कुछ खेतों की ओर चले गये थे। बरगद के नीचे बने चबूतरे पर बुजुर्गो की चौपाल लगी थी। सब अपनी बीती या फिर गांव के ही विषयों पर चर्चा करने मे व्यस्त थे। शोर शराबा बढ़ता ही जा रहा था। अब तो किसी पुरुष की रोने की आवाज भी तेज होती ...Read More

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कलयुग के श्रवण कुमार - 9

कलयुग के श्रवण कुमार........ मनोहर ने मुरली से पूछा था- "क्या हो गया था मुरली ।" कुछ नही मनोहर (सुबकते हुये) मैं खेत से लौटा था, तबियत ठीक नही लग रही थी बुखार था कल दोपहर से, खाना भी नही दिया था इसने , मैने इससे बोला की दवा दे दें, कुछ खाने को दे दे ताकि खाना खा कर दवा खालूं खेतों मे पानी लगाना है।सांसे व्यवस्थित करने की कोशिश करते हुये थोड़ा रुका था मुरली। 'फिर क्या हुआ ?' मनोहर ने पूछा। 'इसने (चमेली) कहा तुम्हारा रोज का नाटक हैं, मैंनें कहा दशा देखकर नहीं लग रहा। ...Read More