गर्मी का मौसम था। सूरज ढलने वाला था। खचाखच जाम से भरी सड़कों के बीच से निकलते हुए वह जल्दी जल्दी अपने घर की तरफ़ जा रही थी। वह दिनभर भागदौड़ करकर थक चुकी थी अब वह बस अपने अपार्टमेंट में जाकर आराम करना चाहती थी। थोड़ी देर चलते चलते वह अपने अपार्टमेंट में पहुंच गई थी। उसने लाइट और पंखा चालू किया और फिर अपना बैग टेबल पर रखकर पंखे के नीचे सोफे पर लेट गई। वह एक छोटा सा अपार्टमेंट था जो उसके लिए काफी था। दरवाज़ा खुलते ही बैठक का कमरा था जिसपर थ्री सीटर सोफ़ा और एक कॉफी टेबल रखी हुई थी। कमरे के एक किनारे पर जूते रखने की जगह थी जो दरवाज़े के पास थी। बैठक के बाएं तरफ एक छोटा सा किचन था। किचन के सामने कुर्सी मेज रखी हुई थी जिसमें बैठकर वह खाना खाया करती थी। दाएं तरफ बेडरूम था और उससे सटा हुआ बाथरूम था। उसका घर छोटा था लेकिन साफ सुथरा और सुंदर था। लेटे–लेटे उसने अपने बैग से फोन निकला और अपनी मां को कॉल लगाया दो तीन घंटी जाने के बाद उसकी मां ने फोन उठा लिया।
फ्लेम्स ऑफ लव - भाग 1
तुम मेरे दिल की धड़कन हो, मेरे दर्द की दवा हो,तुम्हारी आंखों में मेरी दुनिया बसी है।तुम मेरे दिल सुकून हो,तुम्हारा प्यार मेरे लिए एक चमत्कार है जो दिल की सारी दरारें भर देता है।तुम मेरे जीवन की खुशियां हो,तुम्हारा प्यार मेरे लिए अनमोल खजाना है। _____________________________________________________गर्मी का मौसम था। सूरज ढलने वाला था। खचाखच जाम से भरी सड़कों के बीच से निकलते हुए वह जल्दी जल्दी अपने घर की तरफ़ जा रही थी। वह दिनभर भागदौड़ करकर थक चुकी थी अब वह बस अपने अपार्टमेंट में जाकर आराम कर ...Read More
फ्लेम्स ऑफ लव - भाग 2
वामिका ने ऑफिस में कदम रखा। यह बीस मंजिल वाली एक बड़ी इमारत थी और बेहद शानदार लग रही वह रिसेप्शन के पास गई वहां पर एक लड़की बैठी हुई थी उसने उससे कहा, "मेरा नाम वामिका श्रीवास्तव है मैंने आज ही एक रिसेप्शनिस्ट के तौर पर ज्वाइन किया है"। वह लड़की अपनी सीट से उठी और उसका हाथ खींचकर उसे अपने साथ ले गई। वो उसे लेकर एक केबिन में गई और फिर उसने उसे एक आईडी कार्ड दिया जिसपर वामिका का नाम लिखा हुआ था।"इस कम्पनी में तुम्हारा स्वागत है मिस श्रीवास्तव..मेरा नाम तृषा है और हम ...Read More